कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रू़डो खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाकर फंस गए हैं. उनका साथ देने से फाइव आई के चार देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड) ने भी इनकार कर दिया है.अमेरिका और ब्रिटेन ने क्लियर कर दिया है कि खालिस्तान समर्थक किसी भी तरह के आतंकवाद के समर्थन की कोई बात नहीं होगी. इसके अलावा ट्रूडो की मुश्किल ये है कि कनाडा का विपक्ष उन पर पहले से ही आरोप लगा रहा था कि ट्रूडो ने सत्ता में आने के लिए चीनी सत्ता तंत्र की सहायता ली थी, अब उसे ट्रूडो पर हमला करने का एक और मौका मिल गया है.
विपक्ष सवाल उठा रहा है कि ट्रूडो को कनाडा के आंतरिक मामलों में चीन का हस्तक्षेप नहीं दिखता है, भारत का ही दिखता है. तमाम कनाडाई लोग यही बात पाकिस्तान के लिए भी कह रहे हैं. ट्रूडो पर आरोप लग रहा है कि जब एक बलूच नेता की कनाडा में पाकिस्तानी एजेंसी ने हत्या करवाई तो ट्रूडो ने यही तल्ख तेवर क्यो नहीं दिखाया?
कनाडाई विपक्ष का कहना, चीन का हस्तक्षेप दिखता है पर भारत का नहीं
कनाडा में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और विपक्ष के प्रमुख चेहरा पोइलिव्रे कहते हैं कि सरकार द्वारा एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित करने और संसद में एक खालिस्तानी कार्यकर्ता की हत्या के पीछे भारत का हाथ होने का आरोप लगाने के बाद प्रधान मंत्री ट्रूडो को इस संंबंद में और अधिक तथ्य प्रदान करने की आवश्यकता है. इतना कहने के बाद पोइलिव्रे यह भी जोड़ देते हैं कि , इसके विपरीत, ट्रूडो को चीन के विदेशी हस्तक्षेप के बारे में पता था लेकिन उन्होंने जनता को सूचित नहीं किया.
पोइलिव्रे यह कहना चाहते हैं कि ट्रूडो को भारत का कनाडा में हस्तक्षेप तो दिखता है पर चीन का कनाडा के आंतरिक मामलों हस्तक्षेप नहीं दिखता है. दरअसल ट्रूडो की पार्टी पर आरोप है कि चीनी हस्तक्षेप के बल पर कनाडा में विपक्ष को हराया गया था.
कनाडा के पत्रकार स्पेंसर फर्नांडो एक्स पर लिखते हैं कि पोइलिव्रे को यह महत्वपूर्ण बात कहते हुए देखकर अच्छा लगा. इस बारे में बहुत परेशान करने वाली बात है कि कैसे ट्रूडो ने कनाडाई लोकतंत्र पर कम्युनिस्ट चीन के हमले को खारिज करने के लिए हर संभव कोशिश की, जबकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के खिलाफ आरोपों को तुरंत प्रचारित किया.
चीन के हस्तक्षेप से बनी थी कनाडा में ट्रूडो की सरकार
कनाडा में विपक्ष शुरू से यह आरोप लगाता रहा है कि ट्रूडो की पार्टी के सत्ता में आने के पीछे चीन का हाथ रहा है. दरअसल चीन दुनिया भर में चीन का विरोध करने वाली पार्टियों को हराने के लिए काम करता है. कनाडा की कंजर्वेटिव पार्टी भी चीन को लेकर बहुत सख्त रुख है. इसलिए कनाडा में विपक्ष को हराने के लिए चीन ने साम दाम दंड भेद सब लगा दिया और ट्रूडो की पार्टी की जीत को संभव बनाया. यही कारण है कि कनाडा में विपक्ष चीन के हस्तक्षेप का पता लगाने के लिए निष्पक्ष जांच की मांग करता रहा है. जिसके चलते ही कनाडा ने अभी कुछ दिन पहले ही में चीन के हस्तक्षेप की जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया गया है. आयोग जांच करेगा कि क्या चीन ने 2019 और 2021 में कनाडाई संघीय चुनावों में विपक्ष को हराने के लिए काम किया था? इन चुनावों में प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो को फिर से चुना गया था. अभी कुछ दिनों पहले ही जस्टिन सरकार पर एक रिपोर्ट को दबाने का आरोप भी है. इस रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों का हवाला देते हुए यह बात सामने आई थी कि चीन ने उदारवादियों का समर्थन करने और कंजर्वेटिव राजनेताओं को हराने के लिए काम किया था.
बलोच नेता को आईएसआई ने कनाडा में मार दिया था
पत्रकार फ्रांसेस्का मैरिनो कहती हैं कि यह आश्चर्यजनक है कि निज्जर की नागरिकता के बारे में मेरे ट्वीट पर सभी कनाडाई उछल-कूद कर रहे हैं, लेकिन उनमें से किसी ने भी करीमा के बारे में चिंता नहीं की, जिसे पाकिस्तान आईएसआई ने लोकतंत्र की पवित्र भूमि पर मार डाला था. खालिस्तानी आतंकवादियों को संरक्षण प्राप्त है, बलूच कार्यकर्ताओं के लिए कुछ भी नहीं हैं.
X पर तमाम लोग ट्रूडो से पूछ रहे हैं कि आखिर पीएम ने करीमा बलूच की हत्या पर चुप्पी क्यों साध रखी है. 37 साल की मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच बलूचिस्तान की आजादी के लिए सक्रिय थीं. वह कनाडा में निर्वासन का जीवन जी रही थीं. दिसंबर 2020 में उनकी लाश टोरंटो में एक नदी किनारे मिली थी. करीमा के पति हैदर ने टोरंटो पुलिस से उनकी हत्या के लिए पाकिस्तान की सेना पर शक जताया था.परिवार की तरफ से आईएसआई पर शक जताने के बाद भी पीएम ट्रूडो ने आज तक इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोला.
संयम श्रीवास्तव