कानपुर मेडिकल कॉलेज से असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़ने के बाद शाहीन के बारे में एक बड़ा खुलासा हुआ है. जांच एजेंसियों को उसके पासपोर्ट से ट्रैवल ट्रेल मिला है, जिससे पता चला है कि वह 2016 से 2018 के बीच दो साल UAE में नौकरी कर रही थी. शक है कि यहीं से उसने पाकिस्तान के लिए रूट बदला.
जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग की कमान
जांच एजेंसियों को शक है कि UAE में रहते हुए ही डॉक्टर शाहीन को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग, जमात-ए-मोमिनात के लिए तैयार किया गया था. शाहीन ने 2013 में कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़ दी थी. 2009 से 2013 तक कानपुर में रहते हुए वह कई कट्टरपंथी लोगों के संपर्क में आ चुकी थी और उसने हिजाब पहनना भी शुरू कर दिया था.
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शाहीन के 2013 में नौकरी छोड़ने के बाद की ट्रैवल हिस्ट्री पर जांच एजेंसी ने अब अपनी कार्रवाई तेज कर दी है. UAE में उसकी नौकरी का खुलासा होने के बाद यह शक और गहरा गया है कि उसने आतंकी गतिविधियों के लिए अपनी विदेश यात्रा का इस्तेमाल किया. जांच एजेंसियां अब इस बात की पुष्टि कर रही हैं कि UAE प्रवास के दौरान किन लोगों से उसका संपर्क रहा.
कानपुर से प्रयागराज तक पहुंची जांच
दिल्ली के लाल किले में हुए बम ब्लास्ट के बाद गिरफ्तार डॉ. शाहीन सईद से जुड़ी जांच अब प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू राजकीय मेडिकल कॉलेज तक पहुंच गई है. सुरक्षा एजेंसियां डॉ. शाहीन के पुराने रिकॉर्ड खंगाल रही हैं.
शाहीन ने वर्ष 1996 में एमबीबीएस में प्रवेश लिया था और 2002 में गर्ल्स हॉस्टल में रहते हुए यह पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उसने इसी कॉलेज से फार्माकोलॉजी में एमडी की डिग्री भी हासिल की. एमडी करने के बाद, उन्होंने 2006-07 में कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नौकरी जॉइन की थी.
सुरक्षा एजेंसियां शाहीन के सभी शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच कर रही हैं और उनके बैचमेट्स से भी जानकारी जुटा रही हैं. हालांकि, 2006 में एमडी के बाद उनका प्रयागराज मेडिकल कॉलेज से कोई सीधा नाता नहीं रहा. इस बीच, शाहीन की एमबीबीएस प्रवेश फॉर्म की फोटो और दोस्तों के साथ की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं.
2015 में आया बड़ा मोड़
2015 में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जफर हयात से तलाक के बाद शाहीन मानसिक रूप से टूट गई. इसी दौरान फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में उसकी मुलाकात डॉक्टर मुजम्मिल शकील से हुई, जिसने उसे वहां मेडिकल फैकल्टी की नौकरी दिलवाई.
मुजम्मिल से नजदीकी बढ़ने पर शाहीन जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग 'जमात-उल-मोमिनात' के संपर्क में आ गई. एजेंसियों के अनुसार, इसी संगठन ने उसे धीरे-धीरे महिला कमांडर के रूप में तैयार किया. वह अपनी मेडिकल पहचान की आड़ में जम्मू-कश्मीर, दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के बीच सफर करके आतंकी नेटवर्क को फंडिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने लगी.
संतोष शर्मा