केशव-नायब और अब सम्राट... OBC में बीजेपी की पहली पसंद क्यों बनता जा रहा है कोइरी समाज

बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में बनी एनडीए की सरकार में बीजेपी कोटे से सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा उपमुख्यमंत्री बने हैं. बीजेपी की ओबीसी सियासत में कोइरी समुदाय पर खास फोकस है. यूपी में केशव प्रसाद मौर्य और हरियाणा में नायब सिंह सैनी के बाद बिहार में सम्राट चौधरी की ताजपोशी के सियासी मायने समझे जा सकते हैं?

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बीजेपी की ओबीसी पॉलिटिक्स की तिकड़ी (Photo-ITG) बीजेपी की ओबीसी पॉलिटिक्स की तिकड़ी (Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:46 PM IST

बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार की सरकार बन गई है। गुरुवार को नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बीजेपी ने सत्ता की बागडोर भले ही नीतीश को सौंप दी हो, लेकिन सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को उपमुख्यमंत्री  बनाया है. नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट में सोशल इंजीनियरिंग का ख्याल रखा तो बीजेपी ने सोची-समझी रणनीति के तहत अपने सियासी समीकरण साधे हैं.

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नीतीश मंत्रिमंडल में सीएम और डिप्टी सीएम सहित कुल 27 लोगों को जगह मिली है. बीजेपी कोटे से 15, जेडीयू से 8, एलजेपी से 2 और जीतनराम मांझी की पार्टी 'हम' से एक-एक मंत्री बनाए गए हैं. सत्ता के सिंहासन पर नीतीश कुमार विराजमान हैं तो बीजेपी ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा के रूप में पिछड़ी और अगड़ी जाति के बीच संतुलन बनाए रखने का दांव चला है.

बिहार में बीजेपी ने जिस तरह से सम्राट चौधरी को दोबारा से उपमुख्यमंत्री बनाया है, उससे यह बात साफ है कि उसका ओबीसी में मुख्य फोकस कोइरी समुदाय पर है. बिहार ही नहीं, बीजेपी कोइरी समाज से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम बना चुकी है तो हरियाणा में नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री हैं। सवाल उठता है कि बीजेपी ओबीसी में कोइरी समाज को ही क्यों खास तवज्जो देने में जुटी है?

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बीजेपी में बढ़ता सम्राट चौधरी का कद

बिहार में नीतीश कुमार कुर्मी-कोइरी समीकरण बनाकर 20 साल से सत्ता पर काबिज हैं. बिहार में यादव के बाद कुर्मी और कोइरी दो बड़ी ओबीसी जातियां हैं. सीएम नीतीश कुर्मी जाति से आते हैं जबकि सम्राट चौधरी कोइरी समुदाय से हैं. बिहार में एक बार फिर से कुर्मी-कोइरी की सियासी जोड़ी सत्ता के सिंहासन पर विराजमान है. 

नीतीश कुमार 75 साल के हो गए हैं और सम्राट चौधरी की उम्र अभी 57 साल है. माना जा रहा है कि बीजेपी सम्राट चौधरी को आगे बढ़ाकर भविष्य के लिए लीडरशिप खड़ी कर रही है.

बिहार में कुर्मी समाज की आबादी 2.5 फीसदी है जबकि पांच फीसदी आबादी कोइरी समाज की है. इस बार विधानसभा के चुनाव में कोइरी जाति के 24 विधायक जीतकर आए हैं तो कुर्मी जाति के 14 विधायक जीते हैं. कुर्मी-कोइरी समुदायों के 71 फीसदी वोट एनडीए को मिले, जबकि 2020 में 66 फीसदी ही मिला था.

ओबीसी में यादव आरजेडी का परंपरागत वोटर माना जाता है तो बीजेपी की नजर गैर-यादव ओबीसी वोटों पर है, जिसे साधने के लिए सम्राट चौधरी को आगे बढ़ा रही है. इसीलिए बीजेपी ने पहले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर 2024 में डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंपी और अब दोबारा से उपमुख्यमंत्री बनाकर उनके सियासी कद को आगे बढ़ाकर सियासी संदेश देने की कवायद की है.

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केशव मौर्य और नायब सैनी की दी पहचान

नरेंद्र मोदी के 2014 में केंद्रीय राजनीति में आने के बाद बीजेपी का सियासी फोकस ओबीसी वोटों पर बढ़ा है, जिसमें कोइरी समाज के वोटबैंक पर खासतौर से ध्यान केंद्रित किया है. जिसके लिए देश के अलग-अलग राज्यों में कोइरी समाज की लीडरशिप खड़ी कर रही है. यूपी में केशव प्रसाद मौर्य तो हरियाणा में नायब सिंह सैनी जैसे कोइरी समाज के नेता बीजेपी के ओबीसी चेहरा बनकर उभरे हैं.

2014 में नरेंद्र मोदी के अगुवाई में केंद्र की सरकार बनने के बाद बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की सत्ता में अपने राजनीतिक वनवास को तोड़ने के लिए कोइरी समाज से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. केशव के अगुवाई में बीजेपी यूपी के 2017 विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की.

बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया तो केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया. यूपी में केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के ओबीसी चेहरा माने जाते हैं, यही वजह है कि 2022 में चुनाव हारने के बाद भी उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाए रखा. इसके अलावा उनका सियासी कद लगातार बीजेपी बढ़ा रही है.

कोइरी समाज से आने वाले नायब सिंह सैनी को बीजेपी ने पहले हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सियासी पहचान दिलाई और उसके बाद मनोहर लाल खट्टर की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया. नायब सिंह सैनी के अगुवाई में बीजेपी 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में वापसी करने में कामयाब रही. ऐसे में बीजेपी ने उन्हें सीएम की कुर्सी पर बनाए रखा. माना जाता है कि हरियाणा में बीजेपी नायब सिंह सैनी के अगुवाई में ओबीसी वोटों को लामबंद करने में सफल रही.

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OBC में बीजेपी का कोइरी समाज पर फोकस

बिहार में सम्राट चौधरी और यूपी में केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी सीएम हैं तो हरियाणा में नायब सिंह सैनी सीएम हैं. तीनों नेता कोइरी समाज से हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि बीजेपी का कुर्मी समाज पर खास फोकस है. बीजेपी की पूरी नजर पूरी तरह ओबीसी वोटों पर है.

बीजेपी यूपी और बिहार में कोइरी लीडरशिप को आगे बढ़ाकर गैर-यादव ओबीसी वोटों को साधने की रणनीति में पूरी तरह सफल हो रही है तो हरियाणा में जाट समाज की राजनीति को काउंटर करने के लिए कोइरी समाज के नायब सैनी को आगे कर ओबीसी को अपने साथ जोड़ने में सफल रही है.

दरअसल, देश की राजनीति मंडल कमीशन के बाद पूरी तरह से बदल गई है. ओबीसी समाज उत्तर भारत की राजनीति की दशा-दिशा को तय कर रहा है. यूपी से लेकर बिहार सहित तमाम राज्यों में ओबीसी की राजनीति खड़ी हुई है, जिसमें यादव समाज से लालू यादव बिहार में तो यूपी में मुलायम सिंह यादव ओबीसी चेहरे के तौर पर सियासी पटल पर उभरे.

बीजेपी की ओबीसी सियासत कैसी रही

मंडल कमीशन से निकली ओबीसी राजनीति बीजेपी के सियासी राह में बड़ी बाधा बन गई थी. बीजेपी ने ओबीसी वोटों में पैठ जमाने के लिए पहले लोध समुदाय की राजनीति को खड़ी किया, जिसके लिए कल्याण सिंह और साक्षी महाराज जैसे नेता को यूपी में और मध्य प्रदेश में उमा भारती को आगे बढ़ाया. बीजेपी का यह प्रयोग हिट रहा, लेकिन कल्याण सिंह के बागी तेवर अपनाने के बाद समीकरण गड़बड़ा गया.

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बीजेपी ओबीसी के बीच दोबारा 2014 में नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे अपनी पैठ को जमाया. देश भर में ओबीसी समुदाय का बड़ा वोटबैंक बीजेपी के साथ आया और अब उसे राजनीतिक रूप से मजबूत करने के लिए सियासी प्रयोग कर रही है. कोइरी समाज बीजेपी की ओबीसी राजनीति के एक्सपेरिमेंट में हिट है. इसीलिए एक बाद एक राज्य में कोइरी नेताओं का सियासी कद बढ़ाने में जुटी है.

कोइरी समाज की सियासी ताकत कितनी?

देश के अलग-अलग राज्यों में कोइरी समाज है. मुख्य रूप से कोइरी समाज सब्जी उत्पादन और खेती करती है. इन्हें मौर्य, शाक्य, कुशवाहा, कोइरी, काछी, मोराओ और सैनी जैसे नाम से जाना जाता है। बिहार, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल में कोइरी समाज के लोग रहते हैं.

उत्तर प्रदेश में करीब 7 फीसदी कोइरी समाज है तो बिहार में 6 फीसदी, हरियाणा में 4 फीसदी और राजस्थान में 3 फीसदी है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में 2 फीसदी हैं। ओबीसी में यादव के बाद कोइरी दूसरी सबसे बड़ी आबादी है, सियासी तौर पर वो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं.

चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक से रिश्ता

कोइरी समाज खुद को मौर्य साम्राज्य संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक के वंशज मानते हैं. मौर्य साम्राज्य और बौद्ध काल के केंद्रों के आसपास के इलाके और जिलों में कोइरी समाज की अच्छी-खासी आबादी मिलती है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर, बोधगया और सारनाथ जैसे बुद्ध से जुड़े स्थान के आसपास यह देखा जा सकता है और बिहार में पाटिलपुत्र और गयाजी जैसे इलाके में भी मौर्य समाज मिल जाएंगे.

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सम्राट अशोक की वजह से कोइरी समाज के लोग बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म का पालन करते हैं. इस तरह बीजेपी उन्हें वैचारिक रूप से भी साधने के लिए सियासी अहमियत देकर हिंदुत्व की छत्रछाया में बनाए रखने की रणनीति बना रही है. इसीलिए बीजेपी ने कोइरी समाज के उन नेताओं को सियासी अहमियत देना शुरू कर दिया है, जो उसकी वैचारिक एजेंडे में फिट बैठते हैं. इसके सहारे ओबीसी वोटों को जोड़े रखने का दांव है.

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