ISRO First Launch in 1979: पहले रॉकेट के फेल होने से चंद्रयान की बुलंदियों तक... 44 साल की शानदार यात्रा

10 अगस्त 1979 को ही भारत ने अपना पहला रॉकेट लॉन्च किया था. नाम था सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV). पहली लॉन्चिंग फेल हो गई थी. लेकिन इसरो का हौसला नहीं टूटा. 44 साल में इसरो ने यह बता दिया कि वह दुनिया की बेहतरीन स्पेस एजेंसी में से एक है.

Advertisement
बाएं है ISRO का पहला रॉकेट SLV-3E1 और दाहिने है उसमें जाना वाला रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड. (सभी फोटोः ISRO) बाएं है ISRO का पहला रॉकेट SLV-3E1 और दाहिने है उसमें जाना वाला रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड. (सभी फोटोः ISRO)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 3:45 PM IST

Chandrayaan-3 जैसे मिशन भारत अब कर रहा है. लेकिन 44 साल पहले आज ही के दिन ISRO ने अपना पहला रॉकेट SLV-3E1 लॉन्च किया था. 10 अगस्त 1979 को यह मिशन फेल तो हुआ पर हौसला नहीं टूटा. तब से अब तक इसरो 124 स्पेसक्राफ्ट मिशन, 93 लॉन्च मिशन, 15 स्टूडेंट मिशन, 2 री-एंट्री मिशन पूरे कर चुका है. 11 महीने बाद ही इसरो ने सफलतापूर्वक रॉकेट लॉन्च किया. फिर इसरो ने मुड़कर पीछे नहीं देखा. 

Advertisement

SLV-3E1 चार स्टेज का रॉकेट था. हर स्टेज में सॉलिड फ्यूल डाला जाता था. तब भारत में लिक्विड प्रोपेलेंट वाले इंजन नहीं थे. 72 फीट ऊंचे इस रॉकेट का व्यास 3.3 फीट था. वजन करीब 17 हजार किलोग्राम. यह किसी भी 40 किलोग्राम के सैटेलाइट को 400 किलोमीटर वाली लोअर अर्थ ऑर्बिट तक पहुंचा सकता था. 

इस रॉकेट को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से ही लॉन्च किया जाता था. इस रॉकेट की मदद से कुल चार लॉन्च किए गए थे. दो सफल थे. एक फेल और एक आंशिक सफल. जो दो सफल लॉन्च हुए. उन रॉकेट्स से रोहिणी (Rohini) सैटेलाइट्स लॉन्च किए गए थे. 10 अगस्त 1979 में रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड (RTP) भेजा जा रहा था लेकिन लॉन्च विफल हो गया. 

धरती से चांद के सफर पर भारत, देखें चंद्रयान-3 मिशन की फुल कवरेज

Advertisement

इसके बाद 18 जुलाई 1980 में पहला रोहिणी सैटेलाइट RS-1 सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचाया गया. इसके बाद ISRO दुनिया के उन छह देशों की सूची में शामिल हो गया, जो अंतरिक्ष में अपने उपग्रह पहुंचा चुके थे. इस रॉकेट से 1983 में लॉन्चिंग बंद कर दी गई. इसके बाद शुरू हुई ASLV रॉकेट्स की उड़ान. जिन्हें ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल कहते थे. 

इसके बाद PSLV यानी पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल और फिर GLSV यानी जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल रॉकेट बनाए गए. ASLV रॉकेट्स ने चार लॉन्च किए जिसमें से दो विफल रहे. इसके बाद अगर पीएसएलवी रॉकेट की बात करें तो इससे अब तक 58 लॉन्चिंग की गई है. जिसमें से सिर्फ दो ही लॉन्च विफल हुए हैं. 

जहां तक बात रही GSLV रॉकेट्स के उड़ान की तो अब तक 15 लॉन्च हो चुके हैं. जिनमें से चार विफल हो चुके हैं. GSLV-Mk3 रॉकेट की सात उड़ाने हुईं हैं. 100 फीसदी सफलता दर रही है इस रॉकेट की. इसके अलावा स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) भी है. ये नया रॉकेट है छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए. इसके दो लॉन्च हुए हैं, दोनों ही सफल रहे हैं. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement