स्वीडन में कोरोना वायरस के मामले 18,600 से अधिक हो चुके हैं और यहां 2,194 लोगों की मौतें भी हो चुकी हैं. लेकिन इस देश में रेस्त्रां, बार, दुकानें और स्कूल खुले हैं. अलग तरह से कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अब दुनियाभर में स्वीडन की चर्चा होने लगी है, लेकिन कई लोग सरकार की व्यवस्था पर सवाल भी उठा रहे हैं.
स्वीडन में दुकानें और बार खोलने का फैसला किसी राजनीतिक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि देश के बड़े डॉक्टरों ने ही लिया. देश के संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ एन्डर्स टेगनेल ने कोरोना से लड़ने के लिए रणनीति तैयार की है. देश में काफी लोग उनकी प्रशंसा भी कर रहे हैं.
कोरोना के दौर में भी बार खोलने को लेकर स्वीडन में नियम बनाया गया है कि कोई भी बार में खड़ा नहीं रहेगा और एक दूसरे के बीच 5 फीट की दूरी रहेगी. वहीं, 50 से अधिक लोगों के जमा होने पर भी रोक है. रविवार को अधिकारियों ने ये भी कहा कि जिन रेस्त्रां और बार में लोग नियम तोड़ते मिल रहे हैं उन्हें बंद किया जा रहा है.
स्वीडन में पार्क में भी लोग जा रहे हैं और सनबाथ भी ले रहे हैं. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, वायरस से कुछ हद तक एक्सपोजर के साथ आम लोगों में इम्यूनिटी डेवलप करने और जिन लोगों को खतरा अधिक है उन्हें बचाने के लिए स्वीडन ने इस तरह की गाइडलाइन बनाई है. बता दें कि स्वीडन की आबादी करीब एक करोड़ है.
कई लोगों का आरोप है कि इकोनॉमी को चालू रखने के लिए स्वीडन में ऐसा किया गया है. हालांकि, कोरोना से लड़ाई के लिए नियम बनाने के दौरान इकोनॉमी के क्रैश करने की बात को भी ध्यान में रखा गया है. आर्थिक संकट पैदा होने की वजह से 2009 में ग्रीस में सुसाइड 40 फीसदी बढ़ गया था.
संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ एन्डर्स टेगनेल ने कहा कि किसी न किसी तरीके से सभी देशों को हर्ड इम्यूनिटी हासिल करनी ही होगी. ताकि वायरस फैलने को रोका जा सके.
एन्डर्स टेगनेल का कहना है कि स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हर्ड इम्यूनिटी कुछ हफ्तों में हासिल हो सकती है. हालांकि,
उन्होंने यह भी माना कि उनके पास सभी सवालों के जवाब नहीं हैं क्योंकि
वायरस के बारे में अब भी काफी कुछ पता नहीं है.