दिल्ली और NCR में आज सुबह हवा की गुणवत्ता बहुत खराब बनी हुई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली का औसत AQI सुबह 386 से लेकर कई जगहों पर 500 से ऊपर (खतरनाक स्तर) तक पहुंच गया है. कुछ इलाकों जैसे आनंद विहार, रोहिणी, नेहरू नगर और बवाना में AQI 400-500 के बीच है, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है. लोग सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और सिरदर्द की शिकायत कर रहे हैं.
सवाल यह है कि दिवाली के पटाखों को खत्म हुए पूरा एक महीना हो गया, फिर भी प्रदूषण क्यों नहीं कम हो रहा? क्या सिर्फ पटाखे ही जिम्मेदार हैं?
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एम्स दिल्ली के पल्मोनरी मेडिसिन और स्लीप डिसऑर्डर विभाग के प्रमुख डॉ. अनंत मोहन ने बहुत गंभीर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि यहां का प्रदूषण बिल्कुल गंभीर और जानलेवा हो चुका है. पिछले दस साल से यह स्थिति चल रही है. हर बार हम कुछ करने की कोशिश करते हैं, लेकिन जमीन पर असल में ज्यादा बदलाव नजर नहीं आता.
उन्होंने कहा कि जिम्मेदार एजेंसियों को समय रहते बहुत सख्त कदम उठाने चाहिए. अब सिर्फ सांस की बीमारी ही नहीं हो रही, दूसरे अंग भी प्रभावित हो रहे हैं. कई मरीजों की हालत जानलेवा हो जाती है. आउटपेशेंट और इमरजेंसी दोनों में मरीजों की संख्या स्पष्ट रूप से बढ़ गई है. कई लोगों को तो वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है.
इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की तरह ट्रीट करना चाहिए. डॉ. अनंत मोहन की यह बात बता रही है कि प्रदूषण अब सिर्फ खांसी-जुकाम नहीं, बल्कि दिल, दिमाग और दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचा रहा है. अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है.
दिवाली पर पटाखों से बहुत धुआं फैला, लेकिन वह धुआं 3-4 दिन में कम हो जाता है. अब नवंबर में प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण अलग हैं. ये कारण हर साल सर्दियों में दिल्ली को 'गैस चैंबर' बना देते हैं.
तापमान उल्टा हो जाना (Temperature Inversion)
गर्मियों में जमीन के पास की हवा गर्म होकर ऊपर उठती है. प्रदूषण उड़ जाता है. लेकिन सर्दियों में रात में जमीन जल्दी ठंडी हो जाती है. ऊपर की हवा गर्म रहती है. इससे एक 'ढक्कन' जैसा बन जाता है. सारे प्रदूषक कण (धूल, धुआं) नीचे फंस जाते हैं, उड़ नहीं पाते. सुबह सूरज निकलने पर थोड़ा फैलता है, लेकिन शाम होते ही फिर फंस जाता है. यही कारण है कि सुबह और रात में प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है.
हवा बहुत धीमी या बंद हो जाना (Low Wind Speed)
नवंबर-दिसंबर में हवा की स्पीड बहुत कम (5-10 किमी/घंटा या उससे कम) हो जाती है. प्रदूषण को उड़ाकर दूर ले जाने वाली तेज हवा नहीं चलती. इस साल भी मौसम विभाग (IMD) बता रहा है कि हवा शांत है, इसलिए धुआं दिल्ली के ऊपर ही मंडरा रहा है.
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पराली जलाना (Stubble Burning)
पंजाब और हरियाणा में किसान फसल काटने के बाद बचे ठूंठ (पराली) को जलाते हैं. इससे बहुत धुआं बनता है, जो हवा के साथ दिल्ली आता है. इस साल पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल से कम हैं, लेकिन फिर भी 15-30% प्रदूषण का हिस्सा यही है. धुएं में PM2.5 नाम के बहुत बारीक कण होते हैं, जो फेफड़ों में घुस जाते हैं.
दिल्ली के अंदर के कारण (Local Sources)
मौसम विभाग के अनुसार, अगले 5-7 दिनों तक बारिश की कोई उम्मीद नहीं है. हवा भी धीमी रहेगी. AQI अगले कुछ दिनों में 'बहुत खराब' से 'गंभीर' के बीच रहेगा.
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दिल्ली का प्रदूषण अब राष्ट्रीय आपातकाल बन चुका है. डॉक्टरों की चेतावनी साफ है – अगर अभी नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी. सबको मिलकर लंबे समय के उपाय करने होंगे ताकि आने वाली पीढ़ी साफ हवा में सांस ले सके.
आजतक साइंस डेस्क