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साइंस न्यूज़

AstraZeneca की कोरोना वैक्सीन से बढ़ रहे ब्लड क्लोटिंग के केस, ब्रिटिश रेगुलेटर का दावा

aajtak.in
  • लंदन,
  • 23 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST
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ब्रिटेन के मेडिसिन रेगुलेटर ने कहा कि एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन में 168 मुख्य ब्लड क्लॉट्स की समस्या आ रही है. इस समय हर 10 लाख डोज पर ब्लड क्लॉट के 7.9 मामले सामने आ रहे हैं. पिछले हफ्ते की तुलना में इस हफ्ते ब्लड क्लॉट के मामले तेजी से बढ़े हैं. पिछले हफ्ते ऐसे 100 केस आए थे. उस समय हर 10 लाख डोज पर ब्लड क्लॉट के 4.9 मामले सामने आए थे. (फोटोः रॉयटर्स)

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एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) की कोरोना वैक्सीन पर कुछ हफ्तों पहले खून के थक्के जमने के दुर्लभ मामले सामने कुछ देशों में आए थे. इसके बाद ब्रिटेन के मेडिसिन रेगुलेटर ने कहा कि ब्लड क्लॉट्स बन रहे हैं लेकिन कुछ खास उम्र के लोंगो को. ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में पीडियाट्रिक्स के प्रोफेसर एडम फिन ने कहा कि ब्लड क्लॉट के मामले इन दिनों बढ़े हैं. (फोटोः गेटी)

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एडम फिन ने कहा कि लगातार ब्लड क्लॉट के मामले सामने आ रहे हैं. वो भी तेजी से. पहले भी केस आए होंगे लेकिन उनकी पहचान और जानकारी अभी हो रही है. मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्द प्रति दस लाख डोज पर ब्लड क्लॉट के कितने मामले स्पष्ट रूप से सामने आ रहे हैं, यह साफ हो जाएगा. (फोटोः गेटी)

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ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन के 2.12 करोड़ पहले डोज दिए गए हैं. किसी को कोई दिक्कत नहीं आई, सिवाय एक साइड इफेक्ट के. ये साइड इफेक्ट है ब्लड क्लॉटिंग यानी खून का थक्का जमना. हालांकि यह बेहद दुर्लभ है. इसलिए इसके बाद एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की दूसरी डोज लगाने पर रोक लगा दी गई. (फोटोः गेटी)

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पिछले हफ्ते ब्लड क्लॉट की वजह से 22 लोगों की मौत हुई थी, जबकि अब तक कुल 32 लोगों की मौत हो चुकी है. इन सभी लोगों ने एस्ट्राजेनेका की पहली डोज ली थी. मरने वालों की दर 19 फीसदी से बढ़करक 22 फीसदी हो गई है. (फोटोः गेटी)

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ब्रिटेन की सरकार ने लोगों को सलाह दी है कि जिनकी उम्र 30 साल से कम है वो एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के बजाय कोई और विकल्प खोज लें. ऐसी सलाह तब दी गई जब MHRA मेडिसिन रेगुलेटर ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगने के बाद खून के थक्के जमने के दुर्लभ मामले सामने आते देखे. साथ ही यह भी देखा कि कुछ लोगों में प्लेटलेट्स कम हो रहे हैं. (फोटोः गेटी)

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ब्रिटिश रेगुलेटर ने कहा कि जिन लोगों को वैक्सीन लग रहा है, उनमें से बेहद कम ब्लड क्लॉटिंग के मामले सामने आ रहे हैं. 30 साल और उससे कम उम्र के लोगों को वैक्लपिक वैक्सीन देने को इसलिए कहा गया है क्योंकि इस उम्र के लोगों में कोरोना से बचाव की क्षमता ज्यादा होती है. साथ ही इन पर कोरोना के अन्य लक्षणों का असर कम होता है. (फोटोः गेटी)

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लेकिन वहीं दूसरे यूरोपियन देशों में ऐसा नहीं है. फ्रांस ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का उपयोग 55 साल के ऊपर वालों पर बंद कर दिया है. MHRA ने 22 अप्रैल 2021 को कहा था कि जो रिव्यू अभी चल रहा है उसके अनुसार इसके साइड इफेक्ट्स कम हैं. लेकिन कोरोना से बचाने की ताकत ज्यादा. इसलिए अभी इस वैक्सीन के उपयोग की वैधता पर कोई सवाल नहीं है. (फोटोः गेटी)

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