MoTN survey: दूर से ही सही राहुल गांधी ही मोदी को टक्कर दे सकते हैं

राहुल गांधी को विपक्ष भले अपना नेता मानने को तैयार न हो. भले ही बीजेपी आज भी 'पप्पू' बताती रहे, लेकिन MoTN सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले राहुल गांधी ही INDIA ब्लॉक के नेता के रूप में पहले नंबर पर हैं - अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी तो अब भी दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं.

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मोदी से मुकाबला भले मुश्किल हो, लेकिन INDIA ब्लॉक में राहुल गांधी सबसे आगे हैं मोदी से मुकाबला भले मुश्किल हो, लेकिन INDIA ब्लॉक में राहुल गांधी सबसे आगे हैं

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST

राहुल गांधी देश के ऐसे नेता हैं जो ज्यादातर लोगों के निशाने पर होते हैं. केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ही नहीं, बल्कि विपक्षी खेमे के भी ज्यादातर नेताओं की राहुल गांधी के बार में एक जैसी ही धारणा है. और सिर्फ बाहर कौन कहे, कांग्रेस के भीतर भी स्थिति बहुत अलग नहीं है. कांग्रेस नेताओं की चर्चित G23 चिट्ठी में भी तो निशाने पर राहुल गांधी ही रहे.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मामले में बीजेपी का तो विरोध का हक भी बनता है, लेकिन विपक्षी खेमे में भी तमाम ऐसे नेता हैं जो राहुल गांधी को कभी तवज्जो नहीं देते. ममता बनर्जी तो राहुल गांधी को तब भी भाव नहीं देती थीं, जब वो कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे. नीतीश कुमार के जिक्र का तो अब मतलब नहीं बनता, फिर भी अगर पुराने संदर्भों में बात की जाये तो वो कांग्रेस को ममता बनर्जी से ज्यादा महत्व देते रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी को अपने रास्ते की बाधा ही मानते हैं. बिलकुल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह. ऐसे नेताओं की फेहरिस्त काफी लंबी है - अरविंद केजरीवाल, शरद पवार, लालू यादव और न जाने कितने ही नेता इस मुद्दे पर एक ही राय रखने वाले मिलते हैं.

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लेकिन MoTN सर्वे ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि विपक्षी खेमे के नेताओं की बात हो तो पहले नंबर पर राहुल गांधी का ही नाम आता है - और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने नंबर 1 चैलेंजर भी तो वही माना जाएगा. 

राहुल गांधी ही हैं INDIA ब्लॉक के नेता नंबर 1

लोक सभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे सीधे चैलेंज करने वाला कोई नेता आस पास नहीं नजर आ रहा है, अगर विपक्ष की तरफ से, MoTN सर्वे के अनुसार, कोई सामने नजर आ रहा है तो वो हैं कांग्रेस नेता राहुल गांधी. 

सर्वे में शामिल 52 फीसदी लोग फिर से नरेंद्र मोदी को ही अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, जबकि 16 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो चाहते हैं कि राहुल गांधी ही देश के अगले प्रधानमंत्री बनें. सर्वे में अपनी राय दर्ज कराने वाले बाकी लोगों की राय देश के कई नेताओं को लेकर अलग अलग दिखाई पड़ी है.  

करीब छह महीने पहले अगस्त, 2023 में हुए इंडिया टुडे और सी-वोटर के मूड ऑफ द नेशन सर्वे में भी 52 फीसदी लोगों ने ही मोदी को अगले प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पहली पसंद बताया था, और राहुल गांधी को भी 16 फीसदी लोगों ने. हां, जनवरी, 2023 में राहुल गांधी के प्रति ऐसी भावना रखने वाले 14 फीसदी लोग ही पाये गये थे.

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MoTN सर्वे में पूछा गया था कि विपक्ष का नेतृत्व किसे करना चाहिये? लोगों से ये राय भी ली गई कि INDIA ब्लॉक का नेतृत्व किसे करना चाहिये?

सवाल के जवाब में 21.3 फीसदी लोगों ने राहुल गांधी का नाम लेते हुए विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए सबसे सही नेता बताया. इस सवाल के जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बारे में भी राय ली गई, तो सिर्फ 6.4 फीसदी लोगों ने ही हामी भरी. आपको याद होगा, INDIA ब्लॉक की एक बैठक में ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खरगे को विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिये जाने की सलाह दी थी, और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका सपोर्ट भी किया था. 

वैसे राहुल गांधी के बाद विपक्ष का नेतृत्व करने के मामले में लोगों ने अरविंद केजरीवाल का ही नाम लिया है, जबकि ममता बनर्जी को तीसरे पायदान पर रखा है. 17.4 फीसदी लोग जहां अरविंद केजरीवाल को विपक्ष के नेतृत्व के लिए सबसे योग्य मानते हैं, वहीं ममता बनर्जी को 16.5 फीसदी लोग. और हां, 4.2 फीसदी ऐसे लोग भी हैं जो समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को ये जिम्मेदारी दिये जाने के पक्ष में नजर आते हैं. 

