'कुरान को स्कूली पाठ्यक्रम में नहीं कर सकते शामिल', पाकिस्तान की कोर्ट ने खारिज की याचिका कर दिया ये तर्क

पाकिस्तान के सिंध हाई कोर्ट ने कुरान को प्राथमिक से कॉलेज स्तर की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. उसने कहा कि आस्था एक व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.

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पाकिस्तान की सिंध हाई कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 20 का दिया हवाला (सांकेतिक फोटो) पाकिस्तान की सिंध हाई कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 20 का दिया हवाला (सांकेतिक फोटो)

aajtak.in

  • कराची,
  • 16 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:40 PM IST

पाकिस्तान की एक हाई कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें प्राथमिक से कॉलेज स्तर की शिक्षा के पाठ्यक्रम में पवित्र कुरान को अनुवाद के साथ शामिल करने की मांग की गई थी. सिंध हाई कोर्ट ने अपने फैसले में याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि आस्था एक व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.

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कोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर शिक्षा पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. अदालत ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 20 नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है और राज्य के लिए व्यक्तियों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना अनिवार्य बनाता है.

अदालत ने अपने फैसले में आगे कहा कि पाकिस्तान का संविधान किसी व्यक्ति को सरकार के हस्तक्षेप के बिना अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग करने की गारंटी देता है जब तक कि वह कानून नहीं तोड़ता.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता इम्तियाज अली ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया था कि सिंध प्रांत में पवित्र कुरान की शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान मुसलमानों के लिए बनाया गया एक इस्लामिक देश है.

वर्तमान में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के छात्रों को एक विषय के रूप में इस्लामी स्टडीज का अध्ययन कराया जा रहा है, वहीं गैर-मुस्लिम इसकी जगह कोई और विषय विकल्प के रूप में चुन सकते हैं.

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