बिहार की राजनीति में नया गेमचेंजर, किसे डुबोएगी प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, NDA, INDIA या दोनों?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने सियासी हलचल तेज कर दी है. सवाल ये है कि JSP सत्ता पक्ष NDA का खेल बिगाड़ेगी या विपक्षी INDIA ब्लॉक को कमजोर करेगी, या फिर दोनों के लिए मुसीबत बनेगी. शुरुआती सर्वे बताते हैं कि किशोर की पार्टी वोट-कटर की भूमिका निभा सकती है, जिससे बड़े गठबंधनों के समीकरण बदल जाएंगे. क्या ये पार्टी बिहार की सियासत में 2020 की LJP की तरह तीसरा ध्रुव बनकर उभरेगी?

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बिहार की सियासत में तीसरा ध्रुव बनी जन सुराज पार्टी (Photo-PTI) बिहार की सियासत में तीसरा ध्रुव बनी जन सुराज पार्टी (Photo-PTI)

अमिताभ तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:14 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक अहम सवाल उठ रहा है कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) किसका वोट काटेगी? क्या ये एनडीए (NDA) के लिए नुकसानदेह साबित होगी, इंडिया ब्लॉक (INDIA) को कमजोर करेगी या फिर दोनों को एक साथ चोट पहुंचाएगी?

शुरुआती ओपिनियन पोल्स दिखाते हैं कि तेजस्वी यादव (RJD) और नीतीश कुमार (JDU) के बाद किशोर को लोग पसंदीदा सीएम चेहरा मानते हैं. लेकिन आम राय यही है कि JSP ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी, बल्कि वोट-कटर की भूमिका निभाएगी. एक सीवोटर सर्वे के मुताबिक, 20% लोगों का मानना है कि ये NDA को नुकसान करेगी, 18% का कहना है कि INDIA ब्लॉक को, और 35% का मानना है कि दोनों को नुकसान होगा.

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NDA की बी-टीम या RJD का विकल्प?

कुछ लोग JSP को बीजेपी की बी-टीम मानते हैं. किशोर ने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर वंशवाद और विकास न देने का आरोप लगाया है, जो RJD से नाराज़ वोटरों को लुभा सकता है.

दूसरी ओर, कुछ लोगों का कहना है कि इसका असर NDA पर भी पड़ेगा. किशोर खुद ब्राह्मण हैं और ब्राह्मण NDA का मजबूत वोट बैंक है. किशोर ने नीतीश कुमार को बार-बार निशाना बनाया है और दावा किया है कि JDU की सीटें 25 से नीचे चली जाएंगी. उन्होंने नीतीश के शासन को “ब्यूरोक्रेटिक जंगलराज” कहा. JSP का शिक्षा, रोजगार और सुशासन पर जोर युवाओं को आकर्षित कर सकता है.

किशोर ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था कि हम दोनों का वोट काटेंगे और इतना काटेंगे कि दोनों खत्म हो जाएंगे. नुकसान NDA और RJD को होगा और फायदा बिहार की जनता को मिलेगा.

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LJP की तरह तीसरा ध्रुव

इस बार JSP चुनाव में तीसरा ध्रुव बनकर उभरी है, जैसे 2020 में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) बनी थी. LJP ने तब NDA से बगावत की थी और सिर्फ JDU के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे. उसने 134 सीटों पर चुनाव लड़ा और 73 सीटों में उसके वोट जीत-हार के अंतर से ज्यादा थे. इसमें 40 सीटों पर NDA हारी (जिनमें 33 JDU थीं) और 32 सीटों पर INDIA ब्लॉक को नुकसान हुआ.

JSP इस बार सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. इसका असर LJP से ज्यादा भी हो सकता है. हालांकि, कुछ जानकार मानते हैं कि LJP की अपनी कोर वोट बैंक और संगठन है, जबकि JSP एक नई पार्टी है, इसलिए इसका असर सीमित भी रह सकता है.

2024 उपचुनाव का अनुभव

JSP ने पिछले साल चार सीटों पर उपचुनाव लड़ा था, जिसमें तीन में उसकी जमानत जब्त हो गई. हालांकि उसका कुल वोट शेयर 10% रहा. इन चारों सीटों पर NDA जीत गई, जबकि 2020 में INDIA ब्लॉक इनमें से तीन सीट जीता था.

सीटवार नतीजे दिलचस्प रहे.

इमामगंज में JSP ने पासवान उम्मीदवार उतारा, जबकि INDIA और NDA ने महादलित (मांझी) उम्मीदवार उतारे. JSP को यहां 22.6% वोट मिले और INDIA का वोट शेयर 17.7% गिरा. यानी JSP ने INDIA और NDA दोनों को लगभग 80:20 अनुपात में नुकसान किया.

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बेलागंज में JSP ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारा, जिसे 10.6% वोट मिले. यहां INDIA का वोट शेयर 15.8% गिरा. यानी JSP ने मुख्य रूप से INDIA को नुकसान पहुंचाया. रामगढ़ में JSP को 3.9% वोट मिले, जो ज्यादातर INDIA से कटे. INDIA का वोट शेयर यहां 11.5% गिरा. कुल मिलाकर उपचुनावों में JSP ने INDIA को ज्यादा नुकसान किया.

2025 की जंग

बिहार की राजनीति जाति समीकरण पर आधारित रहती है. JSP की रणनीति अलग-अलग समुदायों से उम्मीदवार उतारने की है, जिससे परंपरागत वोट बैंक टूट सकते हैं. किशोर की मुहिम 35 साल से जारी लालू-नीतीश शासन से नाराज़गी पर केंद्रित है. एक वोटवाइब सर्वे के मुताबिक, 54% मतदाता अपने मौजूदा विधायक को फिर वोट नहीं देना चाहते.

देखा जाए तो JSP का असर सीट-दर-सीट तय होगा. अगर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे जाते हैं तो NDA को नुकसान होगा, जबकि मुस्लिम या यादव उम्मीदवार INDIA ब्लॉक को ज्यादा चोट पहुंचाएंगे.

JSP को समर्थन कहां से मिल रहा है?

वोटवाइब सर्वे के अनुसार, JSP को 20% समर्थन 18–24 साल के युवाओं से मिल रहा है, जो बेरोजगारी से परेशान हैं. करीब 15% वोटर ऊंची जातियों से, 13% मुसलमानों से, 9% OBC से, 6% अनुसूचित जातियों से और 11% आदिवासियों से आते हैं.

ये होंगे संभावित समीकरण

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2020 में NDA और INDIA का वोट शेयर 37–37% था और अन्य दलों के पास 26%. तब LJP अलग लड़ी और 5.8% वोट लिए. VIP पार्टी ने 1.5% वोट लिए और NDA के साथ थी, जो अब INDIA ब्लॉक में शामिल हो गई है. इस हिसाब से मौजूदा वोट शेयर NDA का 42% और INDIA का 39% बैठता है.

अब अगर JSP 10% वोट लेती है और इसका आधा हिस्सा INDIA से आता है, तो INDIA का वोट शेयर 34% रह जाएगा और NDA का 42%. अगर आधा हिस्सा NDA से आता है, तो NDA 37% पर आ जाएगा और INDIA 39% पर. अगर JSP दोनों से बराबर (2.5%–2.5%) वोट काटे और बाकी 5% अन्य से, तो NDA 39% और INDIA 36% पर रहेंगे.

नतीजा क्या होगा?

हालांकि JSP वोट प्रतिशत में बदलाव ला सकती है, लेकिन सीटों में इसे बदलना आसान नहीं होगा. पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती संगठन और स्पष्ट विचारधारा की कमी है. फिर भी, JSP की एंट्री वोटों के बंटवारे का कारण बनेगी और इसका फायदा NDA को हो सकता है, क्योंकि विपक्ष का वोट ज्यादा बंटेगा.

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