महाभियोग पर क्रेडिट की लड़ाई या बढ़ गई सरकार से खाई? जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की क्या है सच्चाई

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे क्या राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा था. इस पर लगातार चर्चा हो रही है. बता दें कि जस्टिस वर्मा को हटाने को लेकर विपक्ष ने राज्यसभा में तेजी दिखाते हुए चेयरमैन धनखड़ को नोटिस दे दिया. जबकि लोकसभा में सरकार इस मुहिम को आगे बढ़ा रही थी. सांसदों से जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्यवाही के लिए हस्ताक्षर करवाया जा रहा था. सरकार को ये लग रहा था कि राज्यसभा में नोटिस कैसे इतनी जल्दी आ गया. वहीं विपक्ष इसे लेकर गदगद था और इसे अपनी गुगली बता रहा था.

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जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा पर विपक्ष के नोटिस को स्वीकार किया है. (Photo: PTI) जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा पर विपक्ष के नोटिस को स्वीकार किया है. (Photo: PTI)

मौसमी सिंह / अशोक सिंघल

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:54 AM IST

केंद्रीय मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को शाम बजे 4.30 उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर से बुलाए गए बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में न जाने पर सफाई दी है. जेपी नड्डा ने कहा है कि वे और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा 4.30 बजे बुलाई गई बैठक में नहीं पहुंच पाए थे क्योंकि वे किसी अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्य में व्यस्त हो गए थे जिसके पूर्व सूचना उपराष्ट्रपति के दफ्तर को दे दी गई थी.

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बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू के BAC की मीटिंग में न जाने की वजह से कई तरह कयास लगाए जा रहे थे. इस पर जेपी नड्डा ने कहा कि वे किसी और काम में व्यस्त थे और इसकी जानकारी उपराष्ट्रपति कार्यालय को दे दी गई थी. 

केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने अपने एक और बयान पर सफाई दी है. उनका ये बयान सोमवार को राज्यसभा में दिया गया था. इस दौरान चेयर पर जगदीप धनखड़ मौजूद थे.

इस दौरान जेपी नड्डा ने कहा था, "गुस्सा मत करो भइया, गुस्सा मत करो, रिकॉर्ड में कुछ नहीं जाएगा, मैं जो बोल रहा हूं वही जाएगा, आपको पता होना चाहिए."

कहा जा रहा है कि इस बयान को लेकर भी कन्फ्यूजन पैदा हुआ था. 

नड्डा ने इस बयान पर सफाई देते हुए कहा कि, "मैने राज्यसभा में जो बात कही कि जो मै बोल रहा वही ऑन रिकॉर्ड जाएगा, ये विपक्ष के टोका टोकी करने वाले सांसदों के लिए था न कि चेयर के लिए."

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सूत्रों के मुताबिक, इस घटनाक्रम में कुछ तो हुआ है. एक समय था जब विपक्ष चाहता था कि जगदीप धनखड़ पर महाभियोग चले. लेकिन पांच-छह महीने में ही घटनाक्रम ऐसा बदला कि धनखड़ साहब ने इस्तीफा दे दिया. 

कल का घटनाक्रम कई चीजों की ओर इशारा कर रहा है. एक तो सरकार इस बात को लेकर सकते में थी कि जस्टिस वर्मा को हटाने को लेकर विपक्ष ने राज्यसभा में अचानक से नोटिस दे दिया था. जबकि लोकसभा में सरकार इस मुहिम को आगे बढ़ा रही थी. सांसदों से जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्यवाही के लिए हस्ताक्षर करवाया जा रहा था. सरकार को ये लग रहा था कि राज्यसभा में नोटिस कैसे इतनी जल्दी आ गया.

इसे लेकर विपक्ष गदगद था और इसे अपनी गुगली बता रहा था. बता दें कि राज्यसभा की वो तस्वीर जारी नहीं की गई जहां 63 विपक्षी सांसदों ने चेयरमैन जगदीप धनखड़ को जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्यवाही का नोटिस दिया. जबकि लोकसभा की ऐसी तस्वीर जारी हुई थी. 

सरकार एक तरह से औचक रह गई कि एकदम से इस तरह का नोटिस सिर्फ विपक्ष कैसे ला सकती है. ऐसा होने का मतलब था कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने का सारा क्रेडिट विपक्ष को चला जाता.

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ये एक तरह से सरकार की रणनीति पर पानी पड़ने जैसा था. इसके बाद बीजेपी सांसदों को राजनाथ सिंह के दफ्तर में बुलाया गया. उन्हें ये बताया गया कि यहां एक मीटिंग है. इसके बाद आनन-फानन में शाम पांच बजे बीजेपी के तमाम राज्यसभा सांसदों को यहां बुलाया गया और उनसे हस्ताक्षर करवाए गए.

सूत्रों ने बताया कि सांसदों को ये नहीं बताया गया कि ये हस्ताक्षर किस चीज के लिए हो रहे हैं. सबने अंदाजा लगाया कि ये हस्ताक्षर जस्टिस वर्मा के लिए लिए जा रहे हैं. लेकिन ये तब हो रहा था जब जगदीप धनखड़ ये बता चुके थे कि विपक्ष का नोटिस स्वीकार कर लिया गया है. ऐसी स्थिति में बीजेपी के सांसदों के हस्ताक्षर के मायने क्या रह जाते हैं. 

सोमवार सुबह कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्यसभा में खुली छूट दी गई. राज्यसभा में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया, तब जेपी नड्डा ने एक बात कही थी कि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा, जो मैं कह रहा हूं वही रिकॉर्ड में जाएगा.  

बाद में जेपी नड्डा ने आज इसी बात पर सफाई दी कि उन्होंने राज्यसभा में जो बात कही कि जो मै बोल रहा वही ऑन रिकॉर्ड जाएगा, ये विपक्ष के टोका टोकी करने वाले सांसदों के लिए था न कि चेयर के लिए.
 

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