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पिछले सर्वे में INDIA ब्लॉक के चेहरे के रूप में भी राहुल गांधी को 24 फीसदी लोग अपनी पसंद बता रहे थे, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बराबर यानी 15-15 फीसदी लोग विपक्षी खेमे से मुख्य नेता मान रहे थे.

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर विपक्षी खेमे के नेताओं की नाराजगी भी सामने आई थी. कई नेताओं के बयान आये कि कांग्रेस ने अकेले यात्रा क्यों निकाली, INDIA ब्लॉक के बैनर तले क्यों नहीं निकाली गई? इस प्रसंग में देखें तो राहुल गांधी की यात्राओं पर लोगों की राय जानना भी यहां महत्वपूर्ण लगता है.  

1. MoTN सर्वे में शामिल 42 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा से राहुल गांधी की छवि में कोई सुधार नहीं हुआ है. यानी राहुल गांधी की यात्रा का लोगों पर कोई असर नहीं है. अभी का सर्वे तो यही बताता है, लेकिन ये भी है कि जब से राहुल गांधी ने यात्रा शुरू की है, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार भी बन चुकी है. 

लोगों का ये कहना भी काफी दिलचस्प लगता है कि जब वे वोट देने जाएंगे तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा उनके लिए कोई मुद्दा नहीं होगी - और सर्वे में शामिल ऐसे लोगों की तादाद 50 फीसदी है. 

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2. विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी के प्रदर्शन को लेकर भी सर्वे में सवाल पूछा गया था - और 34.8 फीसदी लोगों ने राहुल गांधी के प्रदर्शन को खराब, जबकि 23 फीसदी ने बहुत अच्छा बताया है.

उत्तर बनाम दक्षिण की राजनीतिक बहस कहां तक पहुंची?

लोक सभा चुनाव के मद्देनजर कुछ दिनों से देश में एक बहस उत्तर और दक्षिण भारत की राजनीति को लेकर भी चल रही है. बहस तो राहुल गांधी ने ही शुरू की थी, बाद में पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से उसे आगे भी बढ़ाया गया. 

दक्षिण भारत के नेताओं का हिंदी को लेकर तो शुरू से विरोध रहा है, राहुल गांधी ने राजनीतिक समझ को लेकर अपनी तुलनात्मक राय रखी थी, और फिर सनातन के मुद्दे पर डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के बयान पर तो तूफान ही खड़ा हो गया था. 

दक्षिण को साधने के मकसद से बीजेपी की तरफ से लगातार कोशिशें होती रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तमिल संगमम् जैसा ही भारत रत्न दिये जाने की राजनीति लगती है. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिये जाने की वजह तो अलग है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिये जाने का एक मकसद तो दक्षिण के लोगों का दिल जीतना ही लगता है - लेकिन MoTN सर्वे में बंटवारे की लकीर बहुत हद तक साफ नजर आती है. 

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1. दक्षिण भारत की 132 सीटों में से एनडीए सिर्फ 27 पर जीत हासिल करते देखा गया है. जबकि, INDIA ब्लॉक में शामिल राजनीतिक दलों को 76 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है. 29 सीटें ऐसी हैं जिन पर उन पार्टियों को जीत मिल सकती है, जो ना INDIA ब्लॉक का हिस्सा हैं, न ही एनडीए का - कुल मिलाकर ये तो कहा ही जा सकता है कि दक्षिण भारत के राज्यों में INDIA ब्लॉक में शामिल पार्टियां ही हावी हैं, जबकि बीजेपी काफी कमजोर देखी जा रही है.  

2. दक्षिण के तीन राज्य ऐसे हैं जहां बीजेपी का खाता भी नहीं खुलने वाला है, ऐसा सर्वे से मालूम होता है. ध्यान रहे केरल में 20, तमिलनाडु में 39 और आंध्र प्रदेश में लोक सभा की 25 सीटें हैं जो बीजेपी के हाथ से पूरी तरह फिसल सकती हैं. 

आंध्र प्रदेश तो नहीं, लेकिन केरल और तमिलनाडु दोनों ऐसे राज्य हैं जहां कांग्रेस का प्रदर्शन पहले भी अच्छा रहा है. 2019 में तो कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें केरल से ही मिली थीं, और अमेठी की हार के गम से केरल के वायनाड ने ही कांग्रेस को उबार लिया था. तमिलनाडु में तो कांग्रेस को सत्ताधारी डीएमके का लगातार सपोर्ट रहा है.

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