आपका नाम वोटर लिस्ट से कट जाएगा... SIR का फायदा उठा कर साइबर क्रिमिनल्स लोगों को कर रहे कंगाल

SIR फॉर्म के नाम पर साइबर फ्रॉड लोगों से ठगी कर रहे हैं. इसे लेकर एडवाइजरी भी जारी की गई है. देश भर में वोटर लिस्ट अपडेट करने का प्रोसेस स्टार्ट है और इसी का फायदा उठा कर साइबर क्रिमिनल्स लोगों को ठग रहे हैं.

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SIR के नाम पर हो रही ठगी SIR के नाम पर हो रही ठगी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

देशभर में वोटर लिस्ट अपडेट हो रही है. इसी का फायदा उठाकर साइबर ठग एक नया तरीका अपना रहे हैं. SIR फॉर्म स्कैम. यह इतना असली और भरोसेमंद लगता है कि लोग इसे सरकारी काम समझकर अपनी निजी जानकारी शेयर कर दे रहे हैं. 

मध्य प्रदेश सरकार ने SIR के नाम पर हो रहे फ़्रॉड को लेकर एक एडवाइजरी भी जारी की है. इसमें लिखा है कि SIR फॉर्म के नाम पर हो रही धोखाधड़ी से सावधान रहे. इस एडवाइजरी में धोखाधड़ी के तरीकों के बारे में भी बताया गया है जिसे यूज करके साइबर क्रिमिनल्स लोगों को ठग रहे हैं. 

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SIR होता क्या है?

SIR यानी Special Intensive Revision. यह Election Commission का एक ऑफिशियल एक्सरसाइज होता है, जिसमें वोटर की जानकारी चेक की जाती है. जैसे पता, उम्र, नाम सही है या नहीं, नया वोटर जुड़ना है आदि. असली SIR का मकसद वोटर लिस्ट को सही और अपडेट रखना होता है. लेकिन असल परेशानी तब शुरू होती है, जब ठग इसी नाम का इस्तेमाल लोगों को फंसाने के लिए करते हैं.

स्कैम कैसे चल रहा है

साइबर ठग फोन, WhatsApp या SMS के ज़रिये लोगों से संपर्क करते हैं. वे खुद को इलेक्शन ऑफिसर या BLO बताकर बोलते हैं कि आपका SIR वेरिफिकेशन पूरा नहीं हुआ है और आपका नाम वोटर लिस्ट से हट सकता है. इसके बाद वे कहते हैं कि आपके नंबर पर OTP आया होगा, उसे बताइए ताकि वेरिफिकेशन पूरा हो सके.

यही OTP उनके लिए gateway बन जाता है. कुछ मामलों में फेक लिंक या ऐप भेजकर “SIR form डाउनलोड करो” कहा जाता है. लिंक पर क्लिक करते ही फोन में मैलवेयर आ सकता है. यानी वोटर वेरिफिकेशन के नाम पर शुरुआत होती है और पैसे उड़ जाने पर कहानी खत्म.

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OTP क्यों इतना खतरनाक है

साइबर क्रिमिनल्स के हाथ में जैसे ही ओटीपी मिला वो ये सबकुछ कर सकते हैं. 

  • UPI या बैंकिंग ऐप रीसेट कर लेते हैं

  • आपके ईमेल और सोशल मीडिया तक पहुंच बना लेते हैं

  • फोन का डेटा कॉपी कर लेते हैं

वोटर लिस्ट में आपका नाम कभी हटना था ही नहीं, लेकिन बैंक बैलेंस ज़रूर हट जाता है.

लोग आसानी से फंस क्यों रहे हैं

  • SIR एक असली सरकारी टर्म है

  • फोन कॉलर बहुत कॉन्फिडेंट और ऑफिशियल टोन में बात करता है

  • वोटर लिस्ट से नाम हटने का डर काम करता है

  • लोग अरजेंसी में फैक्ट चेक नहीं करते

  • बुज़ुर्ग और ग्रामीण यूज़र्स सबसे आसान टारगेट हैं

इलेक्शन कमीशन आपसे ओटीपी या बैंक डिटेल्स नहीं मांगता है.

  • OTP नहीं मांगता

  • UPI/बैंक डिटेल्स नहीं पूछता

  • WhatsApp लिंक से फॉर्म नहीं भरवाता

  • APK या ऐप डाउनलोड नहीं करवाता

  • वोटर लिस्ट हटाने की धमकी नहीं देता

अगर कोई ऐसा कह रहा है, वह ठग है. सरकारी अधिकारी नहीं.

अगर ऐसा कॉल आए तो क्या करें?

  • घबराएं नहीं, कॉल तुरंत काट दें

  • OTP, पासवर्ड, PIN किसी को न दें

  • अननोन लिंक या ऐप न खोलें

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  • अपने ज़िले के इलेक्शन ऑफिसर का नंबर खुद ढूंढकर वहीं पूछें

  • फ्रॉड हुआ हो तो बैंक को तुरंत अलर्ट करें और 1930 साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत करें

यह सिर्फ एक ऑनलाइन स्कैम नहीं है

वोट देना नागरिक का अधिकार है, इसलिए लोग इसे लेकर संवेदनशील होते हैं. ठग इसी भरोसे को टारगेट कर रहे हैं. इससे सिर्फ फिनांशिल लॉस नहीं होता, सिस्टम पर विश्वास भी प्रभावित होता है.

 

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