... कैंसर के इलाज में कैसे काम आएगा अंतरिक्ष स्टेशन में शुभांशु का किया गया स्टेम सेल प्रयोग?

शुभांशु शुक्ला का स्टेम सेल प्रयोग न केवल अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत के लिए, बल्कि कैंसर जैसे गंभीर रोगों के इलाज में भी उम्मीद जगाता है. अगर यह धरती पर लागू हो गया, तो लाखों मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है. यह शोध भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान देगा. चिकित्सा विज्ञान में क्रांति ला सकता है.

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इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लैब में प्रयोग करते हुए शुभांशु शुक्ला. (File Photo: PTI) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लैब में प्रयोग करते हुए शुभांशु शुक्ला. (File Photo: PTI)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST

ISRO के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में एक अनोखा प्रयोग किया, जो कैंसर के इलाज में क्रांति ला सकता है. शुभांशु एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) का हिस्सा बनकर 25 जून 2025 को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से अंतरिक्ष में गए थे. उनकी 18 दिन की इस यात्रा में कई वैज्ञानिक प्रयोग हुए, जिनमें स्टेम सेल पर शोध खास तौर पर चर्चा में है. इस प्रयोग को समझते है कि यह कैंसर के इलाज में कैसे मदद कर सकता है. 

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स्टेम सेल क्या है?

स्टेम सेल हमारे शरीर की मूल कोशिकाएं होती हैं, जो नई कोशिकाओं में बदल सकती हैं. ये कोशिकाएं शरीर के किसी भी हिस्से जैसे हड्डी, मांसपेशी या खून को ठीक करने में मदद कर सकती हैं. धरती पर इन्हें प्रयोगशाला में उगाना मुश्किल होता है, लेकिन अंतरिक्ष की माइक्रोग्रैविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) में ये कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं. बेहतर तरीके से काम करती हैं.

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शुभांशु का अंतरिक्ष प्रयोग

शुभांशु ने ISS के किबो लैबोरेटरी में लाइफ साइंसेज ग्लवबॉक्स (एक साफ और सुरक्षित जगह) में स्टेम सेल पर काम किया. उनका मुख्य फोकस था कि माइक्रोग्रैविटी में स्टेम सेल कैसे व्यवहार करती हैं. क्या इनमें कुछ सप्लीमेंट्स (पोषक तत्व) डालकर इन्हें कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रयोग में उन्होंने मांसपेशियों की कोशिकाओं (Myogenesis) पर भी अध्ययन किया, जो अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियों के नुकसान को रोकने में मदद कर सकता है.

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इसके अलावा, शुभांशु ने कैंसर से संबंधित एक और प्रयोग में हिस्सा लिया, जिसे "कैंसर इन LEO-3" कहते हैं. इस प्रयोग में ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (एक खतरनाक कैंसर प्रकार) की कोशिकाओं को अंतरिक्ष में टेस्ट किया गया. वैज्ञानिकों ने देखा कि अंतरिक्ष में ये कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं. दवाओं के प्रति उनकी प्रतिक्रिया अलग होती है. इससे नई दवाओं और इलाज की संभावनाएं खुल रही हैं.

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कैंसर के इलाज में कैसे मदद मिलेगी?

  • तेजी से कोशिका विकास: अंतरिक्ष में स्टेम सेल तीन गुना तेजी से बढ़ते हैं. इससे वैज्ञानिक कैंसर की प्रगति को जल्दी समझ सकते हैं. नई दवाओं का परीक्षण कर सकते हैं.
  • दवा की खोज: प्रयोग में दो दवाओं फेड्राटिनिब और रेबेसिनिब का टेस्ट किया गया, जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोक सकती हैं. अगर ये धरती पर काम करें, तो कैंसर मरीजों के लिए नया इलाज मिल सकता है.
  • प्रतिरोधक क्षमता: अंतरिक्ष में स्टेम सेल की उम्र बढ़ने और प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर का अध्ययन हुआ. इससे कैंसर से लड़ने की क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
  • 3D मॉडल: अंतरिक्ष में बनी 3D कोशिका संरचनाएं धरती पर कैंसर के व्यवहार को समझने में मदद करेंगी, जो इलाज को सटीक बना सकती हैं.

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अंतरिक्ष की खासियत

अंतरिक्ष की माइक्रोग्रैविटी में कोशिकाएं धरती की तुलना में अलग तरीके से बढ़ती हैं. गुरुत्वाकर्षण न होने से कोशिकाओं में जमा होने की समस्या नहीं होती, जिससे उनकी गुणवत्ता बेहतर होती है. यह प्रयोग धरती पर असंभव था, इसलिए ISS इसे संभव बनाया. शुभांशु ने कहा कि इस शोध को करने पर मुझे गर्व है, क्योंकि यह भारत और वैश्विक विज्ञान के लिए एक पुल का काम कर रहा है.

चुनौतियां और भविष्य

इस प्रयोग में कई चुनौतियां भी हैं. अंतरिक्ष में विकिरण (रेडिएशन) स्टेम सेल को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. वैज्ञानिकों को इस रिस्क को कम करने का तरीका ढूंढना होगा. फिर भी, अगर यह सफल रहा, तो भविष्य में अंतरिक्ष में स्टेम सेल फैक्ट्री बनाई जा सकती है, जो कैंसर और अन्य बीमारियों के लिए कोशिकाएं उपलब्ध कराएगी.

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