केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान योजना आयोग की सदस्य रहीं सैयदा हमीद पर भारत में बांग्लादेशियों का समर्थन करने के लिए निशाना साधा है. उन्होंने सैयदा हमीद के बयान को 'गुमराह करने वाला' करार दिया है. असम का दौरा कर रहीं हमीद ने कहा था कि बांग्लादेशी भी इंसान हैं और उनसे भारत में रहने का अधिकार नहीं छीना जाना चाहिए क्योंकि दुनिया बहुत बड़ी है.
'अवैध प्रवासियों का समर्थन गलत'
सैयदा हमीद के इस बयान के जवाब में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'इंसानियत के नाम पर गुमराह किया जा रहा है. यह हमारी ज़मीन और पहचान का सवाल है. बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक बौद्धों, ईसाइयों, हिंदुओं और सिखों पर अत्याचार क्यों हो रहे हैं? सैयदा हमीद, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की करीबी हो सकती हैं, लेकिन उन्हें अवैध प्रवासियों का समर्थन नहीं करना चाहिए.'
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हमीद की यह टिप्पणी असम सरकार की तरफ से सरकारी ज़मीनों से अवैध रूप से बसे लोगों को हटाने की पहल के बाद आई है. प्रशांत भूषण और हर्ष मंदर जैसे कार्यकर्ताओं के साथ, सैयदा हमीद ने राज्य सरकार पर मुसलमानों को बांग्लादेशी बताकर उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया.
क्या था सैयदा हमीद का बयान?
उन्होंने आगे कहा, 'अगर वे बांग्लादेशी हैं तो इसमें क्या गलत है? बांग्लादेशी भी इंसान हैं. दुनिया इतनी बड़ी है कि बांग्लादेशी यहां रह सकते हैं. वे किसी के अधिकारों का हनन कर रहे हैं, यह कहना बहुत ही विवादित है.'
इसी से जुड़े एक घटनाक्रम में, प्रशांत भूषण ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की आलोचना करते हुए उन पर अराजक और अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया. भूषण ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार नागरिकों को बांग्लादेश भेज रही है और अवैध रूप से घरों को तोड़ कर रही है.
प्रशांत भूषण ने इस स्थिति को राज्य सरकार की तरफ से की जा रही 'लूट' बताया और दावा किया कि सरकार इन गतिविधियों को सार्वजनिक जांच से छिपाने की कोशिश कर रही है.
एक्टिविस्ट के निशाने पर असम सरकार
असम के मुख्यमंत्री सरमा ने अपनी सरकार के कार्यों का बचाव करते हुए कहा कि इस मुद्दे में कांग्रेस और अन्य बुद्धिजीवियों की भागीदारी से राज्य की स्थिरता कमजोर हो सकती है.
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असम सरकार पर कृषि-उत्पादक आदिवासी ज़मीनों को अडानी ग्रुप सहित निजी कंपनियों को सौंपने का आरोप लगाया गया है. भूषण ने इस एक्शन की निंदा करते हुए दावा किया कि ये स्थानीय समुदायों की क़ीमत पर चुनिंदा पूंजीपतियों को फ़ायदा पहुंचाने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है. उन्होंने राज्य की गतिविधियों के स्वतंत्र मूल्यांकन को रोकने की कोशिश की भी आलोचना की है.
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