ईरान को रूस और चीन की ओर से बड़ा समर्थन मिला है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन और रूस ने सोमवार को यूरोपीय देशों (EU) की ओर से तेहरान पर प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को खारिज कर दिया है. यूरोपीय पाबंदियों के विरोध से ईरान को बड़ी राहत मिली है.
E3 कहे जाने वाले देश, जिसमें फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन शामिल हैं, उन्होंने ईरान पर 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए हाल में ही ‘स्नैपबैक मैकेनिज्म’ के तहत फिर से प्रतिबंध लगाने की पहल की थी. इसके जवाब में चीन, रूस और ईरान के मंत्रियों ने एक संयुक्त पत्र जारी कर कहा कि ये कानूनी सिद्धांत के ख़िलाफ़ है.
क्या था 2015 का परमाणु समझौता?
ईरान के 2015 के परमाणु समझौता को संयुक्त व्यापक कार्य योजना कहा जाता है. इस समझौते में छह देश शामिल हुए, ईरान, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस, और जर्मनी. इस समझौते के तहत ईरान पर लगाए वित्तीय पाबंदियों को हटाया गया था और बदल में ईरान परमाणु कार्यक्रम में रोक लगाने की बात कही थी.
हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में इस समझौते से अमेरिका को बाहर कर लिया था. जिसके बाद ईरान ने समझौते में तय यूरेनियम उत्पादन की सीमा तोड़ दी.
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ईरान ने क्या दलील दी?
ईरान ने कहा कि अमेरिका का इस समझौते से बाहर जाने के बाद उनके पास समझौते के शर्तों का अधिकार था. यह समझौता अक्टूबर 2025 में ही खत्म होना है. ‘स्नैपबैक मैकेनिज्म’ फिर से लागू हो जाने से पहले ही की तरह पुराने प्रतिबंध तेहरान पर लागू हो जाएंगे, जो 2015 में हटा दिया गया था.
नई वार्ताएं और असफल कोशिशें
जून महीने में इज़रायल और अमेरिका ने साथ मिलकर तेहरान के परमाणु संयंत्रों पर कई हमले किए. इस हमले के बाद E3 और ईरान के बीच नए समझौते की बात शुरू हुई. हालांकि ईरान को कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिले.
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