बिहार विधानसभा चुनावों के पहले चरण के वोटिंग के ठीक पहले एक सीरीज रिलीज होती है जिसमें प्रधानमंत्री को ईडी-सीबीआई का खुलकर दुरुपयोग करने वाला दिखाया जाता है, विपक्ष दलों को किसी भी कीमत पर बर्बाद किया जाता है, वंशवाद का महिमामंडन किया जाता है, और बिहार को स्पेशल स्टेटस न देने और केंद्र की तानाशाही के चलते बिहार की सरकार को एक-एक रूपये के लिए मोहताज होते दिखाया जाता है.
जाहिर है कि एक सामान्य आदमी इस सीरीज को देखकर बिहार की सारी समस्याओं के लिए केंद्र को आसानी से जिम्मेदार ठहरा सकता है. इतना ही नहीं इस सीरीज में कई ऐसे घटनाक्रम को वर्तमान पीएम से जुड़ी घटनाओं से जोड़ने की कोशिश की गई है.सीरीज को देखते हुए बार-बार यह महसूस होता है कि जानबूझकर वर्तमान पीएम को निशाना बनाया जा रहा है.
आप समझ गए होंगे कि यहां किस सीरीज की चर्चा हो रही है. सोनी लिव पर आई महारानी का चौथा सीजन इस समय धूम मचा रहा है.आप कह सकते हैं कि इस सीरीज का कोई असर नहीं होगा. क्योंकि बिहार के गांवों में कौन सीरीज देखता है? पर बात इतनी आसान नहीं होती है.ऐसी कहांनियों के रिलीज होने पर समीक्षाएं लिखीं जाती हैं, सोशल मीडिया पर चर्चा होती है, युवा वर्ग गांव-गांव में मोबाइल पर सीरीज देखने लगा है. यू ट्यूब पर समीक्षाएं देखी जाती हैं. एक आदमी सीरीज देखता है तो कम से कम 10 लोगों तक अपनी बात को फैलाता है. इस तरह कहानी के जरिए आज कर एजेंडा सेट किया जाता है.
1-कहानी में पीएम को खलनायक की तरह पेश करना
महारानी के इसके पहले तीन सीरीज बिहार की राजनीतिक कहांनियों से प्रेरित रहे हैं. अभी पिछले सीजन तक नवीन कुमार नाम से नेगेटिव किरदार को नीतीश कुमार की तरह पेश किया गया था. इस सीजन में यह नवीन कुमार जेल में सजा काट रहा है. और पीएम जोशी बिहार की राजनीति में फतह के लिए उसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
पर इस बार कहानी बिहार से निकलकर केंद्र में पहुंच गई है. पर कहानी के सेंटर में बिहार ही है. सीरीज का थीम मूल रूप से 1990s के लालू-राबड़ी युग से इंस्पायर्ड है. सीजन 4 में टाइम 2000s से 2024 तक का दिख रहा है. रानी भारती (हुमा कुरैशी) बिहार की दूसरी बार सीएम बनी हुई हैं. मुख्य कंफ्लिक्ट दिल्ली शिफ्ट हो जाता है. पीएम सुधाकर श्रीनिवास जोशी (विपिन शर्मा) रानी से गठबंधन मांगते हैं, क्योंकि पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की CM ने समर्थन वापस ले लिया है.
लेकिन रानी नेशनल टीवी पर लाइव रिजेक्ट कर देती है, वजह? बिहार को स्पेशल स्टेटस न मिलना, सालों की गिड़गिड़ाहट के बावजूद.यह प्लॉट NDA के खिलाफ लगता है. पीएम जोशी को नेगेटिव पोर्ट्रे किया गया , बिहार को इग्नोर करने वाला, गठबंधन के लिए कुछ भी करने वाला. बिहार की सीएम रानी का एक डायलॉग होता है कि बिहार हमारा परिवार है, अगर कोई बिहार को नुकसान पहुंचाएगा, तो सत्ता हिला देंगे.
रानी के सपोर्ट देने से इनकार करने पर पीएम जोशी के दबाव में सीबीआई एक राज्यपाल मर्डर का केस फिर से ओपन करती है. इसके जरिए रानी भारती को कमजोर करने की कोशिश होती है. रानी भारती बिहार सीएम पद से रिजाइन करके अपनी बेटी को सत्ता सौंप देती हैं. और खुद को दिल्ली पर फोकस करती हैं और पीएम जोशी की सरकार को हराने का संकल्प लेती हैं.
2-वंशवाद को महिमामंडित करना
सीरीज की सबसे बड़ी खासियत ये ही है कि इसे देखने के बाद वंशवाद का विरोध करने वाला शख्स इसका समर्थक हो जाएगा.
रानी दिल्ली जाती हैं, बेटी रोशनी (श्वेता बसु प्रसाद) बिहार की नई CM बनती हैं. यह डायनेस्टिक पॉलिटिक्स (लालू परिवार जैसी) को दिखाता है.पार्टी में वंशवादी राजनीति के खिलाफ रानी भारती के दो सबसे विश्वसनीय लोग विरोध करते हैं. फिर भी रानी भारती अपने बेटे और बेटियों को आगे बढ़ाती हैं. इसके पक्ष में ठोस तर्क रखती हैं. सीरीज देखने वालों के लगेगा कि लालू को राबड़ी को सत्ता सौंपना या तेजस्वी को अपना उत्तराधिकार देना ये सब इसलिए ही जरूरी हो गया होगा.
बिहार में राबड़ी देवी के राज में बिहार में विकास कार्य न होने की भी सफाई दी गई है. दरअसल जब रानी भारती रिजाइन करके अपने बेटी रोशनी भारती को सत्ता सौंपती हैं तो उनके पास विकास कार्यों के लिए पैसा ही नहीं है. सीरीज में दिखाया जाता है कि केंद्र सरकार एक एक रूपये की मदद रोक देता है.बिहार का वाजिब हिस्सा भी नहीं देता है.
3-ईडी -सीबीआई का दुरुपयोग
सीरीज में देश के प्रधानमंत्री जोशी को सीबीआई और ईडी का जमकर दुरुपयोग करते दिखाया गया है. कई क्षेत्रिय क्षत्रपों को सरकार का समर्थन करने के लिए इन दोनों एजेंसियों के जरिए बाध्य किया जाता है.रानी भारती के खिलाफ मर्डर केस की फाइल खोलना, रानी भारती के बेटे के खिलाफ कोयला घोटाले में ईडी की कार्रवाई, बिहार की सीएम रोशनी भारती को जेल भेजना, तमिलनाडु के सीएम के घर ईडी के रेड आदि को इस तरह दिखाया जाता है कि इसके लिए पीएम जोशी ही जिम्मेदार हैं.
हालांकि यूपीए काल में सरकार बचाने के लिए मुलायम सिंह यादव के पूरे परिवार के आय से अधिक संपत्ति केस के जरिए दबाव बनाने जैसे कई किस्से पॉपुलर हैं. पर चूंकि रानी के बेटे जय की गिरफ्तारी (ED जैसी एजेंसी से) और पार्लियामेंट डिसॉल्व करने का प्लॉट आज की पॉलिटिक्स (जुमला, वॉशिंग मशीन, शहजादा रेफरेंस) से मैच करता है. तो जाहिर है कि निशाने पर वर्तमान केंद्र सरकार ही है.
4- कैरेक्टर्स और रीयल पॉलिटिशियंस का मैपिंग
जिन लोगों ने इस सीरीज को देखा होगा उन्हें पता होगा कि पीएम जोशी के किरदार में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की शक्ल का इस्तेमाल किया गया है. उन्हें आंध्र प्रदेश के एक गांव में जन्म वेने वाला बताया गया है जिसके पास दुनिया भर के विश्वविद्यालयों की डिग्रियां हैं. पीएम जोशी की कहानी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की प्रेम कहानी को भी ठूंसा गया है. जबकि उसकी कोई जरूरत नहीं थी.
पीएम जोशी की नरेंद्र मोदी जैसी इमेज बनाने के लिए जुमले वाले PM कहकर ट्रोल किया गया है. यही नहीं चुनाव होने पर पीएम जोशी के नेतृत्व में उन्हें 232 सीट मिलता दिखाया गया है. गौरतलब है कि एनडीए को 2024 लोकसभा चुनावों में 234 सीटें प्राप्त हुईं थीं. जिस तरह एनडीए का साथ देने के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार और आंध्र के सीएम चंद्रबाबू सामने आते हैं उसी तरह महारानी सीरीज में बंगाल और तमिलनाडु के सीएम सपोर्ट में आते हैं. पीएम जोशी को अपने स्किन पर विशेष ध्यान रखने वाला दिखाया गया है. इसके साथ ही कपड़ों को लेकर बहुत सजग रहने वाला दिखाया गया है. सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा है कि ऐसा सब पीएम मोदी को टारगेट करने के लिए है.
रोशनी को तेजस्वी यादव जैसी युवा लीडरशिप की तरह पेश किया गया है. नवीन कुमार को नीतीश कुमार या अन्य राइवल जो पीएम से एलाइड हो जाता है.
5: रिलीज टाइमिंग – संयोग या स्ट्रैटेजिक मूव?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण 6 नवंबर को संपन्न हो चुका है, जिसमें 64.66% वोटर टर्नआउट रिकॉर्ड किया गया. राज्य के इतिहास का सबसे ऊंचा. दूसरा चरण 11 नवंबर को है, और मतगणना 14 नवंबर को है. इसी बीच, महारानी सीजन 4 7 नवंबर को सोनी लिव पर रिलीज हुई है. यह टाइमिंग कोई संयोग नहीं लगती है. प्रोड्यूसर्स ने इसे सबसे विवादास्पद और इमोशनली चार्ज्ड सीजन बताया है, जो बिहार की पावर पॉलिटिक्स और पब्लिक सेंटिमेंट से सीधे जुड़ा है.
कई रिव्यूज में इस रिलीज को रणनीतिक बताया गया है. X पर एक BJP समर्थक यूजर ने पोस्ट किया कि यह सीरीज प्योर प्रोपगैंडा है, बिहार चुनावों के लिए, जहां PMO को बिहार को नष्ट करने वाला अहंकारी दिखाया गया है. अमित मालवीय जैसे लोगों ने OTT पर प्रोपगैंडा चेक नहीं किया. यह पोस्ट 9 नवंबर को वायरल हो रही है.कुल मिलाकर, टाइमिंग शो को चुनावी हाइप देती है.
संयम श्रीवास्तव