केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक प्रोमोशन का समय क्या नजदीक आ गया है?

ये कोई ढंकी छुपी बात नहीं है कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लगातार अपनी बड़़ी भूमिका के लिए प्रयासरत रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ विवादों का आधार भी यही कारण रहा है. पर जिस तरह इधर कुछ दिनों से उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर महत्व मिला है उससे उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म होना लाजिमी है.

Advertisement
केशव प्रसाद मौर्य और अमित शाह की नजदीकियां जग जाहिर हैं. केशव प्रसाद मौर्य और अमित शाह की नजदीकियां जग जाहिर हैं.

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:57 AM IST

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आस-पास आजकल पहले के मुकाबले भीड़ बढ़ गई है. जबसे उन्हें बिहार में विधानमंडल दल का नेता चुनने के लिए पर्यवेक्षक बनाए जाने की खबर आई है उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में उनकी पूछ बढ़ गई है. वैसे भी पिछले 8 साल से लगातार डिप्टी सीएम की पोस्ट पर हैं और केंद्र में कई पावरफुल शक्तियों के वो संपर्क में रहते हैं. कुछ महीनों पहले लखनऊ के एक कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें अपना मित्र बताया था. जाहिर है कि आज कल उनके सितारे चमक रहे हैं.

Advertisement

 ऐसे समय में जब साफ दिख रहा है कि भारतीय जनता पार्टी अब ब्राह्मण बनियों की पार्टी से इतर ओबीसी डॉमिनेंट पार्टी में बदलती जा रही है तो यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि केशव प्रसाद मौर्य के दिन फिरने वाले हैं. हां यह बात अलग है कि वो किस तरह का होगा. क्या उत्तर प्रदेश में ही उन्हें कोई नई महत्वपूर्ण भूमिका मिलने वाली है या अब उन्हें राष्ट्रीय भूमिका में पार्टी ले जाने वाली है. आइये देखते हैं कि केशव प्रसाद मौर्य के प्रमोशन की उम्मीद क्यों बढ़ रही है? 

2027 में यूपी की जीत में केशव की भूमिका अहम

केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ओबीसी चेहरा हैं. 2017 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो केशव उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष होते थे. पर जब मुख्यमंत्री बनाने की बात आई तो योगी आदित्यनाथ को मौका मिल गया. पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बढ़िया पर्फार्मेंस दिखाने के बावजूद 2022 में 2017 के मुकाबले पार्टी की सीटें घट गईं. इतना ही नहीं 2024 लोकसभा चुनावों में तो बीजेपी को केवल 34 सीट ही मिल सकी. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण OBC वोटों में गिरावट माना गया. जाहिर है कि 2027 में एक बार फिर बीजेपी को 2017 जैसी अपेक्षित सफलता चाहिए तो मौर्य जैसे नेता को महत्व देना होगा. 

Advertisement

बिहार चुनावों में उनकी महती भूमिका

भारतीय जनता पार्टी के लिए बिहार का चुनाव जीतना बहुत जरूरी था. केशव प्रसाद मौर्य को बीजेपी संगठन की ओर से बिहार चुनाव में सह-प्रभारी की भूमिका दी गई थी.मौर्य ने बिहार में NDA की प्रचंड जीत में OBC-EBC वोटबैंक को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई. मुजफ्फरपुर-दरभंगा जैसे जिलों में 50 से अधिक रैलियां करके उन्होंने बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में कारगर साबित हुए. उनकी जाति (कुर्मी) बिहार के गैर यादव ओबीसी को बीजेपी के पक्ष में करने के लिए कारगर साबित हुई. 

बिहार में केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्ति

 18 नवंबर 2025 को BJP संसदीय बोर्ड ने मौर्य को बिहार विधायक दल का नेता चुनने के लिए पार्टी की ओर से पर्यवेक्षक बनाया गया. उनके साथ सह-पर्यवेक्षक अर्जुन राम मेघवाल और साध्वी निरंजन ज्योति को भी जिम्मेदारी दी गई थी.जाहिर है कि सब कुछ शांति पूर्वक संपन्न कराकर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बेहतर ढंग से निभाने का सबूत दे दिया है. 

क्या राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाएंगे 

भारतीय जनता पार्टी में अध्यक्ष की नियुक्ति लगातार टलती आ रही है. इस दौड़ में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम प्रमुखता से उभर रहा है. OBC पृष्ठभूमि के इस कद्दावर नेता को अमित शाह का करीबी माना जाता है, और हालिया बिहार चुनावों में उनकी भूमिका ने उनकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को नई ऊंचाई दी है. पार्टी की OBC-केंद्रित रणनीति, योगी आदित्यनाथ से टकराव और राष्ट्रीय चुनावी समीकरणों के चलते यह पद उनके लिए सबसे मुफीद बन जाता है. 

Advertisement

अमित शाह और आरएसएस दोनों से नजदीकियां

उत्तर प्रदेश में 2022 में भाजपा की दोबारा जीत के बाद दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम पद से हटा दिया गया और उनकी जगह पर ब्रजेश पाठक को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. लेकिन मौर्य अपने पद पर कायम रहे. जबकि केशव प्रसाद मौर्य को हटाए जाने का पर्याप्त कारण था.  वह अपनी विधानसभा सीट सिराथू से लगभग 7,000 वोटों से एसपी उम्मीदवार पल्लवी पटेल से चुनाव हार गए थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लगातार विवादों के बीच चुनाव हारना और उसके बाद भी डिप्टी सीएम बनाया जाना यूं ही नहीं था. मतलब साफ था कि उन पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की कृपा बरस रही है.

दिल्ली में केशव मौर्य और गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात अक्सर चर्चा का विषय बन जाती है. केशव जब भी दिल्ली से वापस आते हैं ऊर्जा से भरे नजर आते हैं.इतना ही नहीं  मौर्य आरएसएस और वीएचपी के साथ लंबे समय तक काम कर चुके और उन्हें कॉडर का आदमी माना जाता है. उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई है. जाहिर है कि उनकी परमोशन में रुकावट नाम की कोई चीज नहीं है. बस समय और मौके का इंतजार है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement