जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बीते साल 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए भीषण आतंकी हमले को एक साल होने जा रहा है. आतंकियों के इस कायराना हमले में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे, जिसमें बिहार के लाल रतन ठाकुर भी शामिल थे. एक साल बाद इन शहीदों के परिवार का क्या है हाल? क्या सरकार ने शहीदों के परिजनों से जो वादे किए थे वो पूरे हुए या आज भी वो सरकारी वादों के बोझ तले ही जीवन बिताने पर मजबूर हैं? हमने की है इसकी पड़ताल.
बिहार के भागलपुर के रहने वाले रतन ठाकुर भी शहीद होने वाले उन जांबाजों में शामिल थे जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए थे. शहीद होने के एक साल बाद हम उनके घर पहुंचे और उनके परिवार का हाल जाना. शहीद रतन ठाकुर के परिवार ने आजतक को बताया कि बेटे के शहीद होने के बाद राज्य सरकार और सीआरपीएफ ने जो वादे किए थे वो पूरे हो गए हैं और उन्हें आर्थिक सहायता भी मिली है. हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि अब भी कई वादे अधूरे हैं.
उनके पिता ने बताया कि अंबानी फाउंडेशन की तरफ से बच्चों की अच्छी शिक्षा का वादा किया गया था जो अब तक पूरा नहीं हुआ. हालांकि उन्होंने इसके साथ ही यह भी बताया कि कुछ स्थानीय सामाजिक संगठनों और निजी स्कूल ने शहीद रतन ठाकुर के बच्चों की शिक्षा का जिम्मा उठाया है जिससे वो खुश हैं.
पुलवामा हमले पर सरकार की तरफ से जो जांच करवाई जा रही है उनपर उन्होंने थोड़ी नाखुशी जाहिर की क्योंकि अब तक हमले का कारण साफ नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि अब तक सरकार ने इस पर उन्हें कोई जानकारी नहीं दी है.
बता दें कि जब हमने शहीद रतन ठाकुर की पत्नी से पति के शहीद होने के बाद सरकार के किए वादों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि सरकार ने अपने वादे पूरे किए है और मुआवजे की राशि से भी वो संतुष्ट हैं.