भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान की साजिश में बांग्लादेश भी अब शामिल हो गया है. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर एक ब्लॉक बना रहा है. अब भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश ने भी कह दिया है कि वो इस ब्लॉक का हिस्सा बनेगा. बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ किसी ब्लॉक में शामिल होना बांग्लादेश के लिए संभव है.
बांग्लादेश की तरफ से यह टिप्पणी पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश को शामिल करते हुए एक नए त्रिपक्षीय ब्लॉक बनाने का संकेत दिया था. उन्होंने कहा था कि ब्लॉक की शुरुआत हो चुकी है और क्षेत्र के अन्य देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं.
बांग्लादेश समाचार एजेंसी (BSS) की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के विदेश सलाहकार ने कहा, 'भारत को छोड़कर पाकिस्तान के साथ किसी क्षेत्रीय ब्लॉक में शामिल होना बांग्लादेश के लिए रणनीतिक रूप से संभव है.'
हालांकि, हुसैन ने यह भी कहा कि नेपाल या भूटान के लिए ऐसे 'रणनीतिक ब्लॉक' में शामिल होना संभव नहीं होगा.
हुसैन ने बुधवार को कहा, 'यह हमारे (बांग्लादेश के) लिए रणनीतिक रूप से संभव है… लेकिन नेपाल या भूटान के लिए भारत को छोड़कर पाकिस्तान के साथ ऐसा समूह बनाना संभव नहीं है.'
शेख हसीना के अगस्त 2024 में सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश अपने ऐतिहासिक दुश्मन पाकिस्तान के करीब हुआ है. दोनों देशों ने व्यापार, रक्षा और कूटनीति के क्षेत्र में अपने संबंधों को दिशा दी है. 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद पैदा हुई दशकों की कड़वाहट के बावजूद, प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग में तेजी आई है.
बांग्लादेशी सलाहकार तौहीद हुसैन ने यह भी कहा कि 'डार साहब ने कुछ कहा है, और शायद किसी समय इसमें कुछ प्रगति हो सकती है.' उन्होंने आगे कहा कि उनके पास इससे अधिक टिप्पणी करने के लिए कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि उन्होंने यह जानकारी केवल मीडिया के जरिए ही देखी है.
हसीना के सत्ता से हटने के बाद, बांग्लादेश पाकिस्तान और चीन की ओर झुक रहा है. बांग्लादेश की तरफ से ब्लॉक में शामिल होने की पुष्टि चीन के नेतृत्व वाले सम्मेलन के कुछ महीनों बाद आई है. जून में चीन के कुनमिंग में चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अधिकारियों के स्तर पर पहली त्रिपक्षीय बैठक हुई थी.
इसी दौरान यह रिपोर्टें भी आई थीं कि पाकिस्तान और चीन एक नए क्षेत्रीय ब्लॉक पर काम कर रहे हैं, जो सार्क (SAARC) की जगह ले सकता है. भारत सार्क का अहम सदस्य है. 2016 में उरी आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव की वजह से सार्क लगभग निष्क्रिय है और इसकी वार्षिक बैठकें भी नहीं हो पाई हैं.
शेख हसीना ने सालों तक भारत और चीन दोनों के साथ संतुलन बनाकर रखा था. 2023 में ढाका यूनिवर्सिटी के एक विशेषज्ञ ने इंडिया टुडे डिजिटल को बताया था कि हसीना ने भारत, चीन और अमेरिका, तीनों के बीच बेहतर संतुलन स्थापित किया था. उन्होंने तीनों देशों के साथ बेहतर संबंध कायम किए और इससे बांग्लादेश को लाभ हुआ.
लेकिन शेख हसीना का बनाया संतुलन अब टूटता हुआ दिख रहा है, क्योंकि यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश पाकिस्तान और चीन के करीब जाता दिख रहा है.
पाकिस्तानी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन के बीच नया क्षेत्रीय ढांचा बनाने पर बातचीत 'काफी आगे बढ़ चुकी' है.
रिपोर्ट के मुताबिक, '19 जून को कुनमिंग में हुई बैठक का अंतिम लक्ष्य यह था कि सार्क के अन्य दक्षिण एशियाई देशों को भी इस नए समूह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाए.'
हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश ने पाकिस्तान और चीन की ओर स्पष्ट रूप से झुकाव दिखाया है. जून की बैठक में तीनों पक्षों ने व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और कर्ज के मैनेजमेंट में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई, साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्यबल गठित करने का फैसला लिया.
यह दिखाता है कि मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना की विदेश नीति से एकदम अलग विदेश नीति अपनाई है जिसमें भारत के साथ सहयोग बहुत पीछे छूट गया है.
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