केजरीवाल का राज्यसभा जाना पक्का? गुजरात उपचुनाव की जीत तो दिल्ली के जख्मों पर मरहम है

लुधियाना और विसावदर उपचुनावों में आम आदमी पार्टी की जीत ने अरविंद केजरीवाल को नये जोश से भर दिया है. लुधियाना वेस्ट की जीत ने को केजरीवाल के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ कर दिया है. हालांकि, इस बारे में उनका बयान बहुत घुमाने फिराने वाला है. उधर, गुजरात उपचुनाव की जीत तो दिल्ली की हार के जख्मों पर मरहम जैसा ही है.

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संजीव अरोड़ा ने तो अरविंद केजरीवाल को तो डबल खुशी दी है, गोपाल इटालिया ने उसमें और भी इजाफा कर दिया है. संजीव अरोड़ा ने तो अरविंद केजरीवाल को तो डबल खुशी दी है, गोपाल इटालिया ने उसमें और भी इजाफा कर दिया है.

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2025,
  • अपडेटेड 6:34 PM IST

अरविंद केजरीवाल को जश्न मनाने का बड़ा मौका मिला है. देश भर में पांच सीटों पर हुए उपचुनाव में दो सीटों के नतीजे आम आदमी पार्टी के पक्ष में आये हैं. एक सीट तो पंजाब की है, लेकिन एक सीट गुजरात की है. हालांकि, यह सीट पहले भी आप के ही पास थी, लेकिन गुजरात में बीजेपी के गढ़ के बीच अपनी सीट बरकरार रखना आप के लिए कम नहीं है. यानी आम आदमी पार्टी ने अपनी दोनो ही सीटें बचा ली है. और जिन परिस्थतियों में ऐसा किया है, वो ज्यादा ही महत्वपूर्ण है.

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बीजेपी ने इसी साल दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को सबसे बड़ा दर्द दिया था. अरविंद केजरीवाल के जेल से छूटकर आने के बाद हुआ हरियाणा चुनाव का हासिल तो शू्न्य ही रहा, बीजेपी ने सत्ता पर लगातार दस साल तक काबिज रही आम आदमी पार्टी को दिल्ली से भी चलता कर दिया. 

गुजरात की विसावदर उपचुनाव की जीत का तो अपना महत्व है ही, लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर अरविंद केजरीवाल को शिद्दत से जीत की दरकार थी. लेकिन ये जीत हासिल करना कहीं से भी आसान नहीं था. अरविंद केजरीवाल ने अपनी पूरी टीम और पूरी ताकत लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट जीतने में झोंक दी थी - और तब कहीं जाकर ये उपलब्धि हासिल हुई है.

विसावदर के मुकाबले लुधियाना वेस्ट का चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण था - क्योंकि, लुधियाना वेस्ट की जीत से ही अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जाने यानी राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ने का रास्ता तय होने वाला था. 

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केजरीवाल के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ

अरविंद केजरीवाल आज बहुत खुश होंगे. खुशी का मौका भी यूं ही नहीं आया है. और ये डबल खुशी भी कड़ी मशक्कत के बाद मिली है. मशक्कत भी करो या मरो टाइप वाली. आर-पार की लड़ाई लड़ने जैसी. वाकई ऊपरवाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है, और जब लेता है तो पूरी तरह निचोड़ भी लेता है. अरविंद केजरीवाल से बेहतर इस वक्त भला ये सब कौन जानता होगा. और, वो भी करीब तीन महीने के ही फासले पर. 

दिल्ली चुनाव में शिकस्त मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने खुद को समेट लिया था. दिल्ली में तो तत्काल प्रभाव से ही, पंजाब से दिल्ली आना जाना तो होता रहा, लेकिन सार्वजनिक तौर पर बहुत ही कम. पब्लिक लाइफ में रहने वाले किसी व्यक्ति के लिए ऐसा कम ही देखने को मिलता है. 

दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी पूरी टीम को दिल्ली बुला लिया था. मीटिंग हुई, और पंजाब मॉडल खड़ा करने की बात करते हुए भगवंत मान लौट गये. कुछ ही दिन बाद अरविंद केजरीवाल विपश्यना के लिए दिल्ली से रवाना हुए. ये उन दिनों की ही बात है जब पंजाब के किसान आम आदमी पार्टी से नाराज चल रहे थे. 

