राहुल गांधी का जाति जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल प्रोजेक्ट करना तेजस्वी यादव को एक और झटका

जाति जनगणना कराये जाने की वजह तो बिहार चुनाव ही है, कोई दो राय नहीं है. और, केंद्र सरकार का ये फैसला बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के बीच टकराव का नया कारण बन रहा है - क्योंकि, राहुल गांधी बिहार में हुए कास्ट सेंसस को खारिज कर तेलंगाना मॉडल को आगे बढ़ा रहे हैं.

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जातीय जनगणना पर राहुल गांधी का नया तेवर तेजस्वी यादव के लिए नई चुनौती है. जातीय जनगणना पर राहुल गांधी का नया तेवर तेजस्वी यादव के लिए नई चुनौती है.

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2025,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

देश में जाति जनगणना कराने के मोदी सरकार के फैसले का राहुल गांधी ने वैसे ही स्वागत और सपोर्ट किया है, जैसे पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का - और इसके साथ ही सत्ता पक्ष के साथ साथ विपक्षी दलों के बीच भी कास्ट सेंसस का क्रेडिट लेने की होड़ भी मच गई है. 

अव्वल तो बीजेपी खुद श्रेय लेने के चक्कर में राहुल गांधी को ही जातीय जनगणना का विरोधी साबित करने पर आमादा है, लेकिन राहुल गांधी का भी दावा है कि बीजेपी सरकार ने कांग्रेस की मुहिम के दबाव में ही देश में जातीय जनगणना कराने का फैसला किया है. ये बात तो है कि राहुल गांधी 2023 के विधानसभा चुनावों से ही सत्ता में आने पर जातीय जनगणना कराये जाने की जोरदार मुहिम चला रहे हैं. तब के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के साथ साथ आरजेडी और समाजवादी पार्टी जैसे दलों के जरिये, संसद के स्पेशल सेशन में पेश महिला आरक्षण बिल के दौरान ये डिमांड सामने आई थी. और फिर कांग्रेस कार्यकारिणी में जातीय जनगणना को लेकर प्रस्ताव भी पारित हुआ था. 

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बाद में बिहार सरकार ने जातिगत गणना कराया और सर्वे के आंकड़े भी जारी किये. बिहार विधानसभा में आरक्षण की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव भी पास हुए, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. 

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की बीजेपी सरकार से जातीय जनगणना की समय-सीमा और प्रक्रिया के साथ साथ टाइमलाइन पर भी तस्वीर साफ करने को कहा है. और, मांग की है कि आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को भी हटाने के उपाय किये जायें. 

बिहार नहीं, राहुल गांधी का तेलंगाना मॉडल पर जोर

2025 के पहले दौरे में ही राहुल गांधी ने बिहार की जातीय गणना को फर्जी बता डाला था. राहुल गांधी ने, असल में, ये बात तेजस्वी यादव के दावे को काउंटर करने के लिए कही थी. क्योंकि, तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम की अपनी पिछली पारी की उपलब्धियों में कास्ट सर्वे को जोर शोर से प्रोजेक्ट कर रहे थे. 

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और, अब राहुल गांधी जातिगत गणना के लिए तेलंगाना मॉडल को आगे बढ़ा रहे हैं. केंद्र सरकार को भी सलाह दे रहे हैं कि वो इसे ब्लू प्रिंट की तरह इस्तेमाल कर सकती है. बिहार के कास्ट सर्वे को फर्जी बताने के बाद सिर्फ तेलंगाना मॉडल को आगे बढ़ाने का मतलब तो यही हुआ कि जातीय राजनीति में तेजस्वी यादव ही राहुल गांधी के निशाने पर हैं. जाहिर है, आने वाले दिनों में इसी फॉर्मूले के तहत अखिलेश यादव भी होंगे. 

कांग्रेस ने इस बार अभी तक तेजस्वी यादव को महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर अप्रूव भी नहीं किया है. और अब जातीय जनगणना के जरिये कांग्रेस की तरफ से तेजस्वी यादव के सामने नये सिरे से चुनौती पेश कर दी गई है. 

राहुल गांधी कहते हैं, देश के सामने दो जातीय जनगणना को लेकर दो मॉडल हैं. एक, बिहार का मॉडल है, तो दूसरा तेलंगाना का मॉडल है. और, राहुुल गांधी के मुताबिक, दोनो मॉडलों में तेलंगाना का मॉडल आदर्श है. 

राहुल गांधी का कहना है, तेलंगाना में जनगणना की पद्धति नौकरशाहों ने नहीं बनाई है, बल्कि पूरी प्रक्रिया जनता के बीच जाकर पूरी की गई. उनका कहना है, हम चाहेंगे कि राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली जातीय जनगणना में तेलंगाना मॉडल के कुछ तरीकों और प्रक्रिया को अपनाया जाये.

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अब राहुल गांधी कह रहे हैं कि कांग्रेस की तेलंगाना सरकार राष्ट्रीय स्तर पर मदद के लिए तैयार है, और चाहते हैं कि तेलंगाना सरकार के आजमाये तरीकों का राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराने में फायदा मिल सके. 

राहुल का कहना है कि कांग्रेस संविधान की धारा 15(5) के तहत निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था को लेकर पहले से ही मौजूद कानून को लागू कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाएगी. 

कांग्रेस नेता के तेवर तो यही इशारा कर रहे हैं कि तेजस्वी यादव और लालू यादव को कांग्रेस का ये स्टैंड बिल्कुल भी मंजूर नहीं होने वाला है - और अगर ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर टकराव बढ़ेगा, और उसका नतीजा भी नुकसानदेह साबित होगा. 

कांग्रेस और आरजेडी में टकराव का नया मुद्दा जातीय जनगणना

बिहार के कास्ट सर्वे का क्रेडिट लेने वाले तेजस्वी यादव ने केंद्र की बीजेपी सरकार के फैसले को अपनी जीत करार दिया है. कहते हैं, ये हमारी 30 साल पुरानी मांग थी... ये हमारी, समाजवादियों और लालू यादव की जीत है… पहले बिहार के सभी दलों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, लेकिन हमारी मांग को अस्वीकार कर दिया गया. लेकिन, ये हमारी ताकत है कि उन्हें अब हमारे एजेंडे पर काम करना है.

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तेजस्वी यादव ने लालू यादव को जातीय जनगणना का श्रेय सिर्फ अपने पिता और आरजेडी नेता होने के कारण ही नहीं दिया है, ये लालू यादव ही हैं जिन्होंने डंके की चोट पर कहा था कि अगर जातीय जनगणना नहीं कराई गई तो पिछड़े वर्ग के लोग राष्ट्रीय जनगणना का बहिष्कार करेंगे. 

लालू यादव कह रहे हैं, जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला है... अभी बहुत कुछ बाकी है… संघियों को हम हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे.

लालू यादव का कहना है कि समाजवादी लोग जो 30 साल पहले सोचते हैं, बाकी लोग उसे दशकों बाद फॉलो करते हैं. 

बेशक राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना के पक्ष में मुहिम चला रहे हैं, लेकिन उसकी नींव तो बिहार में ही मजबूत हुई है. वो भी तेजस्वी यादव के प्रयासों की बदौलत. कांग्रेस को बिहार में आरजेडी की सहयोगी की भूमिका में ही रही है, और तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर ही नीतीश कुमार को एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के लिए राजी किया था - और जातिगत गणना कराया भी, बाद में भले ही नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चले गये, जिसमें कांग्रेस की भी बड़ी भूमिका मानी गई.  

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