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अजगरों की बस्ती में खुले घूमते हैं अजगर, 'एनाकोंडा' फ‍िल्म जैसा द‍िखता है नजारा

aajtak.in
  • 31 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST
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मध्य प्रदेश के मंडला में कान्हा नेशनल पार्क से लगे जंगल के करीब दो हेक्टेयर इलाके में अजगरों की बस्ती है, यहां चट्टान और गुफाओं में बड़ी संख्या में अजगर निवास करते है. अजगरों की इस बस्ती को 'अजगर दादर' और 'दमदमा' के नाम से जाना जाता है. ठंड के दिनों में यहां एक–दो नहीं बल्कि अनेक अजगरों अपने बिलों से बाहर निकल कर धूप सेंकते देखे जा सकते हैं. यहां कुछ-कुछ फ‍िल्म एनाकोंडा जैसा नजारा द‍िखता है जहां ढेर सारे अजगर नजर आते हैं. विभाग अब इसे 'रॉक पायथन सैंक्चरी' बनाने की कवायद में जुट गया है. यह जगह मध्य प्रदेश में मंडला ज‍िले के अंजनिया वन परिक्षेत्र अंतर्गत ककैया गांव में है.

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अजगरों की इस बस्ती को अजगर दादर के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस जंगल और मैदान में अजगरों का बसेरा है. यहां बड़े शरीर वाला अजगर अपनी मस्तानी चाल से बेफिक्र चल कर धूप सेंकता है तो अन्य अजगर चट्टानों के बीच सुरक्षात्मक तरीके से आराम फरमाते हैं. अजगरों की यह बस्ती अब धीरे-धीरे मशहूर हो रही है और यहां अजगरों को देखने लोग पहुंच रहे हैं. पर्यटक कहते हैं कि अब तक उन्होंने किताबों और फिल्म में ही अजगर देखे थे, अब उन्हें सजीव अपने सामने देखना सुखद अनुभव है.

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पर्यटक भी अजगर दादर की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं. पर्यटकों का कहना है कि यह बहुत अच्छी जगह है. अच्छी ठंड की वजह से बड़ी संख्या में अजगर धूप सेंकने निकल रहे हैं. पर्यटक इस तरह अजगर जैसे विशाल जीव को अपने सामने रेंगते देख रोमांचित हो जाते हैं.

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स्थानीय लोग बताते हैं क‍ि दूर-दूर से लोग अजगर को देखने यहां आते हैं. सुबह-सुबह यहां बड़ी संख्या में लोगों को अजगर दिख रहे हैं.

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संबंध‍ित विभाग ने अजगरों की इस बस्ती को 'रॉक पायथन सैंक्चरी' बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है. उन्होंने बताया कि इसी मौसम में अगजर नजर आते हैं. उन्हें देखने कान्हा जाने वाले पर्यटक पहुंच रहे हैं. अजगरों की सुरक्षा के लिए स्टाफ तैनात रहता है.

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बताया जाता है कि सन 1926 में आई बाढ़ के बाद यह इलाका पूरी तरह पोला हो गया तो यहां चूहों, गिलहरी आदि जीवों ने अपना बसेरा बना लिया था. यह अजगरों का प्रिय भोजन माना जाता है. भोजन आदि के लिये अनुकूल इस पोले स्थान को अजगरों ने भी अपना आशियाना बना लिया और यह इलाका 'अजगर दादर' कहलाने लगा.

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अजगर कोल्ड ब्लडेड प्रजाति के होते हैं सर्दी के मौसम में अपनी प्रकृति के चलते अजगरों को सूर्य की रोशनी की जरूरत होती है जिसके लिए वे बाहर निकलते हैं और ग्रामीणों के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं. अजगरों का नर, मादा और बच्चों का यह तालमेल केवल इन्हीं दिनों देखने को मिलता है.

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