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विपश्यना से लौटने के बाद अरविंद केजरीवाल लुधियाना वेस्ट उपचुनाव पर फोकस हो गये. सबसे पहले उम्मीदवार घोषित किया, और कैंपेन शुरू कर दिये. ध्यान रहे, तब चुनाव आयोग ने तारीख की घोषणा भी नहीं की थी. तब तो ये माना जा रहा था कि उपचुनाव बिहार विधानसभा चुनाव के साथ कराये जा सकते हैं - लेकिन, धुन के पक्के केजरीवाल ने किसी भी बात की परवाह नहीं की. 

चुनौती कोई आसान भी नहीं थी. कांग्रेस ने ऐसे नेता को उम्मीदवार बनाया था, जिसका आरोप था कि भगवंत मान की पुलिस ने फर्जी केस में उसे जेल भेज दिया था. बिल्कुल वैसे ही जैसे अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति केस को लेकर बीजेपी पर आरोप लगाते रहे हैं. कांग्रेस उम्मीदवार जमानत के वक्त हाई कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कैंपेन भी कर रहा था. लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में संजीव अरोड़ा ने कांग्रेस उम्मीदवार भारत भूषण आशु को 10637 वोटों के अंतर से हराया है. 

लुधियाना चुनाव को लेकर अरविंद केजरीवाल ने अपनी सबसे भरोसे मंद टीम को मोर्च पर झोंक दिया, और खुद कमान संभाल ली. बिभव कुमार को तो पहले ही भेज दिया था, सौरभ भारद्वाज और आतिशी के भरोसे दिल्ली छोड़कर मनीष सिसोदिया को भी पंजाब बुला लिया था. 

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लुधियाना से संजीव अरोड़ा के जीतने पर अरविंद केजरीवाल ने बड़े-बड़े वादे कर रखे हैं. पहले तो संजीव अरोड़ा को पंजाब सरकार में मंत्री बनाया जाएगा. अरविंद केजरीवाल ने चुनाव कैंपेन के दौरान लोगों से कहा था कि अगर संजीव अरोड़ा नहीं जीते तो लुधियाना वेस्ट इलाके में विकास के काम रुक जाएंगे - अब वादा तो निभाना ही पड़ेगा. 

लुधियाना वेस्ट की जीत से एक काम ये भी होगा कि संजीव अरोड़ा अब राज्यसभा की सदस्‍यता से इस्तीफा देंगे, और उनकी जगह पंजाब से अरविंद केजरीवाल संसद जाएंगे. हालांकि, जब उनसे राज्‍यसभा जाने के बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने इतना ही कहा कि इस बारे में पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी तय करेगी, लेकिन वो राज्‍यसभास नहीं जा रहे हैं.

दिल्‍ली की हार के बाद अब सिर्फ पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बची है, इसलिए अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय राजनीति में पैर जमाने के लिए एक मौका चाहिये था, लुधियाना के लोगों ने दे दिया है. वैसे भी पंजाब की राजनीतिक जमीन शुरू से ही आम आदमी पार्टी के लिए उपजाऊ रही है. 2014 के आम चुनाव में जब अरविंद केजरीवाल वाराणसी में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से हार गये थे, तब भी पंजाब ने भगवंत मान सहित आम आदमी पार्टी के चार नेताओं को लोकसभा भेज दिया था.

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गुजरात में केजरीवाल के 'हीरो' की जीत

गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट पर AAP उम्मीदवार गोपाल इटालिया ने बीजेपी के किरीट पटेल को 17581 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की है. विसावदर सीट दिसंबर, 2023 में आम आदमी पार्टी विधायक भूपेन्द्र भयानी के इस्तीफा देकर गुजरात में सत्ताधारी बीजेपी में शामिल होने के बाद खाली हो गई थी - लुधियाना के साथ साथ अरविंद केजरीवाल विसावदर सीट को जीतने के लिए भी हर संभव कोशिश कर रहे थे. 

गोपाल इटालिया के नामांकन में पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया था कि आम आदमी पार्टी ने अपने हीरो को मैदान में उतारा है. और, सरेआम ऐलान किया था, अगर बीजेपी गोपाल इटालिया को खरीद लेगी तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा. 

खास बात ये रही कि अरविंद केजरीवाल ने विसावदर के मोर्चे पर खुद भी डटे रहे, और बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं को तैनात कर दिया था. वो सीधे बीजेपी को चैलेंज कर रहे थे,  और बार बार ये याद दिलाने की कोशिश होती रही कि गुजरात की सत्ता पर काबिज होने के बावजूद बीजेपी विसावदर सीट जीत पाने में नाकाम रही है. बीजेपी 2007 से ये सीट जीतने की कोशिश कर रही है, लेकिन फिर नाकाम रही है. 
 

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