क्रिकेट के मैदान पर शायद ही ऐसी कोई चुनौती रही हो जो विराट कोहली को विचलित कर सके. हालांकि 2011 के वेस्टइंडीज दौरे पर पदार्पण टेस्ट में फिडेल एडवडर्स ने उन्हें खास परेशान किया, लेकिन कोहली ने उससे निपटने का तरीका तलाशने में देर नहीं की.
टेस्ट क्रिकेट में वह मनचाहे अंदाज में पदार्पण नहीं कर सके और मीडिया से बातचीत के दौरान उनकी बातों में थोड़ी चिंता और भ्रम झलक रहा था. लेकिन उन्होंने चुनौतियों से लड़ना नहीं छोड़ा और 2014 से 2019 के बीच ऐसी ऊंचाइयों को छुआ जहां आधुनिक दौर के कई क्रिकेटर नहीं पहुंच पाए हैं. कोहली ने रन और शतकों की झड़ी लगा दी और भारत को टेस्ट क्रिकेट में कुछ बेहतरीन ऊंचाइयों और यादगार जीत तक पहुंचाया.
उनका यह प्रदर्शन युवा बल्लेबाजों के लिए ‘ब्लूप्रिंट’ है, जिन्हें कोहली और रोहित शर्मा के बाद भारतीय क्रिकेट की कमान संभालने का काम सौंपा गया है. इनमें से कुछ पर चर्चा की गई है.
अगली पीढ़ी के स्टार में शुभमन गिल सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं जो आने वाले दिनों में संभवत: भारत के मुख्य बल्लेबाज और टेस्ट कप्तान हो सकते हैं. शायद यह एक संयोग है ही है कि गिल भी कोहली के सामने खुद को उनके ही स्थान पर पाते हैं जब वह 25 साल के थे जिसमें उनका टेस्ट रिकॉर्ड औसत था.
पंजाब के इस खिलाड़ी ने 32 टेस्ट में 35 की औसत से 1893 रन बनाए हैं. लेकिन गिल का इंग्लैंड में रिकॉर्ड औसत है जिसमें तीन टेस्ट में 14.66 की औसत से 88 रन शामिल हैं. अब देखना होगा कि क्या पंजाब का यह खिलाड़ी इंग्लैंड में अपनी किस्मत बदलने में अपने शानदार सीनियर की बराबरी कर सकता है. कोहली की तरह गिल को भी अपनी बल्लेबाजी में अनुशासन लाना होगा और स्विंग के लिए शरीर के करीब बल्लेबाजी करने की आदत बनानी होगी.
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यशस्वी जायसवाल
जायसवाल का इंग्लैंड में पारी की शुरुआत करना निश्चित है. वह वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और भारत में यह काम पहले ही कर चुके हैं. लेकिन इंग्लैंड के अपने पहले दौरे पर यह काम कठिन होगा. जायसवाल ने ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज में रन बनाते हुए अपनी तकनीक और संयम दिखाया.
लेकिन उन्हें इंग्लैंड में ‘लेट स्विंग’ में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा और इसके लिए उन्हें अपने तेज ड्राइव और कट पर नियंत्रण रखना होगा. गेंद छोड़ने पर अधिक ध्यान देना होगा और आक्रमण करने के लिए सही मौका देखना होगा.
यह कोई तकनीकी बदलाव नहीं है, लेकिन एक मानसिक बदलाव है और वह कोहली की ‘प्लेबुक’ से सीख सकते हैं. 2014 में संघर्ष के बाद कोहली ने 2018 में एंडरसन और ब्रॉड की ‘लेट स्विंग’ से निपटना सीखा और उन्होंने 5 मैचों में 59 की औसत से 593 रन बनाए.
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ध्रुव जुरेल
24 वर्षीय जुरेल दूसरे विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर ऋषभ पंत के पीछे एक अच्छा बैक-अप विकल्प हैं. इंग्लैंड के खिलाफ पदार्पण श्रृंखला में उन्होंने प्रभावशाली प्रदर्शन किया लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वे प्रभाव नहीं छोड़ पाए.
जुरेल में टेस्ट क्रिकेट में लंबे समय तक खेलने के लिए हिम्मत और कौशल है. उन्होंने पिछले साल बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक अनौपचारिक टेस्ट में दो अर्द्धशतक बनाते हुए अपना कौशल दिखाया.
मुख्य कोच गौतम गंभीर ऐसे क्रिकेटरों को पसंद करते हैं जो मैदान में लड़ाई से कभी पीछे नहीं हटते और वह उस तरह के क्रिकेटर हैं.
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बी साई सुदर्शन
उनके इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली टीम में जगह बनाने की पूरी संभावना है और उनकी बेहतरीन बल्लेबाजी इंग्लैंड में काम आ सकती है जिससे वह जायसवाल की आक्रामक बल्लेबाजी के मुकाबले शांत और संतुलित बल्लेबाज बन सकते हैं. 23 वर्षीय सुदर्शन दोनों तरफ खेलना पसंद करते हैं और यह एक ऐसी चीज है जो इंग्लैंड में सफल होने में अहम होती है. उन्हें काउंटी क्रिकेट में सरे के लिए खेलने का भी अनुभव है. हालांकि, अभी तक उन्होंने टेस्ट में डेब्यू नहीं किया है.
सरफराज खान
27 वर्षीय सरफराज ने पिछले साल बेंगलुरू में न्यूजीलैंड के खिलाफ 150 रनों की आक्रामक पारी खेलकर दिखा दिया कि वह किसी भी आक्रमण को ध्वस्त कर सकते हैं. लेकिन उसके बाद से सामान्य फॉर्म और पसलियों की चोट ने उन्हें रोक दिया.
सरफराज के कौशल पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन मुंबई के इस खिलाड़ी को अपनी फिटनेस पर भी काम करने के लिए कहा जा सकता है. वह कोहली के फिटनेस के प्रति जुनून से कुछ सीख ले सकते हैं.
पर अब इनका मार्गदर्शन करने और उत्साहित करने के लिए कोई कोहली या रोहित शर्मा नहीं है तो उन्हें खुद ही जिम्मेदारी से खेलते हुए आगे बढ़ना होगा.
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