उत्तराखंड के हर्षिल में प्रकृति ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाया है. भारी बारिश और भूस्खलन के कारण भागीरथी नदी की धारा में बड़ा बदलाव आया है. कल तक जो नदी बह रही थी, वह आज हर्षिल में एक विशाल जलाशय में बदल गई है. यह बदलाव न सिर्फ सेना के कैंप को प्रभावित कर रहा है, बल्कि पूरे इलाके में खतरे की आशंका बढ़ा दी है. आइए, समझते हैं कि क्या हो रहा है और क्यों यह चिंता की बात है.
भागीरथी की धारा में बड़ा बदलाव
हर्षिल में भागीरथी नदी की धारा पूरी तरह बदल गई है. भारी बारिश और पहाड़ों से गिरे मलबे ने नदी के बहाव में रुकावट पैदा कर दी है. इस रुकावट की वजह से करीब 3 किलोमीटर लंबा जलाशय बन गया है. यह जलाशय उस जगह पर बना है, जहां सेना का कैंप बह गया था. मलबे ने नदी के बीच में एक तरह का प्राकृतिक बांध बना दिया है, जिसके कारण पानी जमा हो रहा है. क्षेत्र में खतरा बढ़ रहा है.
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सेना कैंप और राजमार्ग पर असर
यह जलाशय इतना बड़ा हो गया है कि सेना के कैंप के कई हिस्से डूब गए हैं. साथ ही, धराली-हर्षिल राजमार्ग भी पानी में डूब गया है, जिससे सड़क संपर्क पूरी तरह टूट गया है. सेना और राहत टीमें पहले से ही भूस्खलन और बाढ़ से जूझ रही थीं. अब यह नया जलाशय उनकी मुश्किलें और बढ़ा रहा है. हर्षिल में जहां सेना का कैंप था, वहां अब पानी का स्तर इतना बढ़ गया है कि इलाका पूरी तरह जलमग्न हो गया है.
मलबे का प्राकृतिक बांध
वैज्ञानिकों और स्थानीय लोगों का मानना है कि पहाड़ों से गिरा मलबा भागीरथी की धारा में रुकावट बन गया है. यह मलबा नदी के बीचों-बीच जमा होकर एक अदृश्य बांध का काम कर रहा है. इस बांध की वजह से पानी पीछे की ओर जमा हो रहा है और एक बड़ा जलाशय बन गया है. हालांकि, नदी का बहाव आगे की ओर जारी है, लेकिन यह जमा हुआ पानी किसी भी वक्त खतरे का सबब बन सकता है.
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खतरे की आशंका
यह जलाशय उत्तराखंड के लिए नई मुसीबत ला सकता है. अगर मलबे का बांध टूटता है या पानी का दबाव बढ़ता है, तो बाढ़ का खतरा और बढ़ जाएगा. धराली और हर्षिल जैसे गांव पहले से ही बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित हैं. अब यह जलाशय उनके लिए और जोखिम पैदा कर रहा है. सेना और प्रशासन को इस स्थिति पर नजर रखनी होगी, ताकि किसी बड़े हादसे से बचा जा सके.
क्या हो सकता है कारण?
हाल के दिनों में लगातार बारिश और पहाड़ों की अस्थिरता इस बदलाव की मुख्य वजह मानी जा रही है. जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का पैटर्न बदल रहा है, जिससे भूस्खलन और मलबा गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं. इससे नदियों की धारा में बदलाव और जलाशय बनने का खतरा बढ़ गया है.
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राहत और बचाव कार्य
भारतीय सेना पहले से ही उत्तराखंड में राहत और बचाव में जुटी है. हर्षिल में जलाशय बनने के बाद सेना ने हेलिकॉप्टर और बचाव दलों को तैनात किया है. लेकिन जलमग्न सड़कों और बढ़ते पानी की वजह से काम करना मुश्किल हो रहा है. स्थानीय प्रशासन और सेना मिलकर इस स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है.
आशुतोष मिश्रा