इसरो के 400 साइंटिस्ट और 10 सैटेलाइट... ऑपरेशन सिंदूर के दौरान PAK की हर हरकत पर रख रहे थे नजर

ऑपरेशन सिंदूर में 400 इसरो वैज्ञानिकों और 10 से ज्यादा सैटेलाइट्स ने दिन-रात एक करके भारत की सुरक्षा को सुनिश्चित किया. इसरो की कार्टोसैट, रिसैट, नाविक और जीसैट जैसी तकनीकों ने सेना को सटीक जानकारी और संचार प्रदान किया. यह ऑपरेशन भारत की अंतरिक्ष और सैन्य ताकत का शानदार उदाहरण था.

Advertisement
इसरो वैज्ञानिकों ने ऑपरेशन सिंदूर के समय सैटेलाइट के जरिए काफी मदद की. (Photo: Representational/AFP) इसरो वैज्ञानिकों ने ऑपरेशन सिंदूर के समय सैटेलाइट के जरिए काफी मदद की. (Photo: Representational/AFP)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:08 PM IST

इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर में लगभग 400 वैज्ञानिकों ने दिन-रात काम करके भारतीय सेना को महत्वपूर्ण मदद दी. यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था. इसरो के सैटेलाइट्स ने रियल-टाइम जानकारी, निगरानी और संचार में अहम भूमिका निभाई.

ऑपरेशन सिंदूर क्या था?

Advertisement

ऑपरेशन सिंदूर भारत की सशस्त्र सेनाओं द्वारा चलाया गया एक सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था. 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई नागरिक मारे गए थे.

यह भी पढ़ें: S-400 और Su-57 के कॉम्बो... पाकिस्तानी एयरफोर्स को घुटने टेकने को कर देगा मजबूर

इसके जवाब में भारतीय वायुसेना ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इस ऑपरेशन में नौ आतंकी ठिकानों और 11 पाकिस्तानी हवाई अड्डों को निशाना बनाया गया. भारतीय सेना ने बिना सीमा पार किए सटीक हमले किए, जिसमें स्वदेशी आकाश तीर एयर डिफेंस सिस्टम, ड्रोन और लॉइटरिंग म्यूनिशन्स का इस्तेमाल हुआ.

इसरो के 10 से ज्यादा सैटेलाइट्स ने इस ऑपरेशन में दिन-रात काम किया. इन सैटेलाइट्स ने रियल-टाइम तस्वीरें, नेविगेशन और सुरक्षित संचार प्रदान किए, जिससे सेना को सटीक निशाना लगाने में मदद मिली. डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि हमारे कम से कम 10 सैटेलाइट्स ने 24 घंटे काम किया ताकि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो.  

Advertisement

यह भी पढ़ें: खतरनाक है चीन का नया 'बिना पूंछ' वाला स्टील्थ फाइटर जेट! अमेरिका के पास भी नहीं है ये ताकत

इसरो की भूमिका और 400 वैज्ञानिकों की मेहनत

9 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) की 52वीं नेशनल मैनेजमेंट कॉन्फ्रेंस में डॉ. नारायणन ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 400 से ज्यादा इसरो वैज्ञानिकों ने दिन-रात मेहनत की. इन वैज्ञानिकों ने इसरो के अर्थ ऑब्जर्वेशन और कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स को बिना किसी रुकावट के संचालित किया. उन्होंने कहा कि हमारे सभी सैटेलाइट्स ने पूरी तरह से काम किया और ऑपरेशन की सभी जरूरतों को पूरा किया.

इसरो के सैटेलाइट्स, जैसे कार्टोसैट और रिसैट (RISAT) सीरीज ने उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें दीं, जो दिन-रात और खराब मौसम में भी काम करती थीं. रिसैट के सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) ने बादल और अंधेरे में भी साफ तस्वीरें भेजीं, जिससे पहाड़ी इलाकों और सीमाओं की निगरानी आसान हुई.

कार्टोसैट ने सब-मीटर रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें दीं जो लक्ष्य की पहचान और हमले के बाद नुकसान का आकलन करने में मददगार थीं. नाविक (NavIC) सैटेलाइट्स ने हथियारों और मिसाइलों को सटीक निशाने तक पहुंचाने में मदद की, जबकि जीसैट (GSAT) सैटेलाइट्स ने सुरक्षित संचार सुनिश्चित किया.

यह भी पढ़ें: इंजन देरी के बावजूद अक्टूबर में LCA Mk1A फाइटर जेट की पहली डिलीवरी, HAL की तैयारी पूरी

Advertisement

इसरो के सैटेलाइट्स की ताकत

इसरो के पास अभी 56 ऑपरेशनल सैटेलाइट्स हैं, जिनमें से 9-11 सैटेलाइट्स सैन्य निगरानी, रडार, संचार, और नेविगेशन के लिए समर्पित हैं. ऑपरेशन सिंदूर में इन सैटेलाइट्स ने कई तरह से मदद की...

  • निगरानी: कार्टोसैट और रिसैट ने सीमाओं, आतंकी ठिकानों और हवाई अड्डों की तस्वीरें दीं.
  • संचार: जीसैट सैटेलाइट्स ने सेना को सुरक्षित और तेज संचार प्रदान किया.
  • नेविगेशन: नाविक सैटेलाइट्स ने मिसाइलों और ड्रोन्स को सटीक निशाना लगाने में मदद की.
  • मौसम जानकारी: इन्सैट सैटेलाइट्स ने मौसम की जानकारी दी, जिससे ऑपरेशन की योजना बनाना आसान हुआ.

इसरो के वैज्ञानिकों ने इन सैटेलाइट्स को 24x7 संचालित किया, जिससे सेना को रियल-टाइम जानकारी मिलती रही. यह ऑपरेशन भारत की अंतरिक्ष तकनीक की ताकत को दर्शाता है, जो अब आधुनिक युद्ध में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है.

ऑपरेशन सिंदूर का महत्व

ऑपरेशन सिंदूर न सिर्फ एक सैन्य अभियान था, बल्कि यह भारत की रक्षा और अंतरिक्ष तकनीक की एकजुटता का प्रतीक था. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने तेजी से जवाब दिया. खास बात यह थी कि भारत ने बिना सीमा पार किए सटीक हमले किए, जिससे अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ने का खतरा कम रहा.

यह भी पढ़ें: ISRO ने दिखाया भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का मॉडल: 2028 में पहला मॉड्यूल, 2035 तक बनेगा पूरा स्टेशन

Advertisement

केंद्रीय अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह ने 24 अगस्त 2025 को नेशनल स्पेस डे पर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने हमें अंतरिक्ष तकनीक को पाकिस्तान की जमीन पर आजमाने का मौका दिया. यह पिछले 10 सालों में विकसित तकनीक का नतीजा है. अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग ने मिलकर इस ऑपरेशन को सफल बनाया.

इसरो की भविष्य की योजनाएं

ऑपरेशन सिंदूर ने इसरो की ताकत को दुनिया के सामने ला दिया, लेकिन यह केवल शुरुआत है. इसरो ने भविष्य के लिए कई बड़े लक्ष्य रखे हैं...

स्पेस-बेस्ड सर्विलांस प्रोग्राम (SBS-3): 26968 करोड़ रुपये की लागत से 52 समर्पित रक्षा सैटेलाइट्स लॉन्च किए जाएंगे, जिनमें से 21 इसरो और 31 निजी कंपनियां बनाएंगी. ये सैटेलाइट्स 2029 तक लॉन्च होंगे.

गगनयान मिशन: इसरो 2027 तक भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन शुरू करेगा. इसके लिए 7700 ग्राउंड टेस्ट हो चुके हैं. तीन मानवरहित मिशन की योजना है.

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: 2028 तक भारत अपना पहला अंतरिक्ष स्टेशन मॉड्यूल लॉन्च करेगा. 2035 तक इसे पूरा करेगा.

चंद्रयान-4 और 5: चंद्रयान-4 चांद से सैंपल लाएगा. चंद्रयान-5 जापान के साथ मिलकर 2028 में लॉन्च होगा.

भारत के लिए सबक

ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि अंतरिक्ष तकनीक अब युद्ध और सुरक्षा का एक अहम हिस्सा है. इसरो के सैटेलाइट्स ने न सिर्फ आतंकवाद से लड़ने में मदद की, बल्कि भारत की 11500 km लंबी तटरेखा और अस्थिर सीमाओं की निगरानी को भी मजबूत किया. 

Advertisement

इस ऑपरेशन ने यह भी सिखाया कि निजी कंपनियों और सरकारी संगठनों का सहयोग भारत की अंतरिक्ष क्षमता को और बढ़ा सकता है. इसरो अब निजी कंपनियों के साथ मिलकर 100-150 नए सैटेलाइट्स लॉन्च करने की योजना बना रहा है, जिनमें से आधे निगरानी के लिए होंगे. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement