मोदी पर हमलावर कांग्रेस की 'गायब' पोस्ट डिलीट, फिर बचाव में उजागर हो गया पार्टी का कन्फ्यूजन

कांग्रेस ने सोशल मीडिया से अपनी वो पोस्ट हटा ली है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘गायब’ बताया गया था. बीजेपी ने पोस्टर में कांग्रेस का ‘सर तन से जुदा’ वाला इरादा खोजा, और हमला बोल दिया - कांग्रेस की चुनौतियां पहले से क्या कम हैं, जो नई मुसीबतें मोल लेती है.

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राहुल गांधी को पहलगाम हमले के मुद्दे पर कांग्रेस के स्टैंड को लेकर कोई कन्फ्यूजन है क्या? राहुल गांधी को पहलगाम हमले के मुद्दे पर कांग्रेस के स्टैंड को लेकर कोई कन्फ्यूजन है क्या?

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 30 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:51 PM IST

पहलगाम अटैक के मामले कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक सोशल मीडिया पोस्ट में निशाना बनाया था, लेकिन बीजेपी के आक्रामक हमले के बाद कदम पीछे खींच लिया है. 

सोशल साइट X पर कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल से एक तस्वीर पोस्ट की गई थी, जिस पर लिखा था जिम्मेदारी के समय गायब. जैसे ही बीजेपी नेता अमित मालवीय ने पोस्टर को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला, पोस्ट डिलीट कर दी गई. 

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पहलगाम हमले पर सोशल मीडिया पोस्ट डिलीट तो बीजेपी को भी करनी पड़ी थी, लेकिन कदम बढ़ाने के बाद कांग्रेस हालात को हैंडल नहीं कर पाई - क्योंकि वो पहले ही निशाने पर बचाव की मुद्रा में बनी हुई है. छत्तीसगढ़ बीजेपी ने भी एक्स पर ही एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था, 'धर्म पूछा, जाति नहीं… याद रखेंगे' - जब समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सवाल उठाया, तो बीजेपी ने पोस्ट डिलीट कर दी. 

लेकिन, अमित मालवीय और बीजेपी के दूूसरे नेताओं के हमला बोल देने के बाद कांग्रेस को गलती का एहसास हुआ, और भूल सुधार के रूप में पोस्ट डिलीट कर दी गई. 

सवाल है कि कांग्रेस ने ऐसा कदम उठाया ही क्यों जिस पर बवाल मचने पर मजबूर होकर कदम पीछे खींचने पड़े. 

कांग्रेस ने एक बार स्टैंड ले लिया तो खुद की भी नहीं सुननी चाहिये

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कांग्रेस चाहती थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करें, लेकिन उस दिन वो बिहार के मधुबनी में रैली कर रहे थे. बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी. 

मोदी की गैरमौजूदगी का मुद्दा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी उठाया और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी. सिद्धारमैया की पाकिस्तान के साथ युद्ध न करने की सलाह ने अलग ही बवाल मचा दिया. 

सर्वदलीय बैठक में मोदी की गैरमौजूदगी को मुद्दा बनाने के मकसद से ही कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग ने ‘गायब’ पोस्टर डिजाइन कराया - और पोस्ट कर दिया गया. 

कांग्रेस के पोस्टर पर बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने सवाल उठाया. अमित मालवीय ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, जिस तरह से कांग्रेस ने 'सर तन से जुदा' वाली तस्वीर का इस्तेमाल किया है, अब कोई संदेह नहीं रह गया कि ये महज एक राजनीतिक बयान नहीं है… ये मुस्लिम वोट बैंक को हासिल करने की कोशिश है, और प्रधानमंत्री के खिलाफ उकसावे की एक छिपी हुई कोशिश भी है… ऐसा पहली बार नहीं है.

पहलगाम हमले पर कांग्रेस ने एक पॉलिटिकल स्टैंड जरूर लिया है, लेकिन उसके आगे भारी कन्फ्यूजन लगता है. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे कह रहे हैं कि कांग्रेस पहलगाम हमले के बाद सरकार के हर फैसले के साथ खड़ी है, लेकिन तभी कांग्रेस नेताओं के अलग अलग बयान आने लगते हैं. 

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सिद्धारमैया से लेकर सैफुद्दीन सोज तक. महाराष्ट्र से विजय वडेट्टीवार भी ऐसी बात बोलते हैं कि कांग्रेस की फजीहत होने लगती है. खबर आती है कि कांग्रेस आलाकमान नेताओं के लिए गाइडलाइन जारी करने जा रहा है - और फिर ये भी बताया जाता है कि आलाकमान को पोस्टर भी नागवार गुजरा है.  

