मोकामा के मैदान में हमेशा की तरह महागठबंधन और एनडीए ही आमने सामने थे, लेकिन बदले हालात में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी मैदान में डट कर खड़ी हो गई है. बाहुबली दुलारचंद यादव की हत्या और गिरफ्तारी के बाद अब जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.
अव्वल तो पूरे बिहार में ही प्रशांत किशोर को आजमाया जा रहा होगा, लेकिन मोकामा असली इम्तिहान का सेंटर बन गया है. जन सुराज पार्टी बाहुबलियों से छुटकारा पाने के लिए पढ़े-लिखे इमानदार नेता को वोट देने की अपील कर रही है.
देखें तो मोकामा के मौजूदा हालात प्रशांत किशोर की मुहिम को काफी हद तक सूट करता है. जो मुद्दे प्रशांत किशोर उठा रहे हैं. शिक्षा और रोजगार की बात कर रहे हैं - क्या प्रशांत किशोर के बदलाव की अपील का मोकामा में कोई असर होगा?
क्या चल रहा है मोकामा के मैदान में
मोकामा के मैदान में मुख्य मुकाबला अब भी जेल भेजे गए जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह और इलाके के एक और बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी के बीच ही है, लेकिन बिहार की चुनावी राजनीति में 'जंगलराज' बनाम विकास की बहस में जन सुराज पार्टी कैंडिडेट के लिए मौका तो बन ही गया है. वीणा देवी मोकामा के मैदान में तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी की उम्मीदवार हैं.
प्रशांत किशोर बीते तीन साल से बिहार के गांव गांव घूमकर बिहार में बदलाव की मुहिम चला रहे हैं. प्रशांत किशोर बीजेपी और नीतीश कुमार की तरह सीधे सीधे जंगलराज का नाम तो नहीं लेते, लेकिन लालू यादव और राबड़ी देवी के 15 साल के साथ साथ मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल के 20 का मुद्दा जरूर उठाते हैं.
बाहुबली अनंत सिंह और वीणा देवी के मुकाबले प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की तरफ से पीयूष प्रियदर्शी को टिकट दिया है. दुलारचंद यादव की हत्या का आरोप अनंत सिंह और उनके आदमियों पर लगा है. अनंत सिंह के साथ ही उनके दो साथियों को भी गिरफ्तार किया गया था, और मौके पर मौजूद रहे 80 से ज्यादा लोगों को भी पुलिस पकड़ चुकी है.
पीयूष प्रियदर्शी को जातीय सपोर्ट कितना है?
जन सुराज पार्टी उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी का कहना है, बीस साल से बाहुबलियों का इलाके में लगातार दबदबा रहा है... इस बार जनता बाहुबलियों से छुटकारा पाना चाहती है. पीयूष प्रियदर्शी का दावा है कि लोकसभा चुनाव में मोकामा में उनको करीब 11 हजार वोट मिले थे.
बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी को मुंगेर लोकसभा सीट पर 15731 वोट मिले थे. असल में, पीयूष प्रियदर्शी जातीय समीकरण में भी खुद को मजबूत मानकर चल रहे हैं - लेकिन सवाल तो ये है कि प्रशांत किशोर जाति और धर्म को छोड़कर बदलाव के लिए चुनाव लड़ रहे हैं.
मोकामा विधानसभा सीट पर भूमिहार वोटर का वर्चस्व है. अनंत सिंह भी भूमिहार हैं, और 2005 से मोकामा सीट उनके पास ही रही है. 2022 के उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी आरजेडी के टिकट पर विधानसभा पहुंची थीं, लेकिन इस बार अनंत सिंह ने जेल से छूटते ही घोषणा कर दी थी कि वो जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. और हैरानी की बात है कि वही सच हुआ.
भूमिहार वोटर के बाद धानुक जाति के वोटर का प्रभाव माना जाता है. धानुक जाति कोइरी जाति की उप-जाति है, जो नीतीश कुमार का सपोर्ट करती है. बिहार में लालू यादव के M-Y फैक्टर की तरह नीतीश कुमार लव-कुश समीकरण की राजनीति करते हैं. मोकामा में ब्राह्मण, राजपूत, पासवान और रविदास वोटर भी हैं, लेकिन देखने में अब तक यही आया है कि जिसे भी भूमिहार-ब्राह्मण और राजपूतों का समर्थन मिल जाता है, चुनाव भी जीत जाता है - अनंत सिंह इस मामले में चैंपियन साबित होते हैं.
मोकामा में जन सुराज के पक्ष में क्या है?
बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने पहले ही बोल रखा है कि दुलारचंद यादव मर्डर केस में उपलब्ध सबूतों के आधार पर वारदात के वक्त मौके पर मौजूद हर शख्स की चुन-चुन कर गिरफ्तारी की जाएगी. अनंत सिंह की गिफ्तारी का आधार भी यही है, और उसी आधार पर वो पीयूष प्रियदर्शी को भी गिरफ्तार किए जाने की बात कर रहे हैं.
बिहार पुलिस के डीजीपी के मुताबिक, पटना के एसएसपी के नेतृत्व में 150 पुलिसकर्मियों की टीम बनाकर अनंत सिंह को मोकामा से गिरफ्तार किया गया. कहते हैं, 'घटना में जो भी व्यक्ति शामिल होगा, चाहे वो पीयूष प्रियदर्शी हों या कोई और, सभी को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा.'
पीयूष प्रियदर्शी खुद भी अपनी गिरफ्तारी की आशंका जता रहे हैं. पीयूष प्रियदर्शी का दावा है, 'मेरी कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है, ये सब अनंत सिंह के दबाव में हो रहा है.'
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से अपराध और न्याय शास्त्र में पोस्टग्रेजुएट पीयूष प्रियदर्शी ने मोकामा के लोगों से अपील की है, 'शिक्षित और ईमानदार उम्मीदवार को वोट दें, किसी के डर या दबाव में आकर निर्णय न लें.'
चुनावी हिंसा में मारे गए दुलारचंद यादव कभी लालू यादव के भी करीबी माने जाते थे, लेकिन फिलहाल वो जन सुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी का सपोर्ट में खड़े थे. पीयूष प्रियदर्शी भले ही बाहुबलियों के दबदबे की बात करें, लेकिन दुलारचंद यादव का समर्थन लेना तो उनके दावों की ही पोल खोल रहा है.
मृगांक शेखर