उत्तराखंड में बादल फटने से एक शख्स की मौत, कई इलाके जलमग्न

घटना के बाद एसडीआरएफ की टीम खेड़ा और असेधी गांव की तरफ रवाना हो गई है. यहां लोगों की मदद की जा रही है और बचाव कार्य भी जारी है.

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बादल फटने से एक की मौत बादल फटने से एक की मौत

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2019,
  • अपडेटेड 12:36 AM IST

उत्तराखंड के चमोली जिले में भारी बारिश के बाद बादल फटने से एक शख्स की मौत हो गई. गैरसैण पुलिस थाने के थानाध्यक्ष (एसएचओ) रविंद्र सिंह नेगी ने बताया कि बदर सिंह चमोली जिले के लामबगड़ इलाके में जंगल में मवेशी चराने गया था. उसी समय बादल फट गया और वह उसकी चपेट में आ गया.

अधिकारी ने बताया कि सिंह की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उसके पशु गायब हैं. उन्होंने कहा कि उसकी तलाश की जा रही है. नेगी ने कहा कि बादल फटने के बाद आई बाढ़ ने चमोली के तीन गांवों और अल्मोड़ा जिले के कुछ गांवों को जलमग्न कर दिया है.

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घटना के बाद एसडीआरएफ की टीम खेड़ा और असेधी गांव की तरफ रवाना हो गई है. यहां लोगों की मदद की जा रही है और बचाव कार्य भी जारी है.

आपको बता दें कि 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में ही प्राकृतिक आपदा आई थी. तब बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई थी और पूरे क्षेत्र में पहाड़ों का मलबा, भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गई थी.

लापता हुए पर्वतारोही

उत्तराखंड के नंदा देवी चोटी से 25 मई को लापता हुए 8 पर्वतारोहियों में से रविवार को 4 को बचा लिया गया है. बाकी पर्वतारोहियों की तलाश के लिए चलाया जा रहा अभियान खराब मौसम की वजह से रोक दिया गया. ITBP के जवानों ने यहां सर्च ऑपरेशन चलाया था. इस ऑपरेशन में उन्हें कामयाबी हाथ लगी है. अन्य लापता पर्वतारोहियों की तलाश की जा रही है.

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पिथौरगढ़ के जिलाधिकारी वीके जोगडांडे ने बताया '4 पर्वतारोहियों को बचा लिया गया है. नंदा देवी ईस्ट में हिमस्खलन की संभावना को देखते हुए आज सर्च और बचाव कार्य रोक दिया है. दोबारा सर्च ऑपरेशन कल शुरू होगा या मौसम के हालात को देखते हुए अगले दिन शुरू किया जाएगा.'

लापता हुए इस दल में 1 भारतीय और 7 विदेशी नागरिक हैं. इस टीम का नेतृत्व मशहूर ब्रिटिश पर्वतारोही मार्टिन मोरन कर रहे हैं और इनके साथ के पर्वतारोहियों में ब्रिटेन के 3, अमेरिका के 2 और ऑस्ट्रेलिया का एक नागरिक शामिल हैं, जबकि आठवां व्यक्ति भारतीय पर्वतारोहण संस्थान का अधिकारी है. यह दल 13 मई को पिथौरागढ़ के निकट मुनस्यारी से निकला था. इन्हें चोटी पर चढ़ाई के बाद 25 मई को ही बेस कैंप लौटना था.

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