पोस्टर डिलीट तो कर दिया गया, लेकिन उसके बाद. जिस किसी जिम्मेदार पदाधिकारी ने पोस्टर को अप्रूव किया गया होगा, क्या उसके खिलाफ भी कोई कार्रवाई हो रही है? अगर कोई एक्शन नहीं लिया जाता, तो ये सिलसिला यूं ही चलता रहेगा.

अगर वो पोस्टर गलत था, तो सोशल मीडिया पर पोस्ट ही क्यों किया गया? गलत नहीं था तो डिलीट क्यों किया ?

एक बार कमिट करने के बाद तो कांग्रेस को खुद की भी नहीं सुननी चाहिये, लेकिन ये तो बीजेपी के प्रभाव में आ जाने जैसा लगता है.

जब कांग्रेस ने पोस्‍ट डिलीट कर दी है तो बाद में बचाव क्‍यों?

कांग्रेस के कन्‍फ्यूजन का सिलसिला 'गायब' पोस्‍ट डिलीट करने के बाद भी कायम रहा. कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड सुप्रिया श्रीनेत्र ने ट्विटर पर आकर लिखा कि 'गायब फिल्‍म के पोस्‍टर से प्रेरित कांग्रेस की पोस्‍ट में मोदी का नाम नहीं था, फिर भी वही क्‍यों याद आए?' सुप्रिया की बात में दम है. लेकिन फिर सवाल उठता है कि पोस्‍ट डिलीट ही क्‍यों की गई? कांग्रेस पार्टी तो अपने आरोपों पर कायम है. वह प्रधानमंत्री मोदी पर जिम्‍मेदारी से बचने का आरोप लगा रही है. तो क्‍या कांग्रेस नेतृत्‍व ने बीजेपी की तरह पोस्‍टर को ही काबिल-ए-ऐतराज माना? लगता तो ऐसा ही है, वरना जो बात सुप्रिया श्रीनेत्र कह रही हैं, वह जयराम रमेश भी कह सकते थे. इसे समझा इसी रूप में जा सकता है कि इस समय देश का मिजाज प्रधानमंत्री को कठघरे में डालने के बजाय पाकिस्‍तान पर केंद्रित है. और कांग्रेस नेतृत्‍व इसे बखूबी समझ रहा है. प्रधानमंत्री को घरने और सवाल उठाने के लिए तो अभी काफी समय है. हां, कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया टीम अति-उत्‍साह में ये न समझ पाई. 

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कांग्रेस में इतना कन्फ्यूजन क्यों है?

कांग्रेस का ‘गायब’ वाल पोस्टर डिलीट करना, और 2017 में गुजरात कैंपेन रोक देना करीब करीब एक जैसा ही लगता है. भारी कन्फ्यूजन है. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का एक कैंपेन हिट हो गया था. 

‘विकास गांडो थयो छे’ कैंपेन सही चल रहा था, लेकिन राहुल गांधी के कहने पर कांग्रेस ने कैंपेन वापस ले लिया. कांग्रेस के कैंपेन की काट में एक रैली कर मोदी ने बोला था, 'हूं विकास छुं, हूं गुजरात छुं' यानी, मैं विकास हूं, मैं गुजरात हूं. 

तब राहुल गांधी का कहना था, वो हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री हैं. इसलिए उनका सम्मान जरूरी है. या तो कांग्रेस को उस कैंपेन पर बने रहना चाहिये था. या ये पोस्टर जारी ही नहीं करना चाहिये था?

मोदी के खिलाफ विवादित बयान देने के लिए राहुल गांधी कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर और सीपी जोशी से भी माफी मंगवा चुके हैं, लेकिन दिल्ली चुनाव के दौरान खुद बोल पड़ते हैं, छह महीने बाद युवा डंडे मारेंगे. 

ये डबल स्टैंडर्ड क्यों है? या कांग्रेस नेतृत्व का कन्फ्यूजन ही है ये सब?

2019 के चुनाव में राहुल गांधी कहते रहे, चौकीदार चोर है. अमेठी में खुद तो हारे ही, देश भर में कांग्रेस की हार के बाद अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया. 

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कांग्रेस के सीनियर नेता ही राहुल गांधी को सलाह देते रहे हैं कि बीजेपी सरकार की या मोदी सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की जाये, लेकिन मोदी पर निजी हमले न किये जायें, नुकसान हो सकता है - लेकिन, राहुल गांधी मानते नहीं हैं. 

यही वजह है कि कई बार विपक्ष का भी साथ छूट जाता है. चीन के मुद्दे पर ऐसे ही सोनिया गांधी को सर्वदलीय बैठक में शरद पवार की नसीहत सुननी पड़ी थी. रक्षा मंत्री होने के नाते पवार की बात को ज्यादा तवज्जो मिली थी.

राहुल गांधी को मोदी के मामले में एक राय रखनी होगी. एक बार कदम बढ़ा देने के बाद पीछे खींचना ठीक नहीं होता. और बार बार ऐसा होना तो बिल्कुल नहीं. 

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