'यह धर्मध्वज भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज', राम मंदिर में ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज लहराने के बाद कहा कि यह केवल धर्मध्वज नहीं, भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है. उन्होंने लॉर्ड मैकाले का भी उल्लेख किया और कहा कि गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना जरूरी है.

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पीएम मोदी ने राम मंदिर में की पूजा-अर्चना (Photo: ITG) पीएम मोदी ने राम मंदिर में की पूजा-अर्चना (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अयोध्या में राम मंदिर पर धर्मध्वज का लहराया. इस मौके पर पीएम मोदी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ रामलला के दर्शन-पूजन किए और राम दरबार में भी पूजा-अर्चना की. पीएम मोदी ने इस अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज अयोध्या नगरी भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और उत्कर्ष बिंदु की साक्षी बन रही है. उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण भारत, संपूर्ण विश्व राममय है. आज रामभक्तों के दिल में असीम आनंद है.

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पीएम मोदी ने कहा कि यह धर्मध्वज इतिहास के सुंदर जागरण का रंग है. इसका भगवा रंग, इस पर लगी सूर्यवंश की थाती रामराज की कीर्ति को प्रतिष्ठापित करती है. उन्होंने कहा कि यह ध्वज संकल्प है, यह संकल्प से सिद्धि की भाषा है, यह सदियों के संघर्ष की सिद्धि है, राम के आदर्शों का उद्घोष है. पीएम मोदी ने कहा कि यह धर्मध्वज संतों की साधना और समाज की सहभागिता की गाथा है. यह धर्मध्वज सत्यमेव जयते का उद्घोष करेगा. यह ध्वज 'प्राण जाए पर वचन न जाई' की प्रेरणा है.  

राम का अर्थ बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि राम यानी जनता के सुख को सर्वोपरि रखना. राम यानी आदर्श मर्यादा और सर्वोच्च चरित्र. हमें श्रीराम के व्यक्तित्व को समझना होगा. उन्होंने कहा कि आने वाले एक हजार वर्षों के लिए हम अपनी नींव मजबूत करेंगे. कोविदार वृक्ष की चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह इस बात का उदाहरण है कि अपनी जड़ों से कट जाते हैं, तो हमारा वैभव कहीं पन्नों में खोकर रह जाता है. अपनी विरासत पर गर्व का यह एक और अवसर है. आज से 190 साल पहले 1835 में मैकाले नाम के अंग्रेज ने भारत को अपनी जड़ों से भटकाने की नींव रखी थी.

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उन्होंने कहा कि 2035 में उस अपवित्र घटना को दो सौ वर्ष पूरे होने हैं. हमें आने वाले 10 वर्ष का लक्ष्य रखा है, गुलामी की मानसिकता को बदलना है. गुलामी की मानसिकता ने रामत्व को नकारा. पीएम मोदी ने कहा कि हर रामभक्त के हृदय में अद्वितीय संतोष है, असीम कृतज्ञता है, अपार-अलौकिक आनंद है. उन्होंने कहा कि सदियों के घाव भर रहे हैं. सदियों की वेदना आज विराम पा रही है. सदियों का संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि आज उस यज्ञ की पूर्णाहुति है, जिसकी अग्नि 500 वर्ष तक प्रज्वलित रही. जो यज्ञ एक पल भी आस्था से डिगा नहीं, एक पल भी विश्वास से टूटा नहीं. पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें...

पीएम के संबोधन की बड़ी बातें...

-ये धर्मध्वजा केवल एक ध्वजा नहीं, ये भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है. इसका भगवा रंग, इस पर अंकित सूर्यवंश की ख्याति, वर्णित ॐ शब्द और अंकित कोविदार वृक्ष रामराज्य की कीर्ति का प्रतीक है. ये ध्वज संकल्प है, सफलता है, संघर्ष से सृजन की गाथा है, सदियों से चले आ रहे स्वप्नों का साकार स्वरूप है. ये ध्वज संतों की साधना और समाज की सहभागिता की सार्थक परिणीति है.

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-ये ध्वज दूर से ही रामलाल के जन्मभूमि के दर्शन कराएगा. ये धर्मध्वज प्रेरणा बनेगा कि प्राण जाए, पर वचन न जाए यानी जो कहा जाए, वही किया जाए. ये धर्मध्वज 'कर्मप्रधान विश्व रचि राखा' का संदेश देगा. ये धर्मध्वज 'बैर न बिग्रह आस न त्रासा, सुखमय ताहि सदा सब आसा' की कामना करेगा.

-राम मंदिर का ये दिव्य प्रांगण भारत के सामूहिक सामर्थ्य की चेतना स्थली बन रहा है. यहां सप्त मंदिर बने हैं. यहां माता शबरी का मंदिर बना है, जो जनजातीय समाज के प्रेमभाव और आतिथ्य की प्रतिमूर्ति हैं. यहां निषादराज का मंदिर बना है. यह उस मित्रता का साक्षी है, जो साधन नहीं, साध्य को और उसकी भावना को पूजती है.

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-यहां एक ही स्थान पर माता अहिल्या हैं, महर्षि वाल्मीकि हैं, महर्षि वशिष्ठ हैं, महर्षि विश्वामित्र हैं, महर्षि अगस्त्य हैं और संत तुलसीदास हैं. रामलला के साथ-साथ इन सभी ऋषियों के दर्शन भी यहीं पर होते हैं. यहां जटायु जी और गिलहरी की मूर्तियां भी हैं, जो बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती हैं.

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-हमारे राम भेद से नहीं भाव से जुड़ते हैं. उनके लिए व्यक्ति का कुल नहीं, उसकी भक्ति महत्वपूर्ण है. उन्हें वंश नहीं, मूल्य प्रिय है. उन्हें शक्ति नहीं, सहयोग महान लगता है. आज हम भी उसी भावना से आगे बढ़ रहे हैं. पिछले 11 वर्षों में महिला, दलित, पिछड़े, अति-पिछड़े, आदिवासी, वंचित, किसान, श्रमिक, युवा हर वर्ग को विकास के केंद्र में रखा गया है.

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-देश का हर व्यक्ति, हर वर्ग, हर क्षेत्र जब सशक्त होगा, तब संकल्प की सिद्धि में सबका प्रयास लगेगा. सबके प्रयास से ही 2047 में जब देश आजादी के 100 साल का जश्न मनाएगा, तब तक हमें विकसित भारत का निर्माण करना ही होगा.

-आज अयोध्या फिर से वह नगरी बन रही है, जो दुनिया के लिए उदाहरण बनेगी. त्रेता युग की अयोध्या ने मानवता को नीति दी. 21वीं सदी की अयोध्या मानवता को विकास का नया मॉडल दे रही है. तब अयोध्या मर्यादा का केंद्र थी, अब अयोध्या विकसित भारत का मेरुदंड बनकर उभर रही है.

-भविष्य की अयोध्या में पौराणिकता और नूतनता का संगम होगा. सरयू जी की अमृतधारा और विकास की धारा एक साथ बहेगी. यहां आध्यात्म और AI, दोनों का तालमेल दिखेगा. ये धर्म धव्ज हमें संकल्पित करेगा नहीं दरिद्र कोउ दुखी न दीना. अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं.

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