दुनिया के सबसे दुर्लभ ओरंगुटान बाढ़ में बह गए? सुमात्रा में जंगल काटने से चिंता बढ़ी

सुमात्रा में चक्रवात सेन्यार की बाढ़ और भूस्खलन से दुनिया के सबसे दुर्लभ तपनुली ओरंगुटान गायब हो गए. 800 से कम बचे इन बंदरों में से 35-50 मरने का अनुमान. एक मृत शव मिला है. जंगल के 7200 हेक्टेयर नष्ट हो चुके है. इस प्रजाति के लिए विलुप्ति होने का खतरा है. संरक्षण की तुरंत जरूरत है.

Advertisement
ये है तपनुली ओरंगुटान जो सिर्फ सुमात्रा में पाया जाता है. (Photo: Getty) ये है तपनुली ओरंगुटान जो सिर्फ सुमात्रा में पाया जाता है. (Photo: Getty)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST

इंडोनेशिया के उत्तर सुमात्रा में बटांग टोरू के घने जंगलों में एक अजीब सन्नाटा छा गया है. यहां रहने वाले दुनिया के सबसे दुर्लभ बंदर – तपनुली ओरंगुटान – अब नजर नहीं आ रहे. 25 नवंबर को आए चक्रवात सेन्यार ने भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से तबाही मचाई. संरक्षण कार्यकर्ताओं को डर है कि ये क्रिटिकल रूप से लुप्तप्राय प्रजाति के बंदर बह गए हों या मारे गए हों.

Advertisement

एक मृत ओरंगुटान मिला

इस हफ्ते सेंट्रल तपनुली जिले के पुलो पक्कत गांव में राहत कार्यकर्ताओं को कीचड़ और लकड़ियों के ढेर में एक मृत जानवर मिला. संरक्षण कार्यकर्ता डेके चंद्रा ने बताया कि शुरू में पता नहीं चला, क्योंकि चेहरा खराब हो गया था. लेकिन ये तपनुली ओरंगुटान का लगता है. चंद्रा पहले इन बंदरों के संरक्षण में काम कर चुके हैं.

यह भी पढ़ें: नंदा देवी पर मौजूद हिरोशिमा परमाणु बम का एक तिहाई न्यूक्लियर मैटेरियल... क्या गंगा को खतरा है?

फोटो में लाल बाल और खोपड़ी की साइज से पुष्टि हो रही है कि ये तपनुली ओरंगुटान का शव है. ये प्रजाति 2017 में ही खोजी गई थी. दुनिया में इनकी संख्या 800 से भी कम है. अगर 30-50 भी मर गए तो प्रजाति पर बड़ा खतरा हो जाएगा.

Advertisement

बाढ़ की भयानक तबाही

चक्रवात सेन्यार से चार दिनों में 1000 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई. 900 से ज्यादा लोग मारे गए. कई गांव पूरी तरह तबाह हो चुके हैं. सैटेलाइट इमेज से पता चला कि 7200 हेक्टेयर जंगल भूस्खलन से नष्ट हो गया. पहले घना जंगल था, अब नंगी मिट्टी दिख रही है.

वैज्ञानिक एरिक मेजार्ड कहते हैं कि इस इलाके में 35 ओरंगुटान रहते थे. इतनी तेज तबाही में बचना मुश्किल है. ये प्रजाति के लिए विलुप्ति स्तर का झटका है. वो सैटेलाइट से अध्ययन कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: भारतीय सेना को मिलेंगे और अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर... PAK बॉर्डर पर मजबूत तैनाती

ओरंगुटान क्यों नहीं भाग सके?

कुछ लोकल लोग कहते हैं कि बंदर खतरा भांपकर भाग गए होंगे. लेकिन विशेषज्ञ सर्ज विच कहते हैं कि भारी बारिश में ओरंगुटान पेड़ पर बैठकर इंतजार करते हैं. लेकिन इस बार भूस्खलन इतना तेज था कि बचना नामुमकिन लगता है. बटांग टोरू का जंगल इनका एकमात्र घर है. पहले से माइनिंग, पाम ऑयल और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से खतरा था. अब बाढ़ ने और नुकसान किया.

अन्य जानवर भी प्रभावित

सुमात्राई हाथी का शव भी बाढ़ में बहता मिला. टाइगर, राइनो जैसे दुर्लभ जानवरों को भी खतरा है. ओरंगुटान रिसर्च सेंटर भी तबाह हो गए. संरक्षण कार्यकर्ता पनुत हदिसिस्वोयो कहते हैं कि जंगल अब शांत है. सभी विकास कार्य रोकने चाहिए. इलाके को पूरी तरह संरक्षित करें.

Advertisement

इंडोनेशिया सरकार ने बटांग टोरू में प्राइवेट एक्टिविटी रोक दी है. वैज्ञानिक तुरंत सर्वे और जंगल बहाली की मांग कर रहे हैं. ये बाढ़ जलवायु परिवर्तन और जंगल कटाई का नतीजा है. तपनुली ओरंगुटान की जिंदगी अब और मुश्किल हो गई है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement