सऊदी अरब में 17 नवंबर को हुआ बस हादसा भारतीय उमरा यात्रियों के लिए एक और काला अध्याय बन गया. मक्का से मदीना जा रही बस डीजल टैंकर से टकराई और देखते ही देखते आग का गोला बन गई. इस दिल दहलाने वाली घटना में 45 भारतीय श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जिनमें से अधिकतर हैदराबाद के थे. बस में कुल 46 लोग थे, सिर्फ एक यात्री ही जीवित बच पाया. यह हादसा 25 किलोमीटर पहले, एक शांत रात में हुआ, लेकिन उसने कई परिवारों का जीवन हमेशा के लिए उजाड़ दिया.
यह हादसा नया था, लेकिन दर्द बहुत पुराना. पिछले तीन दशकों में हज और उमराह के दौरान भारतीय श्रद्धालुओं ने कई ऐसी त्रासदियां झेली हैं, जो आज भी याद करके रूह कांप उठती है.
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2024 का हज भी मुश्किलों भरा था. इस साल 98 भारतीय यात्रियों की मौत हुई - ज्यादातर अत्यधिक गर्मी, बीमारी और उम्र संबंधी कारणों से. परिवारों ने सोचा था कि वे सुरक्षित लौटेंगे, लेकिन सफर वहीं खत्म हो गया.
मक्का के ग्रैंड मस्जिद में क्रेन हादसा
सबसे भयावह घटनाएं 2015 में दर्ज हुईं. 11 सितंबर 2015 को मक्का की ग्रैंड मस्जिद में एक बड़े तूफान के दौरान निर्माण क्रेन गिर गई. इसमें 2 भारतीयों की मौत और 15 लोग घायल हुए. इस हादसे का दर्द अभी कम भी नहीं हुआ था कि कुछ दिन बाद 24 सितंबर 2015 को मिना की भीड़ में एक भयानक भगदड़ मच गई. इसमें 120 भारतीय हज यात्री मारे गए, 51 घायल हुए और 3 आज भी लापता हो गए थे. यह दुनिया की सबसे बड़ी हज त्रासदियों में से एक मानी जाती है.
मिना में स्टोनिंग रिचुअल के दौरान मची थी भगदड़
2004, 2006 और उससे पहले के साल भी भारतीयों के लिए सुरक्षित नहीं थे. 1 फरवरी 2004 को मिना में स्टोनिंग रिचुअल के दौरान भगदड़ हुई, जिसमें 251 लोग मारे गए, जिनमें भारतीय भी शामिल थे.
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5 जनवरी 2006 को मक्का के सेंट्रल इलाके में एक होटल ढह गया. इस हादसे में 76 लोग मारे गए, जिनमें भारतीयों की संख्या भी थी. इसके कुछ दिन बाद 12 जनवरी 2006 को फिर मिना में भगदड़ हुई और 340 से अधिक लोग कुचलकर मारे गए. भारतीय परिवारों के लिए यह एक और काला दिन था.
अब 17 नवंबर 2025 की बस दुर्घटना इसे फिर साबित करती है. हज और उमरा की यात्रा जितनी पवित्र होती है, कभी–कभी उतनी ही खतरनाक भी साबित हो जाती है.
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