नदी और पहाड़ छोड़ परिंदों की उड़ान देख रहे लोग, भारत में बर्ड वॉचिंग का क्रेज

भारत में अब सफर का मतलब सिर्फ पहाड़ों या समुद्र तक सिमटा नहीं है. अब लोग उन जगहों की तलाश में हैं, जहां प्रकृति सचमुच सुकून देती है. देश के कुछ शहर इन दिनों पक्षी-दर्शन के नए ठिकाने बन गए हैं. इन नजारों की खूबसूरती इतनी गहरी है कि हर सैलानी इन्हें देखने खिंचा चला आता है.

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ये है भारत का नया ट्रैवल ट्रेंड (Photo: Pexels) ये है भारत का नया ट्रैवल ट्रेंड (Photo: Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST

यह तो हम सब जानते हैं कि प्रकृति में एक जादू होता है. जब भी हम हरियाली या खुले आसमान के नीचे जाते हैं, तो मन को एक अजीब सा सुकून मिलता है. विशेषज्ञ भी यही सलाह देते हैं कि अगर तनाव दूर करना है, तो शहर की भागदौड़ छोड़ो और थोड़ा समय जंगल में बिताओ. असल में, विज्ञान भी कहता है कि प्रकृति से जुड़ी चीजें देखने से हमारे शरीर में 'खुशी के हार्मोन' बढ़ते हैं और टेंशन वाला हार्मोन कम होता है.

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शायद इसलिए, आजकल के घूमने-फिरने के शौकीन लोगों ने तय कर लिया है कि अब सिर्फ भीड़भाड़ वाले हिल स्टेशन नहीं, बल्कि जंगल और वन्यजीवों को देखना भी जरूरी है. ट्रैवल प्लेटफॉर्म अगोडा के मुताबिक, भारत में प्रकृति-पर्यटन (Nature Tourism) का क्रेज बहुत तेजी से बढ़ रहा है. अब लोग सिर्फ शेर-चीते देखने वाली सफारी तक ही सीमित नहीं हैं, पक्षियों को देखना यानी 'बर्ड वॉचिंग' भी एक नया और बड़ा शौक बन गया है, जिसकी दीवानगी आज पूरी दुनिया पर चढ़कर बोल रही है.

पक्षी-दर्शन बना नया ट्रैवल ट्रेंड

ताजा आंकड़े हैरान करने वाले हैं. दरअसल, घरेलू और विदेशी- दोनों तरह के यात्रियों की रुचि अब भारत के शांत और प्राकृतिक स्थलों की ओर 41% तक बढ़ गई है. यह रुझान बताता है कि लोग अब सिर्फ मौज-मस्ती नहीं, बल्कि सुकून और प्रकृति के बीच कुछ पल बिताने की तलाश में हैं.

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सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में ‘बर्ड वॉचिंग’ का बाजार तेजी से फैल रहा है. ऐसा अनुमान है कि 2030 तक यह उद्योग करीब 3.6 अरब डॉलर का हो जाएगा. क्योकि अब लोग अपनी छुट्टियों की प्लानिंग शानदार होटलों या पार्टी डेस्टिनेशन को देखकर नहीं, बल्कि सूर्यास्त की सुनहरी रोशनी में उड़ते पक्षियों के झुंड को देखकर करते हैं. जहां प्रकृति अपने सबसे खूबसूरत और सच्चे रूप में दिखती है.

पक्षियों का प्रवास खूबसूरत दृश्य (Photo: Pexels)

इन महीनों में आते हैं सबसे ज्यादा पक्षी

हर साल सितंबर से नवंबर के बीच भारत की झीलें, दलदली जमीनें और जंगल परिंदों का घर बन जाते हैं. क्योंकि इसी दौरान यूरोप, साइबेरिया और मध्य एशिया से हजारों-लाखों प्रवासी पक्षी लंबी उड़ान भरकर भारत पहुंचते हैं. इन परिंदों की मौजूदगी से देश के कई इलाकों का नजारा बदल जाता है, झीलों के किनारे रंग-बिरंगे झुंड दिखाई देते हैं, आसमान में उड़ते पंखों की कतारें मानो कोई नई पेंटिंग रच रही हों. चाहे आप बर्ड लवर हों या नहीं, लेकिन इन पक्षियों की सामूहिक उड़ान, उनकी आवाजें और उनका सौंदर्य देखना ऐसा अनुभव है, जो दिल में बस जाता है और लंबे समय तक याद रहता है.

