'The Crazy English'... रेल पटरी बिछाने वाले अंग्रेज मजदूर और अर्जेंटीना में फुटबॉल के पैशन बनने की कहानी

अर्जेंटीना में फुटबॉल महज एक खेल नहीं एक संस्कृति है. 90 फीसदी लोग इस खेल के प्रति अपनी रूचि जताते हैं. लेकिन आप जान कर हैरान होंगे कि अर्जेंटीना में फुटबॉल का पिता कोई माराडोना या मेसी नहीं है बल्कि ये तमगा मिला है स्कॉटलैंड के एक टीचर को जिन्होंने लगभग सवा सौ साल पहले वहां के स्कूलों में इस खेल को खेलना लोगों को सिखाया.

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अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में जश्न मनाते फुटबॉल प्रेमी (फोटो-AFP) अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में जश्न मनाते फुटबॉल प्रेमी (फोटो-AFP)

पन्ना लाल

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:06 PM IST

अर्जेंटीना फुटबॉल का नया चैम्पियन है. लियोनेल मेसी की कप्तानी में अर्जेंटीना कई भविष्यवाणियों, कई आशंकाओं को गोलपोस्ट में दागते हुए फुटबॉल का नया चैम्पियन बन गया है. डिएगो माराडोना, अल्फ्रेडो डी स्टेफानो और मेसी जैसे फुटबॉल के सुपर स्टार पैदा करने वाले इस देश में इस खेल के पहुंचने की कहानी उतनी ही रोमांचक है जितना रोमांचक रविवार को फाइनल मैच था. 

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फुटबॉल के जिस 'पागलपन' की खुमारी आज अर्जेंटीना पर छाई हुई है, लगभग 125 साल पहले ऐसी ही खुमारी इंग्लैंड से अर्जेंटीना आए ब्रिटिश प्रवासी मजदूरों पर छाई हुई थी. ब्रिटेन से रेल की पटरी बिछाने के लिए अर्जेंटीना आए इन अंग्रेज मजदूरों को जब लंच ब्रेक में यहां के स्थानीय लोग एक गोलनुमा चीज को पैरों से किक मारकर दौड़ते हुए देखते थे तो वे उन्हें 'पागल अंग्रेज' कहा करते थे. 

लेकिन तब ये लोग नहीं जानते थे कि यही पागलपन इस देश का नेशनल पैशन बनने वाला है.  

अर्जेंटीना के अखबार ब्यूनस आयर्स टाइम्स ने देश में फुटबॉल के लेजेंड बनने की कहानी विस्तार से बताई है. अर्जेंटीना फुटबॉल का दुनिया में प्रतिनिधित्व करने वाला Argentine Football Association बड़े गर्व से कहता है कि वह दक्षिण अमेरिका का सबसे पुराना फुटबॉल क्लब है और दुनिया में आठवां सबसे पुराना फुटबॉल का संगठन है.  Argentine Football Association का गठन 1893 में हुआ था. 

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रेल की पटरी बिछाने आए अंग्रेज लंच में खेलते थे फुटबॉल

अर्जेंटीना पर पहले स्पेन का शासन था.  1816 में ये देश स्वतंत्र हो गया. लेकिन तब दुनिया के दूसरों मुल्कों की तरह इस देश की आर्थिक हालत खस्ता थी. यूरोप का सिक्का तब भी चलता था. स्पेन के लोग चले गए तो अर्जेंटीना ने अपने देश में रेल की पटरियां बिछाने के लिए ब्रिटिश तकनीक और ब्रिटिश मजदूरों की सहायता ली. दरअसल अंग्रेजों का आगमन अर्जेंटीना रेलवे और ट्रामवे लाइनों के विकास में एक बड़ी भूमिका निभाई. 

अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में जीत का जश्न (फोटो-AFP)

अर्जेंटीना में फुटबॉल इन्हीं अंग्रेज मजदूरों के साथ आया. अंग्रेज मजदूर काम से फुरसत मिलते ही मनोरंजन के लिए फुटबॉल खलते. इसे खेलने के लिए कोई विशेष तैयारी की जरूरत थी नहीं, बस एक बॉल चाहिए था. 

The crazy English का title मिला

अंग्रेजों को एक गोल गेंद के पीछे दौड़ता और किक मारता देख यहां के लोगों को हैरानी होती. उन्होंने इससे पहले ये खेल देखा नहीं था. स्थानीय लोगों ने इन अंग्रेजों को The crazy English का टाइटल दिया. 

क्रिकेट पिच पर खेला गया अर्जेंटीना का पहला फुटबॉल मैच

दो अंग्रेजी आप्रवासियों, थॉमस और जेम्स हॉग ने 9 मई 1867 को ब्यूनस आयर्स में एक बैठक आयोजित की जहां ब्यूनस आयर्स फुटबॉल क्लब की स्थापना हुई थी. इस क्लब को ब्यूनस आयर्स क्रिकेट क्लब द्वारा ब्यूनस आयर्स के पर्लेमो में क्रिकेट मैदान का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी. 

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अर्जेंटीना के मशहूर Obelisk में जश्न मनाते लोग (Photo-AFP)

तो क्रिकेट मैदान के इसी पिच पर अर्जेंटीना का पहला फुटबॉल मैच 20 जून 1867 को खेला गया. इस मैच को ब्रिटिश कारोबारियों के दो ग्रुप के बीच खेला गया जो तब व्हाइट कैप और रेड कैप के नाम से जाने जाते थे. 
 
आप को जानकर हैरानी होगी कि अर्जेंटीना में फादर ऑफ फुटबॉल कोई दिग्गज खिलाड़ी नहीं बल्कि स्कूलों में फुटबॉल सिखाने वाले एक स्कूल टीचर को कहा जाता है. इनका नाम था एलेंक्जेंडर वाटसन हट्टन ( Alexander Watson Hutton). एलेंक्जेंडर वाटसन हट्टन स्कॉटलैंड के थे और अर्जेंटीना में रहते थे. एलेंक्जेंडर हट्टन ब्यूनस आयर्स के सेंट एंड्रयू स्कूल में 1880 के दशक में फुटबॉल सिखाते थे. इनकी की इस पहल को लोगों ने बड़ा सराहा. उन्होंने अंग्रेजों के फुटबॉल अनुशासन में स्कॉटिश तड़का लगाया और देखते ही देखते ये खेल देश में छा गया. 

इसी दौरान 21 फरवरी 1893 को अर्जेंटीना फुटबॉल एसोसिएशन (AFA) अपने वजूद में आया. 

जल्द ही अंग्रेज वर्कर अर्जेंटीना में अपना फुटबॉल क्लब बनाने लगे. आज भी अंग्रेजों द्वारा बनाए गए फुटबॉल अर्जेंटीना के टॉप फुटबॉल क्लब हैं. जैसे Rosario Central, न्यूवेल्ड ओल्ड ब्वॉयज और बैनफील्ड. 

इसी बीच अर्जेंटीना में इतालवी और स्पैनिश प्रवासियों की आमद भी आमद होती रही और इस देश का फटबॉल कल्चर ब्रिटिश न होकर मिक्स यूरोपियन हो गया. अर्जेंटीना को अंग्रेजों का शारीरिक अनुशासन वाला गेम कल्चर कम भाया. इन्होंने इस गेम में अपनी खासियत भरी फुटबॉल की अपनी शैली विकसित की. इस शैली को 'criollo' कहते हैं. 

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माराडोना को इसलिए कहते हैं D10s

अर्जेंटीना फुटबॉल की इसी शैली ने आगे चलकर डिएगो माराडोना और लियोनेल मेसी को जन्म दिया.  डिएगो माराडोना ने फुटबॉल में इतनी लोकप्रियता पाई कि वे एक कल्ट के रूप में बदल गए. जैसे सचिन को भारत में लोग क्रिकेट का भगवान कहते हैं वैसा ही दर्जा माराडोना को अर्जेंटीना समेत फुटबॉल की दुनिया में हासिल है. उन्हें D10s कहा जाता है. स्पैनिश में Dios का मतलब होता है भगवान, और माराडोना 10 नंबर की जर्सी पहनते थे, इसलिए ये उन्हें  D10s कहा जाता है. 

अर्जेंटीना में फुटबॉल खेल से आगे चलकर एक पहचान में बदल गया है. इसके लिए कुछ फैन्स हिंसक हो जाते हैं. आप जानकर हैरान होंगे कि इस साल खुद अर्जेंटीना की सरकार ने कतर प्रशासन को 6500 ब्लैकलिस्ट लोगों की सूची भेजी थी और इन्हें स्टेडियम न जाने देने की सलाह दी थी.  

अर्जेंटीना अबतक 3 बार वर्ल्ड कप जीता है. 1978 में, 1986 में और अब 2022 में. फीफा के अनुसार अर्जेंटीना के 90 फीसदी लोग फुटबॉल को लेकर अपनी दीवानगी जताते हैं. 


 

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