बिहार में सरकार गठन और मंत्रिमंडल के बंटवारे के बाद अब बारी विधानसभा अध्यक्ष के नियुक्त की है. 20 साल में पहली बार गृह मंत्रालय का जिम्मा बीजेपी को मिला है और कैबिनेट में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है. अब विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर बीजेपी और जेडीयू दोनों की नजर है, जिसे लेकर सियासी दाँव चले जा रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि स्पीकर का पद किसके खाते में जाता है?
सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी कैबिनेट की पहली बैठक बुलाई है. माना जा रहा है कि इस बैठक में विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने पर फैसला लिया जाएगा ताकि सभी 243 निर्वाचित विधायकों के शपथ का कार्यक्रम और स्पीकर का चुनाव हो सके.
बिहार में पिछले कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष का पद बीजेपी के पास था, जबकि गृह विभाग जेडीयू के पास था. इस बार गृह विभाग के बाद बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष पद पर भी दावा ठोंक रही है, लेकिन जेडीयू की नज़र भी इसी पद पर है ताकि पावर बैलेंस बना रहे.
विधानसभा स्पीकर के पद पर बीजेपी की नजर
बीजेपी की ओर से गयाजी सीट से लगातार नौवीं बार विधायक बने प्रेम कुमार को विधानसभा अध्यक्ष पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है, क्योंकि वो पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. मंत्रिमंडल के गठन में भी उन्हें इस बार शामिल नहीं किया गया, जिसके चलते उनके नाम के कयास लगाए जा रहे हैं.
गृह मंत्रालय मिलने के बाद बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष पद पर भी दावा ठोंक दिया है, लेकिन जेडीयू ने भी अपनी दावेदारी शुरू कर दी है.
2020 में बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनी थी तो स्पीकर का पद बीजेपी को मिला था. बीजेपी ने विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया था. इसके बाद 2024 में दोबारा नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तो स्पीकर की कुर्सी नंद किशोर यादव को सौंपी गई थी. नंद किशोर यादव इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़े. इस लिहाज से बीजेपी अपनी दावेदारी कर रही है, लेकिन जेडीयू ने गृह मंत्रालय छोड़ने के बाद स्पीकर पद की उम्मीद लगाए हुए है.
बिहार विधानमंडल के विधान परिषद के अध्यक्ष पद पर बीजेपी का पहले से कब्ज़ा है. ऐसे में विधानसभा के अध्यक्ष पद पर भी बीजेपी अपना नेता बैठाने में कामयाब हो जाती है तो फिर एक बार दोनों ही सदनों में उसका अपना स्पीकर होगा.
सियासी बैलेंस के लिए जेडीयू की बार्गेनिंग
बिहार की एनडीए सरकार में जेडीयू से ज्यादा बीजेपी कोटे से मंत्री बने हैं. जेडीयू के 8 मंत्री बने तो बीजेपी कोटे से 14 मंत्री बने हैं. इसके बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के लिए गृह मंत्रालय का पद भी छोड़ दिया है। इस हिसाब से बीजेपी का पलड़ा भारी है. सत्ता के समीकरण में जेडीयू अब छोटे भाई के रोल में आ गई है.
जेडीयू की अब कोशिश पावर बैलेंस को बनाए रखने की है, जिसके लिए विधानसभा अध्यक्ष अब अपना बनाना चाहती है. इसके लिए जेडीयू की तरफ से कई तर्क भी दिए जा रहे हैं.
जेडीयू की तरफ से कहा जा रहा है कि बीजेपी के एमएलसी अवधेश नारायण सिंह विधान परिषद के स्पीकर हैं. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष का पद जेडीयू के किसी नेता को मिलना चाहिए. विधानसभा स्पीकर बीजेपी से हो जाएगा तो दोनों सदनों पर एक ही पार्टी का कब्ज़ा हो जाएगा. इस तरह विधानसभा अध्यक्ष के पद पर जेडीयू का हक बनता है ताकि दोनों के बीच संतुलन बना रहे.
बिहार में पहली बार गृह मंत्रालय जेडीयू ने बीजेपी को दे दिया है. ऐसे में जेडीयू की तरफ से कहा जा रहा है कि बिहार का सबसे शक्तिशाली मंत्रालय बीजेपी को दे दिया तो स्पीकर का पद जेडीयू को मिलना चाहिए. जेडीयू की तरफ से कई नेताओं के नाम भी आगे बढ़ाए जा रहे हैं। इस तरह जेडीयू और बीजेपी के बीच स्पीकर के पद पर काबिज़ होने के दांव चले जाने लगे हैं.
बिहार में अब होगा स्पीकर का चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को आए हैं, 20 नवंबर को मंत्रिमंडल का गठन किया गया. अब 18वीं विधानसभा का गठन होना है, जिसकी प्रक्रिया राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की ओर से विशेष सत्र बुलाने के बाद शुरू होगी. नीतीश कुमार के अगुवाई वाले नए मंत्रिमंडल की पहली बैठक मंगलवार को होने जा रही है. माना जा रहा कि कैबिनेट की इस बैठक में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिशों पर मुहर लग सकती है.
विधानसभा का सत्र बुलाए जाने के बाद कैबिनेट की सिफारिश पर प्रोटेम स्पीकर की पहले नियुक्ति होगी. प्रोटेम स्पीकर ही सभी 243 नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे. इसके बाद स्पीकर का चुनाव होगा. माना जा रहा है कि सभी सदस्य सर्वसम्मति से सत्तारूढ़ दल या गठबंधन द्वारा नामित स्पीकर का चुनाव करेंगे. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर चुनाव होगा. देखना है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच क्या फॉर्मूला निकलता है.