बाहुबली नेता बृजभूषण शरण सिंह ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आधिकारिक निवास पांच कालीदास मार्ग पर मुलाकात की थी. दोनों नेताओं के बीच करीब 55 मिनट की मुलाकात रही, जिसके बाद बृजभूषण ने सिर्फ इतना ही कहा कि हमारे मुख्यमंत्री हैं, अच्छी मुलाकात हुई. हालांकि, इस मुलाकात की वजह क्या रही यह बात अभी तक साफ नहीं है, लेकिन सियासी मायने तलाशे जाने लगे हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा- बातचीत में कोई खास बात तो नहीं थी, अलबत्ता मुलाकात होना ही खास है. बृजभूषण शरण सिंह तकरीबन 31 महीने के बाद योगी आदित्यनाथ से मिले हैं. दिलचस्प बात यह है कि एक महीने पहले ही उन्होंने आज तक से साफ-साफ कहा था कि वह योगी आदित्यनाथ से मिलने नहीं जाते, लेकिन उनके बेटे और नाती-पोते जाते हैं और महाराज जी, महाराज जी बोलते हैं. बातचीत में उन्होंने यह भी माना था कि मुख्यमंत्री के साथ उनके रिश्ते बहुत अच्छे नहीं है. ऐसे में योगी आदित्यनाथ से बृजभूषण की मुलाकात को लेकर सियासी गलियारे में सवाल हैं कि क्या वह सीएम के साथ बेहतर रिश्ता बनाने पहुंचे थे या फिर यूपी में होने वाली कैबिनेट फेरबदल में अपने बेटे को सेट करने की कवायद में गए थे.
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सीएम योगी और बृजभूषण सिंह के रिश्ते
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पहले बृजभूषण शरण सिंह ने सियासत में कदम रखा. वह छह बार संसद सदस्य रहे हैं, पांच बार बीजेपी से और एक बार सपा से चुने गए. बृजभूषण पहली बार 1991 में गोंडा से सांसद बने, जबकि योगी आदित्यनाथ 1998 में पहली बार गोरखपुर से लोकसभा पहुंचे. योगी आदित्यनाथ के सांसद चुने जाने से पहले बृजभूषण दो बार सांसद बन चुके थे.
बृजभूषण शरण सिंह भी गोरक्षनाथ पीठ से जुड़े हुए हैं. राम मंदिर आंदोलन के दौरान वह सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ के करीब रहे हैं. महंत अवैद्यनाथ को योगी और बृजभूषण दोनों ही अपना गुरू मानते हैं. पूर्वांचल की सियासत में इन दोनों नेताओं की अपनी-अपनी सियासी हनक है, क्योंकि दोनों मजबूत क्षत्रिय नेता माने जाते हैं. योगी का सियासी दबदबा गोरखपुर बेल्ट में है, तो बृजभूषण की सियासी तूती देवीपाटन मंडल में बोलती है.
CM योगी से कैसे दूर हुए बृजभूषण शरण
योगी आदित्यनाथ के 2017 में यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद से उनके साथ बृजभूषण शरण सिंह के रिश्ते बिगड़ने लगे. सियासी अहंकार भी टकराने लगे, जिसके चलते बृजभूषण सिंह ने मुख्यमंत्री से दूरी बना ली. आज तक से बातचीत में उन्होंने यह भी माना था की बहुत अच्छे संबंध योगी आदित्यनाथ से उनके नहीं हैं. यही नहीं सीएम योगी आदित्यनाथ के कई फैसलों से वह पूरी तरीके से नाइत्तेफाकी रखते हैं. वहीं, बृजभूषण के साथ रिश्ते पर योगी ने कभी कुछ नहीं बोला है.
बृजभूषण शरण कई बार योगी सरकार के खिलाफ बयान दे चुके हैं. योगी सरकार के कामकाज और नीतियों की बुराई उन्होंने कई मौकों पर की है. बृजभूषण ने सार्वजनिक रूप से अखिलेश यादव की कई बार तारीफ की है. वह सीएम योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर नीति के मुखर विरोधी रहे हैं. दोनों के करीबियों के मुताबिक बृजभूषण और योगी आदित्यनाथ के बीच दूरी जरूर थी, लेकिन पूर्वांचल और गोरखपुर की वजह से इतनी नजदीकी भी है कि वे चाह कर भी दूर नहीं हो सकते.
बृजभूषण सिंह के बेटों के ससुराल से मठ की नजदीकी किसी से छुपी नहीं है. बृजभूषण शरण सिंह के बेहद करीबी सूत्र बताते हैं पिछले कुछ महीने से सीएम योगी के साथ उनके रिश्तों की बर्फ पिघलने लगी थी. उनके दोनों बेटे कई बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल चुके हैं. इससे पहले 12 मार्च, 2022 को बृजभूषण ने सीएम आवास पर पहुंचकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. इसके बाद साल 2023 में बृजभूषण पर महिला पहलवानों ने शोषण के आरोप लगाए तो सीएम योगी का गोंडा कार्यक्रम रद्द हो गया. इसके बाद से बृजभूषण ने सीएम से बातचीत बंद कर दी थी और अब 31 महीने के बाद उनसे मिले हैं.
माना जा रहा है कि दिल्ली में सीएम योगी आदित्यनाथ की बीजेपी हाईकमान से हुई मुलाकातों ने इन दोनों को साथ आने पर मजबूर कर दिया है. अमित शाह पहले से पूर्वांचल में इन दो नेताओं की अलग-अलग लाइन लेने से खफा रहे हैं. यही नहीं बृजभूषण समाजवादी पार्टी के साथ अपने रिश्तों को खुलकर बताने में कभी परहेज नहीं किया. साथ ही वह संदेश देते रहे हैं कि उनके लिए अखिलेश यादव की पार्टी के दरवाजे हमेशा खुले हैं. ऐसे में बीजेपी उन्हें इग्नोर करने का रिस्क न ले.
बृजभूषण क्या बेटे को मंत्री बनवाना चाहते हैं?
दिल्ली की मुलाकातों के बाद लखनऊ में भी सियासी हलचल तेज हो गई है. माना जा रहा है कि एक बड़ा मंत्रिमंडल फेरबदल जल्द होगा. ऐसे में बृजभूषण शरण सिंह को अपने बेटे के लिए मौका भी दिखाई दे रहा है. बृजभूषण सिंह छह बार लोकसभा सांसद रहे हैं, लेकिन बाहुबली की छवि के चलते कभी मंत्री नहीं बन सके. उनके बड़े बेटे प्रतीक भूषण गोंडा सदर सीट से दूसरी बार विधायक हैं, तो छोटे बेटे करण भूषण कैसरगंज से सांसद हैं. बृजभूषण सिंह अपने सियासी जीवन में भले ही मंत्री नहीं बन सके, लेकिन अपने बेटे को मंत्री बनते देखना चाहते हैं. बृजभूषण सिंह का अपना सियासी प्रभाव कई जिलों में है, जिसके चलते उन्हें लगता है कि प्रतीक भूषण अगर मंत्री बन जाते हैं तो राजनीतिक रसूख बढ़ जाएगा.
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पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह के दिल्ली से रिश्ते ठीक हैं. बीजेपी नेतृत्व के साथ बेहतर सियासी समीकरण है और अगर सीएम योगी आदित्यनाथ से भी रिश्ते मधुर हो जाते हैं तो कैबिनेट में विधायक बेटे के लिए जगह बन सकती है. बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि उनके ऊपर आरोप लगने के बाद वह पहली बार सीएम योगी से मिले हैं. उन्होंने कहा कि मैंने तय कर लिया था कि जब सीएम बुलायेंगे तो मिलने जायेंगे, जब उन्होंने बुलाया तो मैं मिलने गया. आप कह सकते हैं, परिवार के दो लोगों ने अपना गम-शिकवा शेयर करने का काम किया. इसमें कुछ भी सियासी नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारा गोरखनाथ मठ से 56 साल पुराना रिश्ता है. हम दोनों लोगों ने साथ-साथ अच्छे वक्त बिताए हैं. इसलिए कोई मनमुटाव नहीं है.
कुमार अभिषेक