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कोच्चि: दक्षिण भारत का नया बर्ड हब

भारत में अब कुछ ऐसे शहर तेजी से उभरकर सामने आ रहे हैं, जिन पर पहले शायद लोगों का ज्यादा ध्यान नहीं जाता था. इनमें सबसे आगे है केरल का कोच्चि, जो अब सिर्फ मसालों की खुशबू और पुराने बंदरगाहों के लिए ही नहीं, बल्कि पक्षी-दर्शन (बर्ड वॉचिंग) के लिए भी दुनिया भर में पहचान बना रहा है.

आंकड़ों के मुताबिक, कोच्चि में विदेशी सैलानियों की रुचि सालाना 2.6 गुना तक बढ़ी है. हांगकांग, ताइवान और सिंगापुर जैसे देशों से पर्यटक यहां खासतौर पर पहुंच रहे हैं. इसके अलावा शहर के पास स्थित थट्टेकड़ और कुमारकोम पक्षी अभयारण्य प्रवासी पक्षियों जैसे साइबेरियन क्रेन और ब्राह्मणी चील का ठिकाना हैं. यही कारण है कि यहां हर साल सितंबर से नवंबर के बीच पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है. ऐसे में अगर आप रोमांच और सुकून दोनों एक साथ महसूस करना चाहते हैं, तो कोच्चि आपके लिए परफेक्ट जगह है.

 कटक: जहां झील में उतरते हैं हजारों परिंदे

ओडिशा का कटक, अब तेजी से पक्षी प्रेमियों का नया ठिकाना बनता जा रहा है. यहां स्थित चिल्का झील एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है, जो हजारों प्रवासी पक्षियों का ठिकाना है. पतझड़ के मौसम में यहां राजहंस, बगुले और रंग-बिरंगे सारस पक्षी आसमान और पानी के बीच एक रंगीन तस्वीर बना देते हैं. यही वजह है कि हाल के दिनों में कटक में बर्ड वॉचिंग से जुड़ी खोजों में करीब 33% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जो लोग प्रकृति की शांति और संस्कृति की गहराई को एक साथ महसूस करना चाहते हैं, उनके लिए कटक एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है, जहां हर नजर आपको कुछ नया दिखाती है और हर पल सुकून का एहसास कराती है.

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अलवर: रेगिस्तान में उड़ते रंग

राजस्थान का अलवर अपने शाही इतिहास और प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ अब पक्षी प्रेमियों के लिए भी नई पहचान बन गया है. यह शहर विश्व धरोहर स्थल केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर) से बस कुछ ही घंटों की दूरी पर स्थित है, जहां हर साल हजारों पक्षी प्रेमी पहुंचते हैं. हाल के आंकड़ों के मुताबिक, अलवर की यात्रा करने वालों की संख्या में 19% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यहां की दलदली जमीनें और झीलें, साइबेरियन क्रेन, बार-हेडेड गीज, पेंटेड स्टॉर्क जैसे दुर्लभ पक्षियों को करीब से देखने का मौका देती हैं. जो लोग बर्ड वॉचिंग की शुरुआत करना चाहते हैं, उनके लिए अलवर एकदम सही जगह है, क्योंकि यहां सुकून के साथ-साथ रोमांच भी है.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Photo: Pexels)

कोयंबटूर: जैव विविधता का खजाना

तमिलनाडु का कोयंबटूर भी इस लिस्ट में शामिल है. प्रसिद्ध नीलगिरि बायोस्फीयर के पास होने के कारण, यहां की खोजों में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह जगह सिर्फ पक्षियों को देखने वालों के लिए ही नहीं, बल्कि ट्रेकिंग और एडवेंचर के शौकीनों के लिए भी बहुत अच्छी है. वन्यजीव प्रेमी यहां नीलगिरि फ्लाईकैचर जैसे खास पक्षियों को देखने का मजा लेते हैं. 

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ठीक जैसे अफ्रीका की सफारी में 'महान प्रवास' देखना एक सपने जैसा होता है, वैसे ही भारत के ये बर्ड वॉचिंग स्पॉट भी एक अद्भुत और शांति भरा अनुभव देते हैं. अब यह साफ है कि लोग सुकून और प्रकृति के सच्चे नजारों को देखने के लिए शहर की चकाचौंध से दूर निकल रहे हैं.

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