'ईरान के परमाणु प्लांट पर हमले का खामियाजा भुगतना होगा...', इजरायल हमले के बाद चीन ने दी वॉर्निंग

चीन के विदेश मंत्रालय ने इजरायल और ईरान के बीच के मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए इसे खतरनाक बताया है. चीन का कहना है कि इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ेगा.

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ईरान पर इजरायल का हमला ईरान पर इजरायल का हमला

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2025,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST

इजरायल और ईरान के बीच बीते चार दिनों से जंग जारी है, जिससे मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ा हुआ है. इस बीच चीन ने ईरान पर इजरायल की एयरस्ट्राइक पर गहरी चिंता जताई है. 

चीन के विदेश मंत्रालय ने इजरायल और ईरान के बीच के मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए इसे खतरनाक बताया है. चीन का कहना है कि इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ेगा. इसका गंभीर खामियाजा भुगतना होगा. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने दोनों पक्षों से जल्द से जल्द इस संघर्ष को खत्म करने का आह्वान किया और बातचीत की टेबल पर लौटने को कहा. उन्होंने कहा कि बातचीत से ही अस्थिरता कम होगी और शांति बहाली होगी. 

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उन्होंने कहा कि हम सभी पक्षों से जल्द से जल्द इस संघर्ष की स्थिति को खत्म करने को कहते हैं क्योंकि इससे क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता और बढ़ेगी. 

बता दें कि इजरायल और ईरान के बीच चार दिन से लगातार जंग हो रही है. इजरायली हमले में ईरान के अब तक 220 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1200 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. वहीं, ईरान के हमले में इजरायल के 22 लोगों के मारे जाने की खबर हैं जबिक घायलों की तादाद भी अच्छी-खासी बताई जा रही है. 

बता दें कि इजरायल और ईरान मिडिल ईस्ट के दो देश हैं. मौजूदा समय में दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं लेकिन कभी ऐसा समय भी था जब दोनों के संबंध अच्छे थे. 14 मई 1948 को इजरायल की स्थापना के बाद 1950 में ईरान ने उसे राष्ट्र के तौर पर मान्यता भी दी थी. 

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साल 1953 में ईरान में तख्तापलट के बाद दोबारा शाह का शासन शुरू हुआ. मोहम्मद रजा शाह पहलवी के शासन में ईरान और इजरायल के बीच खूब दोस्ती रही. नए-नए बने इजरायल को ईरान ने खूब तेल दिया था. यह वह दौर था जब इजरायल को बाकी खाड़ी देश बहुत ज्यादा पसंद नहीं करते थे. 1968 में दोनों के बीच एक समझौता भी हुआ ताकि पाइपलाइन के जरिए ईरान से तेल इजरायल पहुंच सके. 1980 के दशक में ईरान का इराक के साथ युद्ध चल रहा था, तब इजरायल ने ही उसे हथियार दिए. इजरायल ने ईरान को हाईटेक मिसाइलें और एंटी-टैंक गन जैसे हथियार दिए थे.

लेकिन दोनों देशों के रिश्ते तब बिगड़ना शुरू हुए, जब 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई. इस्लामिक क्रांत के बाद ईरान में शाह का शासन खत्म हुआ. अयातुल्लाह अली खामेनेई सुप्रीम लीडर बने. इस इस्लामिक क्रांति ने न सिर्फ ईरान को बदल दिया बल्कि इजरायल से रिश्ते भी बिगाड़े. कभी उदारवादी रहा ईरान अब एक कट्टरपंथी इस्लामी राष्ट्र बन चुका था. इस्लामिक क्रांति ने ईरान को अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों से भी दूर कर दिया था.  लेकिन 1991 के खाड़ी युद्ध ने हालात और खराब किए. ईरान ने एक बार इजरायल को छोटा शैतान और अमेरिका को बड़ा शैतान कहकर संबोधित किया था. उस पर इजरायल के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर छेड़ने का भी आरोप लगता है.

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