चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के लिए बड़ा दिल दिखाया है. चिराग पासवान कहते तो यही आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे, लेकिन उनकी बाकी सारी गतिविधियां जेडीयू नेता के खिलाफ ही नजर आती हैं.
बिहार में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने का मामला हो, उनकी पार्टी के बिहार की 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का मसला हो या फिर, खुद चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने का - हर मामले में निशाने पर तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही नजर आते हैं.
लेकिन अब चिराग पासवान ने अपनी तरफ से साफ कर दिया है कि वो 2020 के विधानसभा चुनाव में किये गये अपने प्रयोग नहीं दोहराने जा रहे हैं.
चिराग पासवान का कहना है, मैं मानता हूं कि बीजेपी का उम्मीदवार भी मेरा होगा, जेडीयू का कैंडिडेट भी मेरा होगा… हमारे तमाम घटक दलों के प्रत्याशी भी मेरे होंगे.
चिराग पासवान 2020 के चुनाव में एनडीए से अकेले होकर मैदान में उतरे थे, और महज एक सीट जीत पाये थे, और वो विधायक भी उनको छोड़कर चला गया.
तब चिराग पासवान भले ही एक सीट जीत पाये थे, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को हुआ था. और, इस बार भी वैसी ही संभावना लग रही थी. कहा तो है, देखते हैं - राजनीतिक बयानों मायने भी अलग ही होते हैं.
नीतीश कुमार की फिक्र तो चिराग पासवान ने थोड़ी कम कर दी है, लेकिन बहाने से ही सही बीजेपी की चिंता जरूर बढ़ा दी है - जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर की तारीफ करके.
एक दूसरे की तारीफ में कसीदे क्यों पढ़े जा रहे हैं
चिराग पासवान ने प्रशांत किशोर की राजनीति गतिविधियों की दिल खोलकर तारीफ की है, करीब करीब वैसे ही जैसे कुछ दिन पहले प्रशांत किशोर ने की थी - और दोनों नेताओं की तारीफों में कॉमन शब्द जात-पात सुनने को मिले हैं.
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान कह रहे हैं, प्रशांत जी बिहार की राजनीति में एक ईमानदार भूमिका निभा रहे हैं, जिसकी मैं सराहना करता हूं.
कुछ दिनों पहले प्रशांत किशोर ने भी चिराग पासवान की कुछ इसी लहजे में तारीफ की थी, बिहार की राजनीति में चिराग पासवान का आना बिहार के लिए अच्छी बात है. प्रशांत किशोर का कहना था, नया लड़का है, जो जात-पात की बात नहीं करता.
तारीफों के पुल के आगे की पॉलिटिक्स क्या है
जब चिराग पासवान की तरफ से बिहार पर फोकस करने और किसी सामान्य सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने की बातें की जा रही थी, तभी प्रशांत किशोर ने उनकी तारीफ की थी.
लेकिन तब प्रशांत किशोर ने ये भी कहा था कि चिराग पासवान की बिहार के प्रति चिंता को गंभीर वो तब गंभीर मानेंगे जब चिराग पासवान लोकसभा की सदस्यता छोड़कर विधानसभा चुनाव में उतरते. प्रशांत किशोर की ये दलील भी वाजिब है.
अब जबकि 2020 नहीं दोहराये जाने की बात होने लगी है, तो लगता है कि चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव लड़ने का भी इरादा बदल लिया है. हो सकता है, पहले से ही ये सब तय हो, चुनावी रणनीति के तहत.
चिराग पासवान और प्रशांत किशोर दोनों ही एक-दूसरे को मित्र भी बताते हैं. राजनीति में तो ऐसा ही होता है, दुश्मन जैसा व्यवहार करते वक्त भी नेता एक दूसरे को फिल्मी अदालतों की तरह ‘मेरे काबिल दोस्त’ जैसा ही प्रेम दर्शाते हैं.
चिराग पासवान को लेकर प्रशांत किशोर ये भी कह चुके हैं कि बिहार को अगले 20-25 साल की राजनीति के लिए युवा नेतृत्व की जरूरत है.
पहले तो चिराग पासवान भी सभी सीटों पर लड़ने जैसी बात कर चुके हैं, लेकिन प्रशांत किशोर तो शुरू से ही 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात करते आ रहे हैं - लेकिन क्या दोनों किसी तरह का चुनावी गठबंधन भी कर सकते हैं?
मीडिया के सवाल पर प्रशांत किशोर कहते हैं, जब तक चिराग पासवान बीजेपी के साथ हैं, राजनीतिक सरोकार नहीं हो सकता. सही बात है. चुनावों के दौरान तो ऐसा ही कहा जाता है.
चिराग पासवान और प्रशांत किशोर दोनों के निशाने पर नीतीश कुमार ही हैं. बिहार की कानून व्यवस्था ही है. फर्क सिर्फ ये है कि चिराग पासवान का दावा है कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे, और प्रशांत किशोर का दावा है कि ऐसा बिल्कुल नहीं होगा.
सवाल ये भी है कि जब चिराग पासवान और प्रशांत किशोर दोनों की राजनीतिक सोच मिलती है, तो क्या किसी दोनों की राजनीति किसी एक के लिए फायदा, और किसी और के लिए नुकसानदेह साबित होने जा रही है.
मृगांक शेखर