मानव इतिहास का सबसे ताकतवर सैटेलाइट NISAR 30 जुलाई 2025 को शाम 5:40 बजे लॉन्च होगा. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी. इस सैटेलाइट को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने मिलकर बनाया है. यह इकलौता सैटेलाइट पूरी दुनिया में आने वाली किसी भी तरह की आपदा की जानकारी दे सकता है.
अंतरिक्ष में तैनात किया जाने वाला यह जासूस भूकंप, भूस्खलन, जंगल की आग, बारिश, चक्रवाती तूफान, हरिकेन, बारिश, बिजली का गिरना, ज्वालामुखी का फटना, टेक्टोनिक प्लेट्स की मूवमेंट... हर एक चीज पर नजर रखेगा. इन प्राकृतिक घटनाओं के होने से पहले ही यह अलर्ट कर देगा.
यह भी पढ़ें: ब्रह्मपुत्र पर बांध विनाश के लिए? चीन की साइंटिफिक चाल केवल भारत के लिए ही खतरा नहीं, बल्कि...
नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार (NISAR) लॉन्च होने के बाद पूरी दुनिया को आने वाले भूकंपों के बारे में पहले सूचना देगा. निसार टेक्टोनिक प्लेट्स के मूवमेंट को सेंटीमीटर के स्तर तक रिकॉर्ड कर पाएगा. ज्यादा या कम मूवमेंट से पता चलेगा कि कहां और कब भूकंप आ सकता है. यह धरती का एक चक्कर 12 दिन में लगाएगा.
कैसा दिखेगा निसार सैटेलाइट अंतरिक्ष में?
निसार सैटेलाइट में एक बड़ा मेन बस होगा, जिसमें कई इंस्ट्रूमेंट्स होंगे. ट्रांसपोंडर्स, टेलीस्कोप और रडार सिस्टम होगा. इसमें से एक आर्म निकलेगा, जिसके ऊपर एक सिलेंडर होगा. यह सिलेंडर लॉन्च होने के कुछ घंटों बाद खुलेगा तो इसमें डिश एंटीना जैसी एक बड़ी छतरी निकलेगी. यह छतरी ही सिंथेटिक अपर्चर रडार है.
यह भी पढ़ें: इंटरनेट टेलीपोर्टेशन... जिससे दुनिया में कहीं भी हो सकेगी आपकी मौजूदगी, डेटा भी रहेगा सिक्योर
हर 12 दिन में मिलेगी धरती की नई रिपोर्ट
NISAR एप्लीकेशन प्रमुख कैथलीन जोन्स ने कहा कि 12 दिन में ही निसार दूसरा चक्कर लगाएगा. इतने दिन के अंतर में धरती की सतह पर आने वाले बदलाव पता चल जाएंगे. हम सटीकता से यह पता कर पाएंगे कि किस देश में किस तरह का मौसम है, या किस तरह की प्राकृतिक आपदा आने की आशंका बन रही है.
कहां से होगी लॉन्चिंग?
इस सैटेलाइट को GSLV-MK2 रॉकेट से लॉन्च किया जाए. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से होगी. सैटेलाइट्स और पेलोंड की कई बार टेस्टिंग हो चुकी है.
क्या करेगा NISAR?
कैसे काम करेगा?
NISAR में दो प्रकार के बैंड होंगे एल और एस. ये दोनों धरती पर पेड़-पौधों की घटती-बढ़ती संख्या पर नजर रखेंगे साथ ही प्रकाश की कमी और ज्यादा होने के असर की भी स्टडी करेंगे. एस बैंड ट्रांसमीटर को भारत ने बनाया है और एल बैंड ट्रांसपोंडर को नासा ने.
धरती का एक चक्कर 12 दिन में
निसार का रडार 240 km तक के क्षेत्रफल की एकदम साफ तस्वीरें ले सकेगा. यह धरती के एक स्थान की फोटो 12 दिन बाद फिर लेगा. क्योंकि इसे धरती का पूरा एक चक्कर लगाने में 12 दिन लगेंगे. इस मिशन की लाइफ 5 साल मानी जा रही है. लेकिन यह आगे भी बढ़ सकती है.
आजतक साइंस डेस्क / कुमार कुणाल