न्यूयॉर्क का Ballot Battle...धमकियों के बावजूद क्यों ज़ोहरान ममदानी को हरा नहीं पाए ट्रंप? 5 फैक्टर

अमेरिका के सबसे महंगे शहर न्यूयॉर्क में भारतीय मूल के कैंडिडेट ज़ोहरान ममदानी (34) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की. ममदानी न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम और सबसे कम उम्र के मेयर बने. ट्रंप के विरोध और यहूदी-विरोधी आरोपों के बावजूद उन्होंने ग्राउंड कैंपेन के दम पर जीत हासिल की.

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सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड तक दिखी ज़ोहरान ममदानी की मौजूदगी (Photo: AP) सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड तक दिखी ज़ोहरान ममदानी की मौजूदगी (Photo: AP)

मोहम्मद साक़िब मज़ीद

  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:31 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक दुश्मन ज़ोहरान ममदानी ने मंगलवार को न्यूयॉर्क शहर के मेयर चुनाव में ऐतिहासिक फतह हासिल की है. उन्होंने पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो और रिपब्लिकन कर्टिस स्लीवा को पटखनी दे दी. 34 साल के ममदानी न्यूयॉर्क शहर के सबसे कम उम्र के और पहले मुस्लिम मेयर होंगे. जीत के बाद, न्यूयॉर्क सिटी में ज़ोहरान ममदानी के कैंपेन हेडक्वार्टर के बाहर सैकड़ों समर्थक जमा हुए और 'फ्री फिलिस्तीन' के नारे लगाए गए. 

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क्वींस से स्टेट असेंबली मेंबर ममदानी ने एक साल पहले इस चुनाव में एक प्रोटेस्ट कैंडिडेट के तौर पर एंट्री ली थी, उनका बायोडाटा बहुत मजबूत नहीं था और शहर में उनकी कोई खास पहचान नहीं थी. इसके बावजूद, ममदानी ने अपनी मेहनत की बदौलत न्यूयॉर्क के लोगों के दिलों को जीतने में कामयाबी हासिल की.

न्यूयॉर्क मेयर चुनाव में 20 लाख से ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया, जो 1969 के बाद से शहर के मेयर चुनावों में सबसे ज़्यादा भागीदारी है. इस बीच, ट्रंप ने ममदानी की जीत को नज़रअंदाज़ करते हुए दावा किया कि अमेरिकी सरकार का शटडाउन रिपब्लिकन के चुनाव हारने की एक वजह थी.

ट्रंप की धमकियों के बावजूद कैसे लहरा ममदानी का परचम?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ज़ोहरान ममदानी का विरोध किया था. वोटिंग से एक दिन पहले उन्होंने एंड्रयू कुओमो का समर्थन किया था. इसके साथ ही ट्रंप ने ज़ोहरान ममदानी को यहूदी विरोधी बताया था. डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा, "न्यूयॉर्क के मेयर उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी को वोट देने वाला कोई भी यहूदी शख्स 'एक बेवकूफ इंसान है." 

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यूएस प्रेसिडेंट के द्वारा इस कदर किए गए विरोध के बावजूद ममदानी ने न्यूयॉर्क में जीत हासिल की. 

(Photo: AP)

ज़ोहरान ममदानी ने प्रेसिडेंट ट्रंप की इस चेतावनी का जवाब देते हुए कड़ा रुख अपनाया कि अगर वह जीतते हैं, तो न्यूयॉर्क शहर की फेडरल फंडिंग बंद हो सकती है. वोट को हिम्मत और उसूलों की परीक्षा बताते हुए, ममदानी ने न्यूयॉर्क के लोगों से डर और पॉलिटिकल प्रेशर को खारिज करने की अपील की थी.

ममदानी ने जनता से कहा, "यह कानून नहीं है, यह डराना-धमकाना है. हम दबेंगे नहीं. अब वक्त आ गया है कि हम उन लोगों के खिलाफ खड़े हों, जो हमारे शहर और हमारे भविष्य को कंट्रोल करने के लिए धमकियां देते हैं."

1- सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड तक यूथ से जुड़ाव

ज़ोहरान ममदानी ने इलेक्शन कैंपेन के दौरान जमीनी स्तर पर लोगों से मुलाकात की और उनसे बातचीत की. इस दौरान सबसे ज्यादा यूथ से जुड़ाव हुआ. ममदानी ने सोशल मीडिया पर लगातार वीडियो बनाकर मेयर की रेस में धीरे-धीरे अपनी जगह बनाई. इन वीडियोज में उन वोटर्स के साथ बातचीत भी शामिल हैं, जिन्होंने 2024 में महंगाई की वजह से ट्रंप को सपोर्ट किया था. 

(Photo: AP)

2- महंगाई के खिलाफ हल्लाबोल

ज़ोहरान ममदानी के प्रतिद्वंदी कुओमो ने अपना प्राइमरी कैंपेन क्राइम और सेफ्टी जैसे मुद्दों पर फोकस किया, वहीं ममदानी ने एक ऐसे शहर में किफायती होने पर ज़ोर दिया, जिसे लंबे वक्त से बहुत महंगा माना जाता रहा है. उनका कैंपेन इस मुद्दे पर इतना ज़ोरदार रहा कि यह शुरू से आखिर तक उनके कैंपेन का पर्याय बन गया.

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कैंपेन रैलियों में, ममदानी अक्सर 'एक ऐसा शहर जिसे हम अफोर्ड कर सकें' लिखे साइन के सामने खड़े होते थे. उनकी वेबसाइट पर नजर डालने पर भी साफ तौर पर देखने को मिलता है कि ममदानी 'वर्किंग क्लास न्यू यॉर्कर्स के लिए रहने का खर्च कम करने के लिए मेयर का चुनाव लड़ रहे हैं.' उनके समर्थक भी 'किफायती घर बनाओ' और 'सभी के लिए चाइल्डकेयर' लिखे पोस्टर लिए हुए नजर आए.

ममदानी ने एक ज़बरदस्त डिजिटल कैंपेन चलाया, जिसमें उन्होंने कई भाषाओं में बात की और मंहगाई के खिलाफ मैसेज के साथ सपोर्टर्स से जुड़े. उर्दू में बात करने वाले ममदानी ने कैंपेन के दौरान बांग्ला, स्पेनिश और अरबी में भी वीडियो जारी किया. ज़ोहराम ममदानी के सबसे यादगार वायरल वीडियो में से एक में उस मुद्दे पर बात की गई थी, जिसे कैंडिडेट ने 'हलाल-फ्लेशन' कहा था. उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में स्ट्रीट फूड बिज़नेस चलाने की ज़्यादा लागत के बारे में स्ट्रीट मीट बेचने वालों से बातचीत की. चावल और हलाल मीट खाते हुए, ममदानी ने बताया कि शहर में एक मुश्किल परमिट सिस्टम भी सस्ते स्ट्रीट फूड की कीमतों के लिए कुछ हद तक ज़िम्मेदार है.

3- सुपर-एक्टिव ममदानी की हर जगह मौजूदगी

न्यूयॉर्क शहर दुनिया के सबसे अमीर शहर के तौर पर पहचाना जाता है. कहा जाता है कि यह इनोवेटिव शहर हमेशा जागता रहता है. इसके अलावा, न्यूयॉर्क को नए एक्सपेरिमेंट के लिए भी पहचाना जाता है. ऐसे में चुनावी कैंपेन के दौरान ज़ोहरान ममदानी ने कई नए प्रयोग भी किए.

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(Photo: AP)

इलेक्शन कैंपेन के आखिरी दिनों में, ज़ोहरान ममदानी ने इस रेस को 'ओलिगार्की और डेमोक्रेसी' के बीच एक चुनाव बताया. कैंपेन के दौरान उनकी हर जगह मौजूदगी रेस के आखिरी दिनों में और शहर में अर्ली वोटिंग के आखिरी वीकेंड से पहले साफ दिखाई दे रही थी.

जब आधे मिलियन से ज़्यादा न्यूयॉर्क के नागरिक जल्दी वोट डालने के लिए बाहर निकले, तो ममदानी हर जगह थे. वह सुबह चर्च में थे, दोपहर में रेडियो शो में कॉल कर रहे थे, बाहरी इलाकों में एथनिक सुपरमार्केट में रुक रहे थे, इन्फ्लुएंसर लाइव स्ट्रीम पर दिख रहे थे, यूनियन स्क्वायर में एक फ्रीस्टाइल रैप बैटल में शामिल हो रहे थे और शनिवार की रात उन्होंने शहर के नाइटक्लब सीन के तूफानी दौरे के साथ खत्म की.

4- दिलों को छुआ ममदानी का मैसेज

पिछले साल के चुनावों के बाद, डेमोक्रेट्स ने जनता को देने वाले चुनावी मैसेज पर मंथन करने में काफी वक्त खर्च किया है. हिलेरी क्लिंटन के 2016 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान और कमला हैरिस के 2024 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान की आलोचना में एक पहलू यह भी था कि वोटर यह समझ नहीं पाए कि हर उम्मीदवार किस बात के लिए खड़ा है और चुनाव लड़ने के पीछे उनका क्या मकसद है.

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वहीं, अगर ज़ोहरान ममदानी के मामले में देखा जाए, तो ऐसी किसी भी तरह की दिक्कत नहीं समझ आती है. वे वोटर्स को अपना मैसेज देने में कामयाब रहे और लोगों के दिलों में ख़ुद के लिए जगह बनाई.

(Photo: AP)

5- टैरिफ और इमिग्रेंट्स पॉलिसी से जनता नाराज?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा ज़ोहरान ममदानी का विरोध और एंड्रयू कुओमो का समर्थन किया जाना इस चुनाव में एक फैक्टर तो रहा ही. दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने ऐसे कई फैसले लिए हैं, जिससे जनता में नाराजगी है. इनमें टैरिफ और इमिग्रेंट्स पॉलिसी बड़े मुद्दे हैं. ऐसे में जिन लोगों को ट्रंप से नाराजगी थी, उन्होंने ज़ोहरान ममदानी को वोट किया.

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