जाट, बिहार या साउथ... एक पद, कई जरूरतें... उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी कैसे बनाएगी संतुलन?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उपराष्ट्रपति के चुनाव की सियासी बिसात बिछ गई है. जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफा दिए जाने के बाद बीजेपी के सामने जाट समुदाय से लेकर बिहार चुनाव और दक्षिण के साथ सियासी संतुलन साधने की चुनौती खड़ी हो गई है.

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उपराष्ट्रपति पद के एनडीए उम्मीदवार का फैसला करेंगे पीएम मोदी (Photo-PTI) उपराष्ट्रपति पद के एनडीए उम्मीदवार का फैसला करेंगे पीएम मोदी (Photo-PTI)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 12 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:06 PM IST

देश के अगले उपराष्ट्रपति के लिए सियासी ताना-बाना बुना जाने लगा है. जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफा दिए जाने के बाद बीजेपी ने उपराष्ट्रपति के लिए ऐसे चेहरे की तलाश शुरू कर दी है, जिसके जरिए एनडीए के घटक दलों की सहमति बनाने के साथ-साथ सारे सियासी समीकरण को साधने की चुनौती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मंगलवार को उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार का चयन करेंगे.

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उपराष्ट्रपति का चुनाव ऐसे समय हो रहा है, जब बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर है तो जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के चलते जाट समीकरण के बिखरने का खतरा बन गया है. इसके अलावा उत्तर और दक्षिण का सियासी संतुलन बनाने का पहले से ही चैलेंज है. इस तरह से देखना होगा कि बीजेपी कैसे जातिगत, क्षेत्रीय और नैरेटिव के समीकरण को साधेगी?

बीजेपी ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का फैसला करने के लिए मंगलवार को बैठक बुलाई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर जेपी नड्डा सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता शिरकत करेंगे. पिछले दिनों एनडीए नेताओं की बैठक में उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन की जिम्मेदारी पीएम मोदी और जेपी नड्डा के पाले में डाल दी गई है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने संभावित उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट कर लिया है, जिसका ऐलान पीएम मोदी और जेपी नड्डा करेंगे.

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बीजेपी कैसे बनाएगी सियासी संतुलन

उपराष्ट्रपति चुनाव के जरिए बीजेपी कैसे सियासी संतुलन बनाएगी? बीजेपी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए संघ के साथ सहमति नहीं बना पा रही है, उपराष्ट्रपति के चुनाव ने उसके सामने एक और चुनौती खड़ी कर दी है. हालांकि, आरएसएस सरकार के कामकाज में ज्यादा दखलअंदाजी नहीं करना चाहता, लेकिन उसका मानना है कि सर्वोच्च पदों पर बैठे लोग पार्टी और उसकी विचारधारा के प्रति समर्पित हों. ऐसे में बीजेपी को इस मुद्दे पर अपने सहयोगी दलों को साधना होगा.

एनडीए की पिछले गुरुवार को हुई बैठक में पीएम मोदी और जेपी नड्डा को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. जगदीप धनखड़ के बाद बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उपराष्ट्रपति पद पर ऐसे व्यक्ति को बैठाना चाह रहा है, जो वैचारिक रूप से संघ और बीजेपी के प्रति समर्पित हो. ऐसे चेहरे की तलाश बीजेपी को करनी है.

इसके अलावा, उस उम्मीदवार में संसदीय अनुभव, संयमित भाषण कला और निष्पक्ष छवि को भी तवज्जो मिलेगी. बीजेपी की कोशिश ऐसे उम्मीदवार को उतारने की है, जो उसके सहयोगी दलों के साथ-साथ कुछ विपक्षी दलों को भी स्वीकार्य हो. इसके बाद ही क्रॉस-वोटिंग के जरिए वह विपक्षी एकता में सेंधमारी कर सकती है.

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क्या बिहार चुनाव को साधने का दांव चलेगी?

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की सियासी बिसात बिछ गई है. 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति के पद का चुनाव है, उसके एक महीने के बाद बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा. ऐसे में बीजेपी के सामने बिहार के सियासी समीकरण को साधने का चैलेंज होगा. बिहार में बीजेपी कभी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकी है.

धनखड़ के इस्तीफा देने के साथ ही उपराष्ट्रपति का पद बिहार विधानसभा 2025 के लिए सियासी संजीवनी बन सकता है. ऐसे में बीजेपी उपराष्ट्रपति के सहारे बिहार के रण की चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत बैठाएगी, जिसके लिए कई नामों की चर्चा चल रही है. सवर्ण से लेकर ओबीसी नामों के कयास लगाए जा रहे हैं. अब देखना है कि बीजेपी क्या बिहार चुनाव को साधने के लिए उपराष्ट्रपति पद के लिए बिहार से किसी नेता पर दांव लगाएगी.

जाट समाज की नाराजगी को कैसे साधेगी?

देश की शीर्ष संवैधानिक कुर्सियों में से एक उपराष्ट्रपति पद पर आसीन रहे जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने जाट सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है. धनखड़ जाट समुदाय से आते हैं. वे राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गांव के रहने वाले हैं. धनखड़ जब उपराष्ट्रपति चुने गए थे तब इसे बीजेपी की देशभर के जाट समुदाय को साधने की रणनीति बताया गया था.

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देश के कई राज्यों में गवर्नर रहे सत्यपाल मलिक के मामले को लेकर विपक्ष पहले से ही बीजेपी को जाट विरोधी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करती रही है. अब धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद बीजेपी के पास अब कोई भी ऐसा चेहरा नहीं बचा है, जो जाट समुदाय का शीर्ष स्तर पर प्रतिनिधित्व करता हो. किसान नेता राकेश टिकैत से लेकर राजस्थान के कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बीजेपी पर जाट समुदाय की अनदेखी का आरोप लगा चुके हैं. ऐसे में बीजेपी क्या जाट समीकरण को देखते हुए किसी जाट समुदाय से उपराष्ट्रपति बनाने का दांव चलेगी?

दक्षिण भारत के साथ बनाएगी संतुलन

उत्तर भारत की सियासत पर बीजेपी अपनी मजबूत पकड़ भले ही बना ली हो, लेकिन दक्षिण भारत की सियासी जमीन अभी भी बंजर बनी हुई है. दक्षिण के किसी भी राज्य में बीजेपी की अपनी सरकार नहीं है. आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी में बीजेपी सहयोगी दल के रूप में जरूर सरकार का हिस्सा है. पीएम मोदी और बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा दोनों ही उत्तर भारत से हैं. ऐसे में बीजेपी के सामने दक्षिण के साथ सियासी बैलेंस बनाए रखने की चुनौती है, जिसके चलते ही कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी उपराष्ट्रपति के पद पर किसी दक्षिण भारत के नेता को बनाने का दांव चल सकती है.

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केरल और तमिलनाडु में अगले साल 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, दोनों ही राज्यों में बीजेपी कभी भी सरकार नहीं बना सकी है. टीडीपी के समर्थन से केंद्र की मोदी सरकार चल रही है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी क्या उपराष्ट्रपति के लिए दक्षिण भारत के किसी नेता पर भरोसा जताने का दांव चलेगी, क्योंकि उसके सामने कई तरह की राजनीतिक चुनौतियां खड़ी हैं.

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