कनाडा से चल रहे तनाव के बीच सऊदी अरब ने भारत को दिया झटका

सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने कहा है कि सऊदी अरब हमेशा संघर्ष में शामिल पक्षों के बीच समझौता कराने और अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के अनुरूप शांतिपूर्ण समाधान का पैरोकार रहा है. जबकि भारत हमेशा से इस बात को लेकर स्पष्ट रहा है कि वो किसी भी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा.

Advertisement
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (फाइल फोटो-रॉयटर्स) सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (फाइल फोटो-रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:41 PM IST

खालिस्तान आतंकवाद के मुद्दे को लेकर कनाडा से भारत का टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. अब इस कूटनीतिक विवाद के बीच सऊदी अरब ने भी भारत को असहज करने वाला काम किया है. 

संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर आयोजित एक बैठक में सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान बिन अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर को लेकर टिप्पणी की है. वहीं, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने जनरल डिबेट के दौरान अपने संबोधन में जम्मू और कश्मीर का मुद्दा को उठाया है.

Advertisement

इस्लामिक संगठन (OIC) की ओर से आयोजित एक बैठक में जम्मू और कश्मीर की मुस्लिम आबादी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने कहा कि सऊदी अरब मुस्लिम लोगों की इस्लामिक पहचान और उनकी गरिमा बनाए रखने में हमेशा उनके साथ खड़ा है.

सऊदी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, बैठक में सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने कहा. "जम्मू कश्मीर समेत कोई भी क्षेत्र जो संघर्ष और अशांति से जूझ रहा है, सऊदी अरब हमेशा उनके साथ खड़ा है. मुस्लिम लोगों की इस्लामी पहचान बनाए रखने के प्रयासों में सऊदी अरब हमेशा साथ खड़ा है."

बैठक के दौरान सऊदी अरब ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे को क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बताया है. सऊदी अरब ने चेतावनी के लहजे में कहा है कि अगर इस मुद्दे को नहीं सुलझाया गया तो इस क्षेत्र में और अस्थिरता बढ़ेगी. 

Advertisement

मध्यस्थता की पेशकश

फैसल बिन फरहान ने आगे कहा कि सऊदी अरब हमेशा संघर्ष में शामिल पक्षों के बीच मध्यस्थता करने, संघर्ष को कम करने और अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के अनुरूप शांतिपूर्ण समाधान लाने के लिए मदद करने के प्रयास में शामिल रहा है. यह प्रयास इस्लामी लोगों के समर्थन में सऊदी अरब के अटूट रुख को दर्शाता है. इस बैठक में सऊदी अरब के अंतरराष्ट्रीय बहुपक्षीय मामलों के मंत्री अब्दुलरहमान अल-रस्सी और विदेश मंत्री कार्यालय के महानिदेशक अब्दुलरहमान अल-दाऊद ने भी हिस्सा लिया था. 

भारत को मध्यस्थता स्वीकार नहीं

जम्मू कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत शुरुआत से ही स्पष्ट रहा है कि इस मसले पर हम तीसरे पक्ष की मध्यस्था स्वीकार नहीं करेंगे. भारत का कहना है कि इस मामले पर जब भी कोई बातचीत होगी वो द्विपक्षीय (भारत और पाकिस्तान) होगी.

तुर्की ने क्या कहा?

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने जनरल डिबेट के दौरान अपने संबोधन में कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और सहयोग के माध्यम से कश्मीर में न्यायसंगत और स्थायी शांति बहाल होने से दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि का रास्ता खुलेगा. इस दिशा में उठाए जाने वाले कदमों का हम समर्थन करना जारी रखेंगे."

तुर्की के राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में नई दिल्ली में संपन्न हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार और बुनियादी ढांचे संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की थी. 

Advertisement

तुर्की का यह कदम पहली बार नहीं

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब तुर्की ने यूएन में जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया है. पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक सत्र के दौरान विश्व नेताओं संबोधित करते हुए अर्दोआन ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था, "आजादी के 75 साल बाद भी भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के बीच शांति और एकजुटता स्थापित नहीं कर पाए हैं. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. हम आशा करते हैं कि जम्मू कश्मीर में निष्पक्ष और स्थायी शांति बहाल होगी."

इससे पहले 2020 में भी अर्दोआन ने जनरल डिबेट के दौरान जम्मू-कश्मीर मुद्दे को उठाया था. अर्दोआन के इस बयान को भारत ने पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया था. भारत ने तुर्की को नसीहत देते हुए कहा था कि तुर्की को अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए और अपनी नीतियों पर अधिक गहराई से विचार करना चाहिए.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement