सऊदी अरब की सड़क पर हुई बस में आग लगने की दुर्घटना सिर्फ एक हादसा नहीं थी. यह 45 भारतीय उमरा यात्रियों की आखिरी यात्रा बन गई, और उनमें भी… सबसे बड़ा दर्द एक ही परिवार के 18 लोगों की मौत हो गई. तीन पीढ़ियों के शामिल लोगों का अंत हो गया. एक ही घर का लगभग पूरा वजूद खत्म हो गया.
ये लोग मक्का से मदीना जा रहे थे. उमरा पूरा कर चुके थे. घर लौटने की बातें कर रहे थे. बच्चों ने नानी-नाना के लिए तोहफे चुने थे लेकिन बस ने जैसे ही डीजल टैंकर को टक्कर मारी, सब कुछ पल भर में राख बन गया.
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हैदराबाद के मुसीराबाद के रहने वाले शेख नसीरुद्दीन और उनकी पत्नी अख्तर बेगम भी उसी बस में थे. उनके साथ बेटा, दो बेटियां, बहू… और परिवार के बाकी सदस्य भी बस में थे. रिश्तेदार बताते हैं, “वे इस यात्रा के लिए हफ्तों से तैयारी कर रहे थे. बहुत खुश थे." आज उसी घर में सिर्फ मातम पसरा है.
एक ही परिवार के 18 लोगों ने गंवाई जान
मोहम्मद असलम, पीड़ित परिवार के चचेरे भाई रोते हुए कहते हैं, "हमारे 18 लोग… सब खत्म हो गए. हम सरकार से पूरी जांच की मांग करते हैं और जो जिम्मेदार हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए." उनकी आवाज टूट जाती है. हर शब्द में दर्द झलकता है.
एक और परिवार भी इस त्रासदी में पूरी तरह उजड़ गया. साबिहा बेगम, उनका बेटा इरफान, बहू हुमैरा, और उनके दो छोटे बच्चे - हामदान और इजान. रिश्तेदार कहते हैं, "बच्चे पहली बार उमरा पर गए थे… सब कितने खुश थे."
हज कमिटी ने सहयोगी का आश्वासन दिया
तेलंगाना स्टेट हज कमिटी के चेयरमैन गुलाम अफजल बियाबानी ने कहा कि प्राइवेट ऑपरेटर्स पर उनका नियंत्रण नहीं है, लेकिन वे परिवारों की हर संभव मदद करेंगे. उनके शब्द थे, "यह बहुत मुश्किल समय है. हम पूरी जानकारी और सहायता देंगे. मेरी गहरी संवेदनाएं."
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18 सपने, 18 जिंदगियां और 18 कहानियां जलकर खाक
लेकिन सवाल वहीं का वहीं है. इतने बड़े हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या यह बस की गलती थी? या प्राइवेट ऑपरेटर की? या फिर लापरवाही का कोई और सिलसिला? परिवारों का कहना है, जांच हो. सच सामने आए क्योंकि 18 सपने, 18 जिंदगियां और 18 कहानियां यूं ही जलकर खत्म नहीं हो सकतीं.
अपूर्वा जयचंद्रन