यूरोप के साथी, पड़ोसी कनाडा, दोस्त भारत और अब सहयोगी मस्क… किसी के सगे नहीं हो पा रहे ट्रंप

अमेरिका को जहां यूरोप का मजबूत और भरोसेमंद साथी माना जाता था. अब हालात ऐसे हैं कि यूरोप और अमेरिका उत्तर और दक्षिण ध्रुव की तरह हो गए हैं. यूक्रेन को यूरोप की मदद से ट्रंप पूरी तरह चिढ़े हुए हैं और यूरोप पर हर तरह का दबाव बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं. 

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मैक्रों, ट्रंप, एलॉन मस्क और मार्क कार्नी मैक्रों, ट्रंप, एलॉन मस्क और मार्क कार्नी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2025,
  • अपडेटेड 9:49 AM IST

2024 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जब अरबपति कारोबारी एलॉन मस्क दनादन सोशल मीडिया पोस्ट कर और रैलियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन कर रहे थे. तो दुनियाभर में ट्रंप और मस्क की इस जोड़ी ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. इस बार भी ये दोनों शख्सियत चर्चा के केंद्र में हैं लेकिन फर्क इतना है कि अब यह दोस्ती टूट चुकी है और दोनों एक दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगाने में जुटे हैं. Make America Great Again का नारा देने वाले ट्रंप का साथ अब मस्क छोड़ चुके हैं और अब स्थिति ऐसी हो गई है कि वह एक-एक कर अपने सहयोगियों से दूर होते जा रहे हैं.

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2024 में ट्रंप जब दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए तो उनकी नीतियों और फैसलों ने दुनियाभर में हलचल मचा दी. ट्रंप ने अपने तरीके से अपने दोस्तों का चुनाव किया और दुश्मनों का भी. 

ट्रंप ने सबसे पहले कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनने का ऑफर दिया. कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बार-बार इनकार करने और साफगोई से कनाडा की संप्रभुता और स्वतंत्रता की बात किए जाने के बावजूद ट्रंप कनाडा को अमेरिका में शामिल किए जाने की अपनी जिद पर आमादा रहे. इसका नतीजा ये हुआ कि कनाडा जिस हमेशा से अमेरिका का लिटिल ब्रदर माना जाता रहा. वह अमेरिका से दूरी होता गया.

इसके बाद रही-सही कसर ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने कर दी. यूरोप से लेकर कनाडा, मेक्सिको और चीन तक भारी भरकम टैरिफ और रेसिप्रोकल टैरिफ ने अमेरिका के साथ इनकी दूरियां बढ़ा दी. 

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अमेरिका को जहां यूरोप का मजबूत और भरोसेमंद साथी माना जाता था. अब हालात ऐसे हैं कि यूरोप और अमेरिका उत्तर और दक्षिण ध्रुव की तरह हो गए हैं. यूक्रेन को यूरोप की मदद से ट्रंप पूरी तरह चिढ़े हुए हैं और यूरोप पर हर तरह का दबाव बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं. 

वहीं, चीन की प्रतिस्पर्धात्मक नीति और महत्वाकांक्षा से खफा ट्रंप ने शी जिनपिंग के देश पर भी इतने टैरिफ लगा दिए कि दोनों मुल्कों के रिश्तों रसातल तक पहुंच गए. भारत की बात करें तो बाइडेन के कार्यकाल में जहां भारत और अमेरिका के संबंध जितनी मजबूती से आगे बढ़ रहे थे. ट्रंप के कार्यकाल में इसमें गिरावट आई है. भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में रखने के ट्रंप के फैसले से भी भारत खुश नहीं है. 

ऐसे में जब ट्रंप के दोस्त लगातार कम होते जा रहे हैं. एलॉन मस्क के रास्ते भी ट्रंप से अलग हो गए हैं. कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि ट्रंप अपनी कट्टर नीतियों की वजह से अपने दोस्तों को संभाल नहीं पा रहे हैं. इस वजह से उनके करीबी लगातार उनसे दूर होते जा रहे हैं. 

मस्क ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में प का खुलकर समर्थन किया था. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए ट्रंप के समर्थन में जबरदस्त कैंपेन चलाया था और कई मौकों पर सार्वजनिक रैलियों में शिरकत की थी. मस्क को इसका इनाम भी मिला और उन्हें DOGE का प्रभार सौंप दिया गया. लेकिन फिर आया ट्रंप का महत्वाकांक्षी One Big, Beautiful Bill जिसे जोर-शोर से पारित किया गया. मस्क ने पहले दबी-जुबान में इसका विरोध किया और बात नहीं बनने पर खुलकर इसके विरोध में खड़े हो गए.

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इस बिल का मस्क की ओर से विरोध किए जाने की वजह सामने आई कि इस बिल में इलेक्ट्रिक वाहनों के टैक्स क्रेडिट को खत्म कर दिया गया, जिससे मस्क के टेस्ला की बिक्री पर सीधे-सीधे असर पड़ता. इस वजह से मस्क ने इस बिल को विध्वंस्क बताते हुए ट्रंप पर रातोरात इसे पारित करने का आरोप लगा दिया.  

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