देश को झकझोर देने वाले पुलवामा आतंकी हमले को हुए 1 साल का वक्त बीतने जा रहा है. इस एक साल में देश के हालात तो काफी बदल गए लेकिन इस हमले में अपनी जान गंवाने वाले शहीदों के परिवारों के हालातों में कोई बदलाव नहीं आया है. देश के लिए जान की कुर्बानी देने वाले शहीद के परिवार वालों की आंखें अपने लाड़लों को याद कर आज भी नम हो जाती हैं.
आतंकी हमले के बाद शहीदों के परिवारों के प्रति हमदर्दी जताने वालों का तांता लगा रहा. मंत्रियों से लेकर नेताओं तक और कंपनियों से लेकर संस्थाओं तक, हर किसी ने भरपूर मदद का वादा किया लेकिन शहादत का हर्जाना देकर सरकारों ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया. वक्त के साथ परिवार से किए गए वादे भी फाइलों में दफन हो गए.
पुलवामा हमले में अपनी शहादत देने वाले अश्वनी की मौत पर आंसू बहाने वालों की कोई कमी नहीं थी. सरकारों तक ने इस परिवार को भरपूर मदद का भरोसा दिलाया. परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी से लेकर गांव में खेल के मैदान का नामकरण अश्विनी के नाम करने के वादे किए गए लेकिन वादों को अमलीजामा पहनाने की सुध किसी ने भी नहीं ली. अब हालत यह हो गए हैं कि शहीद का यह परिवार खुद अपने पैसों से अश्विनी की मूर्ति लगाने की कोशिशों में जुटा हुआ है. शहीद की मां आज भी उस पल को याद कर रो पड़ती हैं जब उन्हें इस हमले में अपने बेटे के शहीद होने की खबर मिली थी.
14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले का 1 साल पूरा होने जा रहा है. जबलपुर के सिहोरा से लगा खुडावल का यही वह गांव है जिसने भारत माता के लाल शहीद अश्विनी कुमार को पैदा किया. 14 फरवरी 2019 के दिन को याद कर शहीद अश्विनी के परिवार वालों की आंखें आंसुओं से भीग जाती हैं. चंद घंटों तक बेटे से बात ना हो पाने के चलते परिजन अनेक आशंकाओं से घिरे ही हुए थे कि एक फोन कॉल के जरिये मनहूस खबर घर पहुंची थी.
सिहोरा के खुडावल की धरती शहीदों की धरती है. भारत माता की सेवा के लिए यहां के दर्जनों युवाओं ने सेना को चुना. देश की सेवा का ऐसा ही जज्बा और जुनून लेकर अश्विनी कुमार भी सीआरपीएफ में भर्ती हुए था. शहादत के पहले तक अश्विनी अक्सर अपने परिवार और दोस्तों से मज़ाकिया लहजे में देश के लिए अपनी जान देने की बातें किया करता था और तिरंगे में लिपटकर वापस गांव आने की बातें करता था.
अश्विनी के कहे एक-एक शब्द उसके परिवार को याद तो है लेकिन उन्हें इस बात का जरा भी अंदाज़ा नहीं था कि उसकी कही बातें एक दिन सच साबित होंगी.
आतंकी हमले में जवान बेटे की शहादत के बावजूद भी इस परिवार का हौसला और देश की सेवा का जज्बा कम नहीं हुआ है. अश्विनी के परिवार की यह बेटी भी अब अश्विनी की राह पर चलने के लिए बेताब है. शहीद के इस परिवार की बेटी भी पुलिस या फिर सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहती है.