दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बर्फ का पहाड़ यानी आइसबर्ग टूट कर खुले समुद्र में तैर रहा है. अब इसमें दरारें पड़ने लगी हैं, जिससे वैज्ञानिक चिंता में है. क्योंकि यह खुले समुद्र में घूम रहे जहाजों के लिए खतरा साबित हो सकता है. साथ ही समुद्र के जलस्तर में इजाफा कर सकता है. अगर किसी तटीय शहर के करीब तेजी से टूटता है तो सुनामी जैसी बड़ी लहरें उठा सकता है.
23 अप्रैल को यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सैटेलाइट सेंटीनल-1 ने इसकी नई तस्वीर ली है. यह पूरा आइसबर्ग, जिसे ए-68ए कहते हैं, वह तेजी से खुले समुद्र में घूम रहा है. गर्म समुद्र की तरफ बढ़ रहा है. साथ इसमे दरारें भी पड़ने लगी हैं. जो खतरनाक हैं. (फोटोः ESA/SENTINEL-1)
आपको बता दें कि ए-68 आइसबर्ग जब अंटार्कटिका से अलग हुआ था तब वह 6000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का था. धीरे-धीरे घटकर अब वो 5100 वर्ग किलोमीटर का बचा है. यह इतना बड़ा है कि इस पर पांच बार न्यूयॉर्क शहर को बसाया जा सकता है. (फोटोः रॉयटर्स)
पिछले तीन सालों से यह वेड्डेल सागर में घूम रहा है. इसी में से एक बड़ा टुकड़ा अलग होकर बाहर निकला है. जिसका नाम दिया गया है ए-68ए. अब ए-68ए में से भी एक टुकड़ा अलग हुआ है जिसका नाम है ए-68सी.
ए-68ए आइसबर्ग 175 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का है. ए-68 आइसबर्ग जुलाई 2017 में अंटार्कटिका के लार्सेन सी से टूट कर अलग हुआ था. तब से यह लगातार खुले और गर्म समुद्र की तरफ आगे बढ़ रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)
यह किस तरफ जा रहा है यह बता पाना वैज्ञानिकों के लिए आसान नहीं है. लेकिन फिलहाल इसकी दिशा देखकर ऐसा लगता है कि अभी यह दक्षिणी अमेरिका के नीचे की तरफ स्थित दक्षिणी जॉर्जिया और दक्षिणी सैंचविच आइलैंड की तरफ जा रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)
इस आइसबर्ग का अध्ययन करने वाले जियोलॉजिस्ट एड्रियन ल्यूकमैन ने बताया कि हो सकता है कि यह टूटने के बाद भी हमारे साथ कई वर्षों तक रहे. क्योंकि यह जितना बड़ा है, उसे खत्म होने में काफी समय लगेगा. (फोटोः रॉयटर्स)
एड्रियन ल्यूकमैन स्वानसी यूनिवर्सिटी में जियोलॉजी के प्रोफेसर हैं. साथ ही तीन सालों से इस आइसबर्ग पर नजर रख रहे हैं. उन्होंने इस आइसबर्ग से अलग होते हुए एक बड़े बर्फ के टुकड़े को देखा था. उसका नाम है ए-68सी. यह 19 किलोमीटर लंबा है. (फोटोः रॉयटर्स)
एड्रियन ल्यूकमैन कहते हैं कि ए-68 से अलग हुए टुकड़े का आकार करीब 175 वर्ग किलोमीटर है. लेकिन यह आइसबर्ग बेहद पतला है. मैं हैरान हूं कि इतना पतला आइसबर्ग इतने सालों से पिघला क्यों नहीं. (फोटोः रॉयटर्स)
ए-68 को 9 दिसंबर को क्रूज शिप एमएस एक्सीपडिशन ने देखा था. 6 फरवरी 2020 से यह खुले समुद्र में आकर तैरने लगा. 10 मार्च 2020 को एमवी वर्ल्ड एक्सप्लोरर ने इसे दक्षिणी अमेरिकी के नीचे समुद्र में तैरते हुए देखा था. (फोटोः विकिपीडिया)
दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग बी-15 है. जो अंटार्कटिका से साल 2000 में टूटकर अलग हुआ था. इसका क्षेत्रफल 11 हजार वर्ग किलोमीटर है. (फोटोः विकिपीडिया)