मुंबई का आजाद मैदान... वही मैदान जहां 5 दिसंबर (गुरुवार) को महायुति के तीन दिग्गजों देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने शपथ लेकर नए सिरे से राजनीतिक इनिंग्स की शुरुआत की. देवेंद्र महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बने, वहीं अजित और एकनाथ ने इस राज्य के उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. आजाद मैदान आजकल राजनीतिक रैलियों या कार्यक्रमों के लिए फेमस हो चुका है. लेकिन यही मैदान क्रिकेट जगत के कई ऐतिहासिक पलों का गवाह बन चुका है.
साल 1988 में इसी मैदान पर रमाकांत आचरेकर के दो शिष्यों ने ऐसा प्रदर्शन किया था, जिसकी गूंज पूरे क्रिकेट जगत में सुनने को मिली थी. दरअसल उस साल 23-25 फरवरी के दौरान आजाद मैदान पर हैरिस शील्ड का सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया था. उस मुकाबले में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने शारदाश्रम विद्यामंदिर टीम की ओर से सेंट जेवियर हाई स्कूल के खिलाफ नाबाद 664 रनों की अविश्वसनीय साझेदारी की थी.
इस पार्टनरशिप के दौरान सचिन 326 और विनोद कांबली 349 रनों पर नाबाद रहे थे. तब क्रिकेट के किसी भी आयु वर्ग में किसी विकेट के लिए यह सबसे बड़ी पार्टनरशिप थी. सचिन और कांबली ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों टी. पल्टन और एन. रिपन के बनाए गए 641 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा था. हालांकि, 19 साल बाद हैदराबाद में मनोज कुमार और मो. शैबाज ने 721 रनों की साझेदारी कर सचिन-कांबली का रिकॉर्ड तोड़ दिया था. खास बात यह है कि उसी मैच में कांबली ने गेंद से भी जलवा दिखाया और 37 रन देकर 6 विकेट झटके थे.
वह महासाझेदारी सचिन और कांबली के क्रिकेट करियर के लिए एक टर्निंग पॉइंट रही. उस पार्टनरशिप ने मुंबई और भारतीय टीम में दोनों खिलाड़ियों के चयन का रास्ता बनाया. सचिन तो अगले ही साल (1989) पाकिस्तान के खिलाफ कराची टेस्ट के जरिए इंटरनेशनल डेब्यू करने में सफल रहे. तब सचिन की उम्र सिर्फ 16 साल और 205 दिन थी, जबकि उनके जिगरी दोस्त कांबली को थोड़ा इंतजार करना पड़ा. कांबली ने अक्टूबर 1991 में पाकिस्तान के खिलाफ शारजाह के मैदान पर अपना वनडे डेब्यू किया. जबकि फरवरी 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ ईडन गार्डन्स में अपने करियर का पहला टेस्ट मैच खेला.
टेस्ट क्रिकेट में विनोद कांबली की शुरुआत इतनी शानदार रही थी कि पहले सात टेस्ट मैचों में उन्होंने चार शतक जड़ दिए, जिसमें दो तो डबल सेंचुरी थी. भारत की तरफ से टेस्ट क्रिकेट सबसे तेज 1000 रन बनाने का रिकॉर्ड अब भी विनोद कांबली के नाम पर ही दर्ज है. कांबली ने महज 14 पारियों में ही यह उपलब्धि हासिल कर ली थी. कांबली ने 18 नवंबर 1994 को वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए मुकाबले के जरिए टेस्ट में अपने 1000 रन पूरे कर लिए थे.
इसी बीच वनडे में भी विनोद कांबली ने कुछ शानदार पारियां खेलीं. 18 जनवरी 1993 को कांबली ने अपने 21वें जन्मदिन पर वनडे इंटरनेशनल में शतक जमाकर खास उपलब्धि हासिल की थी. उन्होंने जयपुर में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 100 रनों की पारी खेली थी. सचिन तेंदुलकर, सनथ जयसूर्या, रॉस टेलर, टॉम लैथम, मिचेल मार्श और विराट कोहली ही ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने अपने जन्मदिन पर वनडे इंटरनेशनल में शतक जमाए.
24 साल की उम्र में खेला आखिरी टेस्ट, वनडे टीम से होते रहे बाहर
बल्ले से धांसू प्रदर्शन करके विनोद कांबली रातों रात सुर्खियों में आ गए. सचिन तेंदुलकर की तरह ही उन्हें टीम इंडिया का अगला स्टार कहा जाने लगा. हालांकि समय के साथ-साथ कांबली की किस्मत में जबरदस्त बदलाव हुआ. जहां सचिन ने इंटरनेशनल क्रिकेट में रनों का अंबार लगा दिया. वहीं कांबली का इंटरनेशनल क्रिकेट अर्श से फर्श पर आ गया. जब एक बार कांबली टीम से निकल गए तो फिर उन्हें वापस लौटने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. वह अपना पुराना फॉर्म फिर वापस नहीं पा सके.
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विनोद कांबली नौ बार भारत की वनडे टीम में कमबैक किया. मगर टेस्ट क्रिकेट में वो चाहकर भी वापसी नहीं कर पाए, जहां उन्होंने शुरुआती मैचों रनों का अंबार लगाया था. कांबली ने अपना आखिरी टेस्ट मैच नवंबर 1995 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला, तब उनकी उम्र करीब 24 साल थी. कांबली एक आकर्षक स्ट्रोक प्लेयर रहे. आप इसे इस बात से समझ सकते हैं कि उन्होंने रणजी ट्रॉफी में अपनी पहली गेंद पर ही छक्का जड़ दिया था. स्पिनर्स के खिलाफ उनका फुटवर्क शानदार था और उन्होंने एक बार शेन वॉर्न के एक ओवर में 22 रन जड़ दिए थे. हालांकि कांबली अक्सर शॉर्ट गेंदों के खिलाफ फंस जाते थे, जो उनके क्रिकटिंग करियर के जल्द पतन का कारक बनी.
अक्टूबर 2000 के बाद विनोद कांबली को भारत की वनडे टीम में नहीं चुना गया. उनका आखिरी वनडे मुकाबला श्रीलंका के खिलाफ शारजाह में था. साल 2009 में कांबली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया, जबकि 2011 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की. कांबली भारत के लिए 17 टेस्ट और 104 वनडे इंटरनेशनल मुकाबले ही खेल पाए. बाएं हाथ के बल्लेबाज कांबली ने टेस्ट में 54.20 की औसत से 1084 रन बनाए, जिसमें चार शतक और तीन अर्धशतक शामिल रहे. वहीं वनडे इंटरनेशनल में उन्होंने 32.59 के एवरेज से 2477 रन बनाए. वनडे इंटरनेशनल में कांबली के बल्ले से दो शतक और 14 अर्धशतक निकले.
विवादों के चलते बटोरी सुर्खियां... क्या सचिन से नहीं मिला सपोर्ट?
विनोद कांबली का जब क्रिकेट करियर पटरी से उतर रहा था, उस वक्त वो बाहरी गतिविधियों के चलते भी सुर्खियां बटोर रहे थे. नाइट क्लब में पार्टी करने, नाचना-गाने के तो वो शौकीन थे ही... शराब की लत ने भी उनकी जिंदगी को तबाह करने में अहम रोल निभाया. साल 2009 में 'सच का सामना' नाम के एक रियलिटी शो के दौरान कांबली ने कुछ चौंकाने वाले दावे किए, जिसने उन्हें क्रिकेट जगत से अलग-थलग कर दिया. कांबली ने उस शो के दौरान भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) को भी नहीं बख्शा और 'पक्षपात' का आरोप लगाया. उन्होंने 1996 के वर्ल्ड कप के दौरान टीम चयन पर भी सवाल उठाए. कांबली ने उस शो के दौरान ये भी कहा कि जब वो मुश्किल दौर से गुजर रहे थे तो सचिन तेंदुलकर ने उनकी मदद नहीं की. कहा जाता है कि उस शो के बाद से सचिन के साथ उनकी दूरियां बढ़ीं.
सचिन तेंदुलकर ने नवंबर 2013 में अपनी फेयरवेल स्पीच के दौरान विनोद कांबली का जिक्र नहीं किया था, जिसे लेकर कांबली का दर्द छलक पड़ा था. कांबली ने तब सार्वजनिक तौर पर कहा था कि फेयरवेल स्पीच के दौरान सचिन ने उनका नाम नहीं लिया जिससे उन्हें दुख पहुंचा. कांबली को उम्मीद थी कि फेयरवेल स्पीच में सचिन 664 रनों की पार्टनरशिप का जिक्र करेंगे, जिसने दोनों के करियर को बनाया. उसके बाद ही हर आदमी को मालूम हुआ कि सचिन और कांबली कौन है... सचिन ने बाद में विदाई पार्टी में भी कांबली को नहीं बुलाया, जिसका कांबली को अब भी मलाल है. सचिन ने कभी भी कांबली के बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं दी. वैसे साल 2014 में सचिन ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उनमें और कांबली में एक बड़ा फर्क था और वो था लाइफ स्टाइल का.
विनोद कांबली की निजी जिंदगी भी उतार-चढ़ाव भरी रही. दरअसल कांबली ने पहली शादी 1998 में नोएला लुईस से की थी, जो पुणे के होटल ब्लू डायमंड में रिसेप्शनिस्ट थीं. यह लव लाइफ ज्यादा दिन नहीं चली और तलाक हो गया. फिर कांबली ने मॉडल एंड्रिया हेविट से शादी कर ली. कांबली का एक बेटा जीसस क्रिस्टियानो कांबली और एक बेटी है. जुलाई 2018 में कांबली और उनकी पत्नी एंड्रिया विवादों में आ गए थे. तब एंड्रिया ने सिंगर अंकित तिवारी के पिता राज कुमार तिवारी को मुंबई के एक मॉल में सरेआम पंच मार दिया था. एंड्रिया ने राज कुमार पर गलत तरीके से छूने का आरोप लगाया था. साल 2022 में कांबली ने मुंबई में एक बिल्डिंग के गेट से अपनी कार टकरा दी. तब उन्हें कथित तौर पर शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था.
अब विनोद कांबली क्रिकेट की दुनिया से लगभग कट चुके हैं. कांबली की सेहत भी उतनी दुरुस्त नहीं है और वो 52 की उम्र में बेहद उम्रदराज लगते हैं. कांबली को ठीक से चल पाने में भी मुश्किल होती है. उनकी मानसिक स्थिति भी खराब बताई जा रही है. कांबली की आर्थिक हालत वैसी नहीं है कि वो सही से अपना इलाज करा सकें. हाल ही में मुंबई के प्रसिद्ध शिवाजी पार्क में रमाकांत आचरेकर की प्रतिमा का अनावरण किया गया, जिसमें सचिन और कांबली पहुंचे थे. सचिन जब कांबली के पास गए तो उन्होंने अपने बचपन के यार का हाथ पकड़ लिया. कांबली हाथ छोड़ने को तैयार नहीं थे, लेकिन पास मौजूद शख्स ने सचिन को वहां से जाने को कहा.
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विनोद कांबली ने कोचिंग, रियलिटी शो और यहां तक कि राजनीति में भी हाथ आजमाया. लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो सके. आज की युवा पीढ़ी को कांबली की जिंदगी काफी सीख देती है... आप में टैलेंट कितना भी हो, लेकिन यदि अनुशासन नहीं है तो आपकी जिंदगी भी पटरी से उतर सकती है. ये किस्मत का खेल ही कहेंगे कि शुरुआती सात मैचों में चार टेस्ट शतक जड़ने वाला प्लेयर आज बड़ी मुश्किल से अपनी जिंदगी काट रहा है. लेकिन, हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि इस स्टार बल्लेबाज की मदद के लिए BCCI (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड), उनके साथ रहे क्रिकेटर खासकर सचिन तेंदुलकर सपोर्ट के लिए आगे आएं.
अनुराग कुमार झा