खराब मौसम, तेज हवाएं... फिर भी LVM3 रॉकेट ने किया कमाल, सैटेलाइट को सही जगह पहुंचाया

मौसम ने साथ नहीं दिया, लेकिन LVM3 ने फिर चमत्कार कर दिखाया. 2 नवंबर 2025 को ISRO ने श्रीहरिकोटा से CMS-03 सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च किया. 4410 किग्रा वजनी भारत का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट नौसेना के लिए हिंद महासागर में सुरक्षित संचार व निगरानी मजबूत करेगा. ISRO चीफ वी. नारायणन बोले कि हमारा स्पेस सेक्टर ऊंचाइयों को छू रहा है, नौसेना को नई ताकत मिलेगी.

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मौसम खराब होने के बाद भी रॉकेट सही से लॉन्च हुआ. (Photo: PTI) मौसम खराब होने के बाद भी रॉकेट सही से लॉन्च हुआ. (Photo: PTI)

आजतक साइंस डेस्क

  • श्रीहरिकोटा,
  • 02 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST

भारत के अंतरिक्ष इतिहास में आज एक और सुनहरा पल जुड़ गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने LVM3-M5 रॉकेट की मदद से CMS-03 (GSAT-7R) सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया. मौसम ने पूरी तरह साथ नहीं दिया—बादल घने थे, हवा तेज चल रही थी और बारिश की आशंका बनी हुई थी. लेकिन ISRO की टीम ने हार नहीं मानी.

बाहुबली रॉकेट ने बिल्कुल सटीक समय पर उड़ान भरी. सैटेलाइट को उसकी सही कक्षा में पहुंचा दिया. ये भारत का अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जिसका वजन करीब 4,410 किलोग्राम है. ये सैटेलाइट भारतीय नौसेना के लिए समुद्री इलाके में संचार व निगरानी को मजबूत करेगा.

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लॉन्च की मुश्किलें: मौसम की मार झेलकर भी जीत

सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से लॉन्च प्लान दोपहर का था. लेकिन सुबह से ही आसमान उदास था. तेज हवाओं ने रॉकेट की उड़ान को मुश्किल बना दिया. ISRO के वैज्ञानिकों ने रडार और मौसम की मॉनिटरिंग से घंटों इंतजार किया. आखिरकार, एक छोटे से विंडो का फायदा उठाकर लॉन्च हो गया. LVM3 रॉकेट ने सिर्फ 50 मिनट में सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में छोड़ दिया. कंट्रोल रूम में तालियां बज उठीं. ये रॉकेट का पांचवां लगातार सफल मिशन है, जो ISRO की तकनीकी ताकत दिखाता है.

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GSAT-7R सैटेलाइट: नौसेना का नया हथियार

CMS-03 को GSAT-7R नाम से जाना जाता है. ये पूरी तरह से भारत में डिजाइन और बनाया गया है. पहले GSAT-7 सैटेलाइट पुराना हो चुका था, अब ये उसकी जगह लेगा.  

  • क्या करेगा ये? हिंद महासागर के 70% हिस्से और भारत की जमीन पर मजबूत सिग्नल देगा. नौसेना के जहाज, हवाई जहाज, पनडुब्बियां और ऑपरेशन सेंटर्स के बीच आवाज, डेटा और वीडियो का तेज संचार संभव होगा.
  • खास तकनीक: इसमें कई बैंड्स वाले ट्रांसपोंडर्स हैं, जो हाई-स्पीड बैंडविथ देंगे. ये कनेक्शन सुरक्षित और बिना ब्रेक का रहेगा.
  • आत्मनिर्भरता का प्रतीक: 100% देसी पार्ट्स से बना ये सैटेलाइट दिखाता है कि भारत अब स्पेस टेक्नोलॉजी में खुदमुख्तार है. नौसेना को विदेशी सैटेलाइट्स की जरूरत कम पड़ेगी.

इससे समुद्री डोमेन अवेयरनेस बढ़ेगी. मतलब, दुश्मन की हरकतों पर नजर रखना और तुरंत जवाब देना आसान हो जाएगा. आज के जटिल सुरक्षा हालात में ये नौसेना के लिए वरदान है.

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ISRO चीफ बोले- फिर हुआ चमत्कार

लॉन्च के तुरंत बाद ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने मीडिया से बात की. उन्होंने खुशी से कहा कि मौसम ने साथ नहीं दिया, लेकिन LVM3 ने देश के लिए फिर चमत्कार कर दिखाया. भारत को बधाई! हमने भारतीय मिट्टी से अपना सबसे भारी जियो कम्युनिकेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया. हमारा स्पेस सेक्टर तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, जो नौसेना और दूसरे यूजर्स को शानदार सेवाएं देगा.

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मौसम की दिक्कतों पर उन्होंने बताया कि हमारी टीम ने बहुत धैर्य रखा. वैज्ञानिकों की मेहनत और LVM3 की विश्वसनीयता ने ये संभव बनाया. ये सफलता पूरे देश को बताती है कि चुनौतियां हमें रोक नहीं सकतीं. नौसेना की क्षमताएं अब नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगी. चेयरमैन ने कहा कि ये मिशन भारत को ग्लोबल स्पेस लीडर बनाएगा और युवाओं को प्रेरित करेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर बधाई दी. उन्होंने लिखा कि ISRO की ये सफलता हमें गर्व महसूस कराती है. CMS-03 की लॉन्चिंग पर बधाई. हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत से स्पेस सेक्टर नवाचार का प्रतीक बन गया है. ये राष्ट्रीय विकास को गति देगा. 

भारत की स्पेस कहानी में नया मोड़

2025 में ISRO की ये तीसरी बड़ी सफलता है. चंद्रयान-3 के बाद ये लॉन्च भारत की स्पेस महत्वाकांक्षाओं को मजबूत करता है. LVM3 को बाहुबली कहते हैं, क्योंकि ये भारी पेलोड आसानी से हैंडल करता है. आने वाले मिशन जैसे निसार और गगनयान की तैयारी चल रही है. मौसम की बाधा के बावजूद ये जीत दिखाती है कि ISRO की टीम कितनी स्मार्ट और समर्पित है. नौसेना चीफ ने कहा कि GSAT-7R समुद्री हितों की रक्षा में क्रांति लाएगा. 

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