अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को व्हाइट हाउस में प्रेस मीट के दौरान घोषणा की कि वह यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर सेकेंडरी सैंक्शन (द्वितीयक प्रतिबंध) लगाने के लिए तैयार हैं. ट्रंप ने रूस के खिलाफ कठोर रुख अपनाते हुए कहा कि ये प्रतिबंध तब तक लागू रह सकते हैं, जब तक रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम और शांति समझौता नहीं हो जाता. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब एक दिन पहले ही रूस ने यूक्रेन की ऊर्जा संरचनाओं पर बड़े पैमाने पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं.
रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू किया था, जिसके बाद से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस पर कई दौर के प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें रूस को तेल और गैस बेचकर होने वाली कमाई को सीमित करने के लिए उपाय शामिल हैं, जैसे कि रूसी तेल निर्यात पर 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा. ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में यूक्रेन को सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी साझा करने पर रोक लगाई थी, जिसके बाद रूस ने यूक्रेन के खिलाफ हमलों को और तेज कर दिया.
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डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, 'रूस इस समय यूक्रेन को युद्ध के मैदान में बुरी तरह कुचल रहा है. मैं बड़े पैमाने पर बैंकिंग प्रतिबंध, अन्य प्रतिबंध और टैरिफ पर विचार कर रहा हूं, जब तक कि युद्धविराम और अंतिम शांति समझौता नहीं हो जाता. रूस और यूक्रेन, अभी टेबल पर आएं, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए.' अमेरिकी राष्ट्रपति की रूस पर सेकेंडरी सैंक्शन लगाने की घोषणा वैश्विक कूटनीति में तनाव बढ़ा सकती है, क्योंकि रूस और पश्चिमी देशों के बीच पहले से ही तनाव चरम पर है. इस कदम से वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा बाजार पर भी असर पड़ सकता है.
रूस, जो दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देशों में से एक है, पहले से ही 20,000 से अधिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जो 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों और अमेरिका द्वारा उस पर लगाए गए थे. ट्रंप के नए प्रतिबंधों की धमकी से वैश्विक ऊर्जा बाजार और कूटनीतिक संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने प्रतिबंधों से बचने के लिए 'शैडो फ्लीट' जैसे तरीके विकसित किए हैं, जो तेल निर्यात के मूल स्रोत को छिपाने में मदद करते हैं. इस बीच, यूक्रेन ने नाटो देशों से और हथियारों की मांग की है, विशेष रूप से पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम की, ताकि रूसी हमलों का मुकाबला किया जा सके.
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ट्रंप का यह बयान उनके पहले के रुख से बदलाव का संकेत देता है, जिसमें उन्होंने यूक्रेन पर शांति समझौते के लिए दबाव डाला था. हालांकि, उनकी पुतिन के प्रति नरम टिप्पणियों ने आलोचना को जन्म दिया है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम रूस पर दबाव बढ़ाने की रणनीति हो सकती है. इससे पहले अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने कहा कि रूस और उससे तेल खरीदने वाले देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, पर और अधिक आर्थिक प्रतिबंध और सेकेंडरी टैरिफ लगाने से मास्को की अर्थव्यवस्था धराशायी हो जाएगी. इस तरह की कार्रवाई से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत की मेज पर आ जाएंगे.
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