निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने अपनी नई पार्टी बना ली है. टीएमसी के एक्शन के फौरन बाद ही हुमायूं कबीर ने कहा था कि वो 22 दिसंबर को अपनी राजनीतिक पार्टी बनाएंगे, और बना भी लिया. हुमायूं कबीर ने अपनी पार्टी का नाम रखा है - जनता उन्नयन पार्टी.
मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनवाने को लेकर चर्चा में आए, और उसी वजह से टीएमसी से निकाले गए हुमायूं कबीर ने RSS प्रमुख मोहन भागवत को जवाब भी दिया है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी कर रहे हैं.
हुमायूं कबीर पश्चिम बंगाल चुनाव में 100 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल में करीब तीन महीने बाद ही चुनाव होने जा रहे हैं. अपनी राजनीतिक पार्टी के नाम के ऐलान से पहले न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में हुमायूं कबीर ने बताया कि आम आदमी के लिए काम करने के लिए और चुनाव लड़ने के लिए पार्टी बनाई जा रही है.
मोदी और भागवत की तारीफ
पश्चिम बंगाल दौरे में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने वहां बाबरी मस्जिद की नींव रखे जाने को राजनीतिक साजिश बताया है. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में हुमायूं कबीर ने बीते 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद बनाने का प्रतीकात्मक उद्घाटन किया था.
हुमायूं कबीर का नाम लिए बगैर ही मोहन भागवत ने कहा है, अब फिर से बाबरी मस्जिद बनाकर उस झगड़े को शुरू करने का राजनीतिक षडयंत्र किया जा रहा है... ये केवल वोट बैंक के लिए हो रहा है... जबकि ये न तो हिंदुओं और न ही मुसलमानों की भलाई के लिए है... झगड़ा खत्म हो रहा है... अच्छी सद्भावना बनेगी, लेकिन फिर से खाई चौड़ी करने का प्रयास हो रहा है... ऐसा नहीं होना चाहिए.
संघ प्रमुख के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए हुमायूं कबीर का कहना है कि वो मोहन भागवत का सम्मान करते हैं, लेकिन इस बात से कतई इत्तेफाक नहीं रखते कि बाबरी मस्जिद के मुद्दे से पश्चिम बंगाल में अशांति फैल सकती है. हुमायूं कबीर का कहना है, हम मोहन भागवत जी का सम्मान करते हैं, लेकिन उनका ये आकलन कि यहां दंगे वगैरह हो सकते हैं... हम ऐसा कुछ नहीं होने देंगे.
मोहन भागवत के बहाने हुमायूं कबीर ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी निशाने पर लिया है. हुमायूं कबीर का दावा है कि आरएसएस और ममता बनर्जी के बीच गठजोड़ है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि हुमायूं कबीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ कर रहे हैं. कहते हैं, प्रधानमंत्री भारत का सबसे बड़ा ओहदा है... उनका सम्मान करना चाहिए... वो संविधान का सर्वोच्च पद है.
एक इंटरव्यू में हुमायूं कबीर कहते हैं, मोदी जी जिस उम्र में इतना काम करते हैं, वो मुझे बहुत पसंद है.
ऐन उसी वक्त हुमायूं कबीर बताते हैं, मेरे पसंदीदा नेताओं में इंदिरा गांधी थीं. इसके बाद राजीव गांधी, लेकिन वर्तमान में मुझे डॉक्टर मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत पसंद हैं... मुझे अल्लाह पर पूरा भरोसा है... मुझे किसी तरह का कोई डर नहीं है... एक दिन तो मरना ही है.
हुमायूं कबीर की पॉलिटिक्स क्या है?
पुलिस सेवा से राजनीति में आए हुमायूं कबीर के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो काफी कॉन्ट्रास्ट नजर आता है. 2019 में हुमायूं कबीर बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं, और फिर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिए थे. ममता बनर्जी की कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं - और अब दोनों दलों के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल नेता ममता बनर्जी को टार्गेट करते हुए हुमायूं कबीर ने दावा किया कि वो आरएसएस के साथ मिलीभगत कर रही हैं. पहले भी हुमायूं कबीर कह चुके हैं, दीदी जो पहले थीं और आज की ममता बनर्जी में काफी फर्क आया है. आज की ममता बनर्जी जनता से दूर हो गईं हैं. पहले वो सबकी सुनती थीं. सबको खोज लेती थीं.
एक इंटरव्यू में हुमायूं कबीर ने ये भी दावा किया था कि टीएमसी को ममता बनर्जी नहीं कोई और चला रहा है, 'आज की तारीख में तृणमूल कांग्रेस को प्रतीक जैन चला रहे हैं, जो IPAC के मुखिया हैं. पहले प्रशांत किशोर चलाते थे. अब वो चलाते हैं, और उनकी बात सुन कर फैसले लिए जाते हैं... किसको पार्टी में रखा जाएगा और किसी को निकाला जाएगा.'
हुमायूं कबीर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने के ऐलान के मुद्दे पर ही टीएमसी ने सस्पेंड कर दिया था. शायद इसीलिए वो अपने खिलाफ एक्शन में थर्ड पार्टी का नाम ले रहे हैं. बीजेपी की बी-टीम होने के आरोप पर हुमायूं कबीर सफाई भी देते हैं, किसी के बोलने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है और किसी के बोलने से मैं किसी की टीम नहीं बन जाता हूं... मैं अपना काम करूंगा. बीजेपी अपना काम करेगी... तृणमूल कांग्रेस अपना काम करेगी और AIMIM अपना काम करेगी.
हुमायूं कबीर मुस्लिम वोट के लिए ही पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद बनवाना चाहते हैं. बीजेपी के खिलाफ मजबूती से डटे होने के कारण मुस्लिम वोट पर पहला दावा तो ममता बनर्जी का ही बनता है. दावेदार तो कांग्रेस भी होती, लेकिन ममता बनर्जी बंगाल में अब दाखिल भी नहीं होने देना चाहतीं. असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर बिहार की कामयाबी बंगाल में दोहराना चाहते हैं - हुमायूं कबीर आखिर किस छोर पर खड़े हैं?
मृगांक शेखर