चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों के लिए 20 जून को उपचुनाव हुए थे. इन विधानसभा सीटों के उपचुनाव नतीजे 23 जून को आए. इस उपचुनाव में गुजरात की दो सीटों में से एक सीट सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और एक आम आदमी पार्टी ने जीती. पंजाब में आम आदमी पार्टी अपनी सीट बचाने में सफल रही, वहीं पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस ने भी कालीगंज सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. केरल में सत्ताधारी लेफ्ट को मात मिली. उपचुनाव नतीजों में लेफ्ट से लेकर टीएमसी और कांग्रेस तक, हर दल के लिए कुछ ना कुछ वॉर्निंग मैसेज है.
उपचुनाव नतीजों में हर दल के लिए वॉर्निंग मैसेज
उपचुनाव नतीजों में हर दल के लिए वॉर्निंग मैसेज है. गुजरात की सत्ता पर काबिज बीजेपी कड़ी सीट जीतने में सफल रही. पार्टी ने कभी केशुभाई पटेल का गढ़ रही विसावदर सीट पर भी पूरी ताकत झोंक दी. बीजेपी उम्मीदवार के नामांकन में खुद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी पहुंचे, लेकिन जीत की कौन कहे हार का अंतर विधानसभा चुनाव के मुकाबले और बढ़ गया. बीजेपी इस सीट पर 2007 के गुजरात चुनाव के बाद से ही कमल खिलाने में असफल रही है.
लुधियाना वेस्ट के नतीजों में AAP के लिए क्या
लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के संजीव अरोड़ा विजयी रहे. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की जीत का अंतर भी बढ़ा, लेकिन फिर भी पार्टी को मिले कुल वोट चुनाव के मुकाबले कम ही रहे. विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरप्रीत बस्सी गोगी को 40 हजार 443 वोट मिले थे. उपचुनाव में सत्ताधारी दल के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा को 35 हजार 144 वोट मिले. आम आदमी पार्टी की जीत के अंतर से करीब-करीब दोगुने वोट बीजेपी उम्मीदवार जीवन गुप्ता को मिले.
पश्चिम बंगाल में जीती टीएमसी, लेकिन बढ़ी टेंशन
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले की कालीगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भी सत्ताधारी टीएमसी ने कब्जा बरकरार रखा है. टीएमसी उम्मीदवार अलीफा अहमद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के आशीष घोष को 50049 वोट के बड़े अंतर से हराया. टीएमसी की इस बड़ी जीत में भी पार्टी की टेंशन बढ़ाने वाले तथ्य हैं. अलीफा अहमद, नसीरुद्दीन अहमद की पुत्री हैं जिनके निधन से कालीगंज सीट रिक्त हुई थी. संवेदना की लहर में भी अलीफा को करीब-करीब उतने ही वोट मिले, जितने विधानसभा चुनाव में उनके पिता को मिले थे.
टीएमसी के लिए टेंशन बीजेपी का प्रदर्शन भी है. बीजेपी उम्मीदवार को 52 हजार से ज्यादा वोट मिले और दूसरा स्थान हासिल किया. बीजेपी ने नतीजों के बाद यह दावा भी किया कि हिंदू वोट में उसकी हिस्सेदारी बढ़ी है और अगर ऐसा है तो करीब 70 फीसदी हिंदू आबादी वाले राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले यह ध्रुवीकरण तनाव बढ़ाने वाली बात ही है.
केरल में पिनाराई विजयन के लिए खतरे की घंटी?
केरल में अगले ही साल विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले नीलांबुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस की जीत को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और लेफ्ट गठबंधन के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है. विजयन सरकार का यह लगातार दूसरा कार्यकाल है और 10 साल की एंटी इनकम्बेंसी को काउंटर करने की चुनौती भी उसके सामने होगी.
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नीलांबुर उपचुनाव में कांग्रेस के आर्यदान शौकत ने लेफ्ट के एम स्वराज को 11 हजार से अधिक वोट के अंतर से हरा दिया. इस सीट पर विधानसभा चुनाव में लेफ्ट समर्थित पीवी अनवर जीते थे, जो इस बार तीसरे नंबर पर रहे. पीवी अनवर को जीत-हार के अंतर से कहीं ज्यादा करीब 20 हजार वोट मिले.
केरल छोड़ कांग्रेस के लिए हर जगह वॉर्निंग मैसेज
कांग्रेस की बात करें तो केरल छोड़कर हर जगह से पार्टी के लिए वॉर्निंग मैसेज ही हैं. गुजरात की विसावदर सीट पर पार्टी तीसरे स्थान पर रही, वहीं कडी सीट पर उसे दूसरा स्थान जरूर मिला लेकिन हार का अंतर 39 हजार से ज्यादा वोट का रहा. इन नतीजों को गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के लिए बड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.
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वहीं, पंजाब में कांग्रेस के भारत भूषण आशु दूसरे स्थान पर रहे. लेकिन यहां भी कांग्रेस उम्मीदवार का मुकाबला विजयी संजीव अरोड़ा से ज्यादा तीसरे नंबर पर रहे बीजेपी के जीवन गुप्ता से होता नजर आया. पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के साथ गठबंधन कर उतरी ग्रैंड ओल्ड पार्टी का उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